Interview: स्वास्थ्य मंत्री की नजर से चिकित्सा विभाग के 3 साल, गिनाईं ये उपलब्धियां
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Interview: स्वास्थ्य मंत्री की नजर से चिकित्सा विभाग के 3 साल, गिनाईं ये उपलब्धियां

मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजनान्तर्गत 2 अक्टूबर 2011 से 30 नवम्बर 2021 तक 95 करोड़ 75 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया जा चुका है.

स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा.

Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस सरकार (Congress Government) को तीन साल पूरे हो चुके हैं. बात करते हैं सरकार के उस महकमे की, जो सीधे तौर पर जनता से जुड़ा हुआ है और सीएम गहलोत जिसे लेकर हमेशा संवेदनशील रहते हैं. 

बात है गहलोत सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे की. पिछले साल मार्च 2020 से राजस्थान कोरोना महामारी (Corona pandemic) से जूझ रहा है लेकिन कोरोना रोकथाम से लेकर वैक्सीनेशन कार्यक्रम में राजस्थान ने देश में एक मिसाल कायम की है.

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तीन सालों तक स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी डॉ. रघु शर्मा (Raghu Sharma) के हाथों में रही, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और हाल ही में अब ये जिम्मेदारी राज्य के नए स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा (Parsadi Lal Meena) को सौंपी गई है, जिसे वो बेहतर तरीके से निभा रहे हैं. गहलोत सरकार के तीन साल पूरे होने पर ज़ी राजस्थान न्यूज (ZEE Rajasthan News) के मेडिकल एंड हैल्थ संवाददाता आशुतोष शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा से की ख़ास बातचीत पढ़िए-

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स्वास्थ्य मंत्री की नजर से स्वास्थ्य विभाग के तीन साल -
- मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना एवं मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना के बाद सरकार ने यूनिर्वसल हैल्थ कवरेज के क्षेत्र में कदम उठाते हुए  मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की.
- सरकार ने एक ओर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के आधारभूत ढ़ांचे को सुदृढ करने के लिए व्यापक कदम उठाये गये, वहीं दूसरी ओर वैश्विक कोरोना संकट के दौरान सघन मॉनिटरिंग कर बेहतर प्रबंधन किया गया, जिसकी हर स्तर पर व्यापक सराहना हुई है.
- बेहतरीन कोरोना प्रबंधन का ही परिणाम रहा कि राजस्थान की रिकवरी रेट सबसे बेहतर रही और मृत्युदर भी नियंत्रित रही. कोरोना वैक्सीनेशन के कार्य में भी राजस्थान की गणना देश के अग्रणी राज्यों में हुई.
- कोरोना प्रबंधन के राजस्थान मॉडल को प्रधानमंत्री सहित देश और विदेश में सराहना मिली है. भीलवाड़ा एवं रामगंज मॉडल को केवल देश में नहीं अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाया गया.
- कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाव के लिए भी चिकित्सकीय आधारभूत ढांचे को निरंतर गति दी जा रही है. ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना हेतु विशेष पैकेज के तहत एक करोड़ से अधिक पर निवेश करने पर 25 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख) की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है.

