राजकुमार मिरासी की जनहित याचिका पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव (Justice MM Srivastava) की खंडपीट ने ये आदेश दिए.
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Jaipur: मिरासी समुदाय को एमबीसी में शामिल करने से जुडे़ मामले में राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan HighCourt) ने राज्य सरकार (State government) को निर्देश दिए है कि यदि याचिकाकर्ता इस संबंध में अभ्यावेदन पेश करता है तो उसे 4 महीने में निरस्तारण किया जाए. राजकुमार मिरासी की जनहित याचिका पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव (Justice MM Srivastava) की खंडपीट ने ये आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि एमबीसी में जातियों को शामिल करने का काम प्रशासनिक है, कोर्ट का इसमें कोई क्षेत्राधिकार नहीं है.
मिरासी समुदाय (Mirasi community) की 10 जातियों का भविष्य सरकार तय करेगी. ओबीसी की इन 10 जातियों को एमबीसी में शामिल करना है या नहीं, दूसरे कोटा (Kota News) बनाना है या नहीं, इसका फैसला सरकार को ही करना होगा. राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) के आदेश के बाद ये तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई है.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एमबीसी में जातियों को शमिल करने का काम प्रशासनिक है. कोर्ट का इसमें कोई क्षेत्राधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार (State Government) को 4 महीने में पूरे मामले को निस्तारण करने के आदेश दिए है. इस मामले की पैरवी अधिवक्ता नीलू शर्मा द्धारा की गई थी. फिलहाल इन जातियों को ओबीसी से आरक्षण (OBC Reservation) का लाभ मिल रहा है.
राजस्थान (Rajasthan News) में आरक्षण (Reservation) की लडाई थमने का नाम नहीं ले रही. पहले गुर्जर, फिर जाट और अब ओबीसी की दूसरी जातियां. अपने हक की लडाई के लिए ओबीसी की 10 जातियों ने मोर्चा खोल दिया है. ये 10 जातियां है मुस्लिम मिरासी, मांगणियार, ढाढी, लंगा, दमामी, मीर, नगारची, राणा, बायती और बारोट.
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2 साल पहले इन्ही जातियों की सामाजिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक और आर्थिक वस्तुस्थिति जानने के लिए राज्य पिछडा वर्ग आयोग ने सर्वे की कार्रवाई को शुरू किया था. लेकिन दूसरी जातियों के विरोध के कारण ये सर्वे फाइलों में ही बंद हो गया. 2019 में कई जिलों से इन जातियों की रिपोर्ट भी मांगी गई थी, लेकिन जातियों के आपसी विवाद के कारण सर्वे नहीं हो पाया. हालाकि अब कोर्ट ने आदेश दिए है कि 4 महीने में पूरे मामले का निस्तारण करे.
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ये सभी 10 जातियां भी भारत-पाकिस्तान (Inida-Pakistan) के बंटवारे के समय बंट गई. यानि इन जातियों के कुछ लोग भारत में रह गए और कुछ पाकिस्तान में. अब देश में इनकी आबादी इतनी नहीं है, लेकिन फिर भी राजस्थान में 5 लाख से ज्यादा आबादी का दावा किया गया है. मिरासी समाज विकास संस्थान (Mirasi Social Development Institute) ने सरकार से गुहार लगाई है कि इन जातियों का सर्वे करवाकर इन्हें एमबीसी की तर्ज पर आरक्षण मिले, क्योकि ये जातियां सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछडी हुई है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या निस्तारण करती है.