प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस ने भाजपा से कहीं अधिक धरने प्रदर्शन किए. यह धरना प्रदर्शन बताते हैं कि देश में केंद्र सरकार के खिलाफ राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार (Congress Government) और संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर है.
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Jaipur: सत्ता में होने के बावजूद राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका अदा कर रही है. यह बात इसलिए कही जा रही है कि पिछले ढाई साल में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने के मामले में भाजपा (BJP) को पीछे छोड़ दिया है.
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प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस ने भाजपा से कहीं अधिक धरने प्रदर्शन किए. यह धरना प्रदर्शन बताते हैं कि देश में केंद्र सरकार के खिलाफ राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार (Congress Government) और संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर है.
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राजस्थान में सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस लगातार सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करती नजर आ रही है. यह विरोध प्रदर्शन अपनी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि केंद्र सरकार और उसकी नीतियों के विरोध में हैं. पिछले ढाई साल में राजस्थान में कांग्रेस ने पक्ष-विपक्ष दोनों की भूमिका बखूबी अदा की है. आमतौर पर सड़कों पर अधिक सक्रिय रहने वाली भाजपा इस मामले में विपक्ष की भूमिका कांग्रेस जितनी सक्रिय नजर नहीं आई है. राजस्थान में 2019 की शुरुआत से ही कांग्रेस अलग-अलग केंद्र सरकार की नीतियों और अलग-अलग मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रही है. यहां तक कि कोरोना काल से पहले तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद इन धरना प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं.
सत्ता में होने के बावजूद जारी है प्रदर्शन
आमतौर पर सत्ताधारी दल और पार्टी के इतने धरने प्रदर्शन देखने को नहीं मिलते हैं लेकिन इस बार पुरानी परिपाटियों को छोड़कर कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए लगातार धरने प्रदर्शन किए हैं, जो अभी भी जारी हैं. कांग्रेस आउटरीच प्रोग्राम के तहत 7 से 17 जुलाई तक लगातार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी माना है कि सत्ता में होने के बावजूद उन्हें आम आदमी की आवाज उठाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.
सरकार ने इन मुद्दों पर किए प्रदर्शन
दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में सरकार बनने के साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. पहले सीएए, एनआरसी के मुद्दे पर साल 2019 के शुरूआत में कांग्रेस ने कई विरोध प्रदर्शन किए. खुद सीएम सड़क पर उतरे. इसके बाद कृषि कानूनों के विरोध और फिर बढ़ती महंगाई कई मुद्दों पर कांग्रेस विरोध करती आ रही है.
इस बार कांग्रेस के प्रदर्शन ज्यादा हो रहे
दरअसल, पिछले 10 सालों से कांग्रेस केंद्र में विपक्ष में है, लिहाजा केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखना राजनीतिक लिहाज से बेहद जरूरी है. सत्ताधारी राज्यों में कांग्रेस के लिए धरने प्रदर्शन करने में आसानी रहती है. सरकारी अनुमति से लेकर भीड़ जुटाने तक सहूलियत रहती है हालांकि सड़क पर उतरकर विरोध करने में राजस्थान में बीजेपी शुरू से भारी पड़ती आई है, लेकिन इस बार मामला उलटा है. इस बार कांग्रेस के प्रदर्शन ज्यादा हो रहे हैं. ऐसे में भाजपा नेताओं को प्रदेश में विपक्ष के तौर पर अपनी भूमिका के लिहाज से और अधिक सजग और जागरूक होना होगा.