- मेडिकल ऑक्सीजन में आत्मनिर्भरता हेतु 40 हजार से ज्यादा ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक उपलब्ध करवाया गया. साथ ही 450 ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट तैयार कर लिए हैं एवं 31 नये लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक का कार्य प्रक्रियाधीन है.
- सभी जिला मुख्यालयों पर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक बनाने की योजना है. अब तक 18 लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक स्थापित किये जा चुके है.
- चिकित्सा संस्थानों में ऑक्सीजन सर्पोटेड बैड्स की संख्या बढाकर लगभग 60 हजार बैड का लक्ष्य निर्धारित है.
- प्रदेश में 18 वर्ष एवं इससे अधिक आयु के शत-प्रतिशत लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जा रहा है.
- प्रदेश में 3 नवम्बर से 30 नवम्बर 2021 तक ‘हर घर दस्तक’ अभियान के तहत घर-घर जाकर कोविड की प्रथम व द्वितीय डोज से वंचित लोगों की पहचान कर वैक्सीनेशन किया गया.
- प्रदेश में कोविड वायरस के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ न फैले, इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरी सतर्कता एवं चौकसी बरती जा रही है. एयरपोर्ट पर अन्य देशों से आने वाले यात्रियों का अधिक से अधिक आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा है. साथ ही सभी पॉजिटिव रोगियों की जिनोम सिक्वेन्सिंग कराई जा रही है. जिन लोगों में संक्रमण मिला है, उनकी सघन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है.  
- ओमिक्रॉन से संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में अलग से आईसोलेशन वार्ड स्थापित किए गए हैं.
- प्रदेश में 8 दिसम्बर 2021 तक कोरोना वैक्सीन की 7 करोड़ 19 लाख डोज लगाई जा चुकी है. इनमें से 4 करोड़ 42 लाख पहली डोज तथा 2 करोड़ 77 लाख दूसरी डोज है. राजस्थान दोनों में राष्ट्रीय औसत से आगे है.

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना
- राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा 2021-22 में यनिवर्सल हैल्थ कवरेज की अनुपालना में प्रदेश में 1 मई 2021 से मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई.
- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के सम्बद्ध सरकारी एवं निजी अस्पतालों में प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक निशुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की गयी है.
- मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमारियों के निःशुल्क उपचार हेतु कुल 1597 पैकेजेज शामिल है. वर्तमान में राज्य के 788 सरकारी तथा 590 निजी अस्पताल योजना से जुड़ चुके हैं.
- योजना से 1 करोड. 33 लाख के अधिक परिवार जुडे हुए हैं. योजनान्तर्गत 1 मई 2021 से 14 दिसम्बर 2021 तक 5 लाख 86 हजार से अधिक मरीजों को कैशलेस इलाज से लाभान्वित किया गया है.  
- 3 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत विभिन्न चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए अस्पतालों को प्रदान की जाने वाली प्रतिपूर्ति राशि में वृद्धि करने की मंजूरी प्रदान कर दी है. प्रतिपूर्ति राशि की वृद्धि करने से राज्य सरकार द्वारा 350 करोड़ खर्च किए जाएंगे.साथ ही योजना के अंतर्गत कुछ नए स्वास्थ्य पैकेज भी जोड़ें गए हैं. इससे राज्य के बड़े और निजी अस्पतालों में लाभार्थियों द्वारा ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट सर्जरी, एंडोस्कोपी, जनरल सर्जरी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग, न्यूरो सर्जरी आदि का इलाज निशुल्क कराया जा सकेगा.
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सामाजिक आर्थिक जनगणना के पात्र लाभार्थियों को पहले से स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिल रहा था. लेकिन अब छोटे और सीमांत किसान अथवा संविदा कर्मी भी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से मुफ्त चिकित्सा का लाभ उठाने साथ ही राज्य के अन्य परिवार भी केवल ₹850 प्रति वर्ष के प्रीमियम का भुगतान करके इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.

