असमय हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि की मार ने अन्नदाता के चेहरों पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. फसल का बीमा तो होता है, लेकिन फसल बर्बाद होने पर कास्तगार बीमा कंपनी का मुंह देखते रह जाते हैं.
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Kota: असमय हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि की मार ने अन्नदाता के चेहरों पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. फसल का बीमा तो होता है, लेकिन फसल बर्बाद होने पर कास्तगार बीमा कंपनी का मुंह देखते रह जाते हैं.
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किसानों से बीमा के नाम पर छलावा हो रहा है. राम तो रुठ ही चुके हैं ,सरकार से भी सिर्फ आश्वासन मिलता है. अन्नदाता को मदद की दरकार, किसानों से वादे तो बड़े-बड़े किये जाते हैं लेकिन आदान अनुदान के तगत सिर्फ किसानों को धोखा ओर फरेब मिलता है.
बीते दिनों हुई ओलावृष्टि और अतिवृष्टि ने हाड़ौती के किसानों के चेहरों से रौनक उड़ा दी है. वजह है सरकार और बीमा कंपनियों की साजिश. किसान बीमे के नाम पर करोड़ों के प्रीमियम भरते हैं, लेकिन जब बारी बीमा पास होने की आती है तो मिलता है नाम मात्र का मुआवजा. