दूधाखेड़ी माता को चढ़ाया जाता है जिंदा मुर्गा, नवरात्रि में दिखा श्रद्धालुओं का अंबार
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1005604

दूधाखेड़ी माता को चढ़ाया जाता है जिंदा मुर्गा, नवरात्रि में दिखा श्रद्धालुओं का अंबार

झालावाड़ जिले के भवानी मंडी के समीप स्थित सीमावर्ती दूधाखेड़ी माता (Dudhakhedi Mata) के धाम पर भी इन दिनों श्रद्धालुओं का सैलाब दिखाई दे रहा है.

दूधाखेड़ी माता.

Jhalawar: राजस्थान के झालावाड़ (Jhalawar News) जिले में भी नवरात्रि (Navratri 2021) के दौरान माता के सभी शक्तिपीठों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है. हालांकि प्रशासन द्वारा कोरोना (Corona) गाइडलइन की पालना करवाते हुए मेलों का आयोजन प्रतिबंधित रखा गया है. 

यह भी पढ़ेंः राजपरिवार की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं कैलादेवी, हर मनोकामना होती है पूर्ण

झालावाड़ जिले के भवानी मंडी के समीप स्थित सीमावर्ती दूधाखेड़ी माता (Dudhakhedi Mata) के धाम पर भी इन दिनों श्रद्धालुओं का सैलाब दिखाई दे रहा है. नवरात्रि के दौरान तो यहां माता के नौ रूप दिखाई देते हैं और प्रतिदिन माता का भिंड स्वरूप का एहसास होता है जो श्रद्धालुओं के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं होता. 

दूधाखेड़ी माता का चमत्कार
वहीं, लकवा ग्रस्त मरीजों के लिए तो यह किसी धार्मिक अस्पताल से कम नहीं है बड़े निजी अस्पतालों से भी जो लकवा ग्रस्त मरीज निराश हो जाते हैं. उनके परिजन इन मरीजों को लेकर जहां पहुंचते हैं और कुछ दिन यहां रुकने के बाद लकवा ग्रस्त मरीज भी अपने पैरों पर चलकर जाता हुआ नजर आता है. 

मरीजों के परिजनों ने बताया कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी उन्हें बड़े निजी अस्पतालों में भी मरीज का उपचार नहीं मिल पाया. साथ ही न कोई सुधार हुआ. अंत में अस्पतालों से निराश होने के बाद अब माता दूधाखेड़ी की ही शरण में आए हैं और बीते 2 दनों में ही यहां रुकने के बाद मरीज में अपेक्षित सुधार महसूस हो रहा है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. कई लोग जो यहां हवन कुंड की परिक्रमा लगा रहे और यह वह लोग हैं जो दूधाखेड़ी माता की शरण में अपनी गुहार लेकर आए थे और मुरादें पूरी होने के बाद यह यहां हवन कुंड की परिक्रमा लगाकर माता की आरती में शामिल होंगे. 

यह भी पढ़ेंः भारत-पाकिस्तान युद्ध का गवाह बना एक मंदिर, सीमा पर दुश्मनों से रक्षा करती हैं तनोट माता

माता का प्रतिदिन ही अलग रूप नजर आता है
देर शाम होते ही ढोल नगाड़ों के साथ माता की आरती के दौरान मां दूधाखेड़ी की प्रतिमाओं को एकटक निहाराना मुश्किल होता है. इनका तेज इतना होता है इन प्रतिमाओं में कि कोई नजर भी नहीं मिला सकता है. नवरात्रि में तो माता का प्रतिदिन ही अलग रूप नजर आता है. 

साथ हीं, जिन लकवा ग्रस्त मरीजों को यहां स्वास्थ्य लाभ मिलता है. वह जहां मन्नत पूरी होने के बाद जिंदा मुर्गों को छोड़कर माता का आभार जताते हैं तो कई श्रद्धालु चांदी के पत्रों पर ढले मुर्गो को यहां भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं. बरहाल माता का यही चमत्कार है, जो यहां नवरात्रि ही नहीं बल्कि वर्ष भर हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब लगातार बना रहता है. 

क्षेत्रीय विधायक देवीलाल धाकड़ ने बताया कि माता का चमत्कार ही है, जो यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है और लकवा ग्रस्त मरीजों के लिए तो यह मन्दिर चमत्कारिक है. साथ हीं, जिन लोगों का अस्पतालों में इलाज नहीं होता वह यहां ठीक होकर अपने घर लौट जाते हैं. प्रशासन द्वारा सरकार की मदद से यहां मंदिर के नवीन भवन का निर्माण किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को और अधिक सुविधाएं और सहूलियत उपलब्ध हो पाएगी. 

Reporter- Mahesh Parihar

Trending news