मुख्यमंत्री निरोगी राजस्थान चिरंजीवी स्वास्थ्य‘ शिविर
- प्रदेश में प्रत्येक ग्राम पंचायत पर 14 नवबंर 2021 से 31 मार्च 2022 तक ‘मुख्यमंत्री निरोगी राजस्थान चिरंजीवी स्वास्थ्य‘ शिविरों  का आयोजन. आमजन को निरोगी और स्वस्थ बनाए रखने के लिए ही प्रदेश में 12 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायत और पंचायत समिति स्तर पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है.
-इन शिविरों में 30 वर्ष से अधिक उम्र में प्रत्येक व्यक्ति का स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि समय रहते उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित कई बीमारियों का अर्ली डिटेक्शन संभव है.
-कैम्पों में 37 तरह की खून की जांच, प्रसव पूर्व जांच, टीबी, पेट, नेत्र रोग, लीवर तथा  गुर्दा संबंधी जांच, सिलिकोसिस एवं कुष्ठ रोग की जांच की सुविधा भा उपलब्ध.
- इन स्वास्थ्य शिविरों में सभी प्रकार के संचारी, गैर संचारी रोगों के इलाज की सुविधा भी उपलब्ध. जिनमें  फिजिशियन, शिशु रोग, स्त्री रोग, दंत रोग, नेत्र रोग विशेषज्ञ और आयुष चिकित्सकों  द्वारा चिकित्सा परामर्श  दिया जा रहा है.
-13 दिसम्बर 2021 तक 2 हजार 462 स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर 8 लाख 45 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर 7 लाख 15 हजार से अधिक लोगों का उपचार से लाभान्वित किया गया. साथ ही 13 हजार 574 मरीजों रेफर किए गए.  

मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना
- मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना 2 अक्टूबर, 2011 को लागू कर सभी राजकीय चिकित्सालयों में अंतरंग एवं बहिरंग रोगियों को आवश्यक दवाईयां निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती है.
-वर्तमान में आवश्यक दवा सूची में 711 प्रकार की दवाएं, 181 सर्जिकल एवं 77 सूचर्स कुल 969 दवाईयां सूचीबद्ध है.
- दवा वितरण करने के लिये 33 जिला मुख्यालयों पर 40 जिला औषधि भंडार गृह स्थापित
- मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजनान्तर्गत 2 अक्टूबर 2011 से 30 नवम्बर 2021 तक 95 करोड़ 75 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया जा चुका है.
- वर्तमान में मेडिकल कालेज में 969, जिला अस्पताल में 841, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र 635 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 414 एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों में 50 औषधियां, सर्जिकल्स एवं सूचर्स उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना
- वर्तमान में मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों पर 90, जिला-उप जिला, सैटेलाइट अस्पतालों पर 56, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 37, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 15 प्रकार की जांचे निशुल्क उपलब्ध करवायी जा रही है.
- वरिष्ठ नागरिकों एवं बीपीएल परिवारों के लिए सीटी स्कैन एवं एमआरआई की निशुल्क जांच सुविधा उपलब्ध.
- Free Diagnostics Services Initiatives के अनुसार जांच का दायरा बढ़ाते हुए Turnkey basis पर इन हाउस केपेसिटी बिल्डिंग करते हुए राज्य में 33 मदर लैब, 117 हब लैब एवं 3002 स्पॉकस बनाये जाने है.इसके तहत जिला चिकित्सालय स्तर पर 56 से बढ़ाकर 143 प्रकार की, उप जिला स्तर पर 56 से बढ़ाकर 117 प्रकार की, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 37 से बढ़ाकर 101 प्रकार एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 15 से बढ़ाकर 66 प्रकार की जांचों की सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी.
- मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना के अतिरिक्त राज्य के 54 जिला, उप जिला, सेटेलाईट अस्पतालो में आउटसोर्स के माध्यम से 40 विशिष्ट जाँचें मरीजो को निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है. इसके तहत कैंसर, हारमोन्स आदि की जांचें जिला अस्पतालों में भी उपलब्ध करवाकर रोगियों को लाभान्वित किया जा रहा है.
-07 अप्रैल 2013 से 30 नवम्बर 2021 तक 39 करोड़ 50 लाख से अधिक जांचें निःशुल्क की जा चुकी है, जिससे 17 करोड़ 20 लाख व्यक्ति लाभान्वित हुये हैं.

निरोगी राजस्थान
-‘‘निरोगी राजस्थान अभियान” की शुरुआत 18 दिसंबर, 2019 से की गई .
- राज्य के प्रत्येक राजस्व गांव में एक-एक स्वास्थ्य मित्र (महिला व पुरुष) कुल 79,731 का चयन कर प्रशिक्षित किया जा चुका है.
- शहरी वार्ड में एक-एक स्वास्थ्य मित्र (महिला व पुरुष) कुल 14,373 का चयन कर कुल 13,371 स्वास्थ्य मित्रों को प्रशिक्षित किया जा चुका हैं.
- इस राज्यव्यापी जन स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के अन्तर्गत निम्न लिखित बिन्दुओं पर कार्य किया जा रहा है.
- संचारी रोग (मौसमी बीमारियां) एवं गैर संचारी रोग (जीवनशैली आधारित- मोटापा, मधुमेह, बीपी, मनोरोग, हृदयरोग, पक्षाघात, कैंसर

फेफड़ा संबंधी रोग)
-मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (एनीमिया, कुपोषण, शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विकास)
-टीकाकरण एवं वयस्क टीकाकरण (सम्पूर्ण टीकाकरण)
-किशोरावस्था स्वास्थ्य (एनीमिया, कुपोषण, मोटापा, माहवारी स्वच्छता)

-वृद्धावस्था में स्वास्थ्य की देखभाल (जेरियाट्रिक केयर)
-जनसंख्या स्थिरीकरण (परिवार कल्याण कार्यक्रम)
-खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ अभियान
-प्रदूषण नियंत्रण एवं जलवायु संबंधी बीमारियों की रोकथाम
-नशा मुक्ति अभियान (शराब, ड्रग्स, तम्बाकू)

शुद्ध के लिए युद्ध
-खाद्य पदार्थों में मिलावट पर कड़ा नियंत्रण हमारी विशेष प्राथमिकता- स्वास्थ्य मंत्री
-“शुद्ध के लिए युद्ध” के तहत खाद्य कारोबारी संस्थाओ का निरीक्षण कर खाद्य नमूने लेकर उनकी जांच तथा अन्य आवश्यक कार्यवाही की जा रही है.

- वर्तमान में 11 जिलों (जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, अलवर, भरतपुर, बीकानेर, बांसवाड़ा, चुरू एवं जालौर) में खाद्य प्रयोगशालायें क्रियाशील है. इनमें से 9 एन.ए.बी.एल अधिकृत करवाया जा चुका है. शेष 2 चुरू एवं जालौर के एन.ए.बी.एल. किये जाने का कार्य प्रक्रियाधीन है.
- शेष 22 जिलों में भी खाद्य प्रयोगशालाएं स्थापित की जायेगी.

- राज्य में वर्तमान में 9 चल खाद्य प्रयोगशाला में संचालित की जा रही है. जिससे आमजन द्वारा काम में लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों की ऑन स्पॉट जांच की जाती है.
- मिलावट करने वाले खाद्य व्यापारियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 272 व 273 को प्रभावी बनाने हेतु आवश्यक संशोधन प्रक्रियाधीन है. प्रदेशवासियों को शुद्ध एवं गुणवत्ता पूर्ण खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ''Directorate of Food Safety''  भी स्थापित किया गया है.

- वर्ष 2020-21 नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-5 के वर्तमान आंकड़ों के अनुसार स्वास्थ्य सूचकांकों में जबरदस्त सुधार हुआ है.

- नवजात शिशु मृत्युदर में भी सुधार के बेहतर परिणाम नजर आए हैं. प्रति हजार जन्म पर अब नवजात शिशु मृत्युदर 29.8 से घटकर 20.2 रह गई है. इसी प्रकार शिशु मृत्युदर प्रति हजार जन्म पर 41.3 से घटकर 30.3 हुई है. 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में यह दर 50.7 से कम होकर 37.6 हो गई है.
- संस्थागत जन्म के प्रतिशत में भी अच्छे परिणाम दृष्टिगोचर हुए हैं. एनएफएचएस-4 के आंकड़ो के अनुसार पहले संस्थागत जन्म का 84 प्रतिशत था, जो कि अब बढ़कर 94.9 हो गया है.
- प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच सेवाओं का प्रतिशत 63 से बढ़कर 76.3 हुआ है और कुल 4 प्रसव पूर्व जांच सेवाओं में यह प्रतिशत 38.5 से बढ़कर 55.3 हो गया है.
- परिवार कल्याण सेवाओं में कुल प्रजनन दर 2.4 से अब घटकर 2 हो गई है. साथ ही परिवार कल्याण सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है.
- प्रदेश में पीसीपीएनडीटी अधिनियम की प्रभावी पालना और लगातार मॉनिटरिंग से लिंगानुपात में आशातीत सुधार हुआ है. एनएफएचएस-4 के आंकड़ो के अनुसार पहले प्रति एक हजार पुरूषों पर महिलाओं की संख्या 973 थी, जो कि अब बढ़कर 1009 हो गयी है. इसी प्रकार बाल लिंगानुपात 887 के मुकाबले अब 891 हो गया है.

चिकित्सा संस्थानों का सुदृढ़ीकरण
-194 नये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का सृजन
-202 नए उप स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना
-111 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में क्रमोन्यन
-17 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का उपजिला अस्पताल में क्रमोन्यन
-दो उप जिला चिकित्सालय ( कोटपूतली-जयपुर एवं केकड़ी-अजमेर) का जिला चिकित्सालय में क्रमोन्नयन किया गया है.
-नये 30 ट्रोमा सेन्टर स्वीकृत किये गये है जिनके भवन निर्माण एवं उपकरण खरीद की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है.
-विभिन्न चिकित्सालयों में 5 हजार से अधिक शैय्याओं की वृद्धि की गयी है.
-4 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रांे खेरथल-अलवर, सांगानेर-जयपुर, औसियां-जोधपुर एवं वल्लभनगर-उदयपुर को सैटेलाईट अस्पताल में क्रमोन्नयन किया गया है.
-राजकीय चिकित्सालय फलौदी, जिला जोधपुर को जिला चिकित्सालय का दर्जा दिया गया. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पीपाड सिटी,जिला जोधपुर को जिला चिकित्सालय का दर्जा दिया गया.
-प्रदेश में 1331.49 करोड़ रुपये लागत से 7574 स्वास्थ्य कल्याण केन्द्र, 547 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 228 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 68 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया गया.
-सरकार के तीन वर्ष के शासनकाल में 2 हजार 737 से अधिक चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की गई.
-अराजपत्रित वर्ग में 11 हजार 474 पदों पर नर्सिंगकर्मियों एवं 1 हजार 648 पदों पर पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जा चुकी है.  
-कम्यूनिटी हैल्थ ऑफिसर के 7000 से अधिक पदों पर नियुक्ति प्रदान की गई.

चिकित्सा शिक्षा
-चिकित्सा शिक्षा के आधारभूत ढ़ांचे को सुदृढ़ करने के साथ ही राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जिसके प्रत्येक जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं.
-वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 15 नये मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति प्राप्त होना ऐतिहासिक स्वर्णिम उपलब्धि है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में ही इन सभी 15 नये मेड़िकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूर्ण कर इन्हें प्रारंभ कर दिया जायेगा.
- राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में जीवन रक्षक उपकरणों से युक्त 22 एडवांस लाइफ सपोर्ट क्रिटिकल केयर एंबुलेंस उपलब्ध करवायी गयी.  
-राजकीय क्षेत्र में एमबीबीएस, पीजी एवं पीजी डिप्लोमा सीटों में व्यापक वृद्धि हुई है.
-राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस सीटों मे वर्ष 2019.20 में 650 एवं वर्ष 2020.21 में 230 सीटों की बढ़ोतरी की गयी. वर्तमान में राजकीय क्षेत्र में राज्य में कुल 2830 एमबीबीएस सीटें हो चुकी है.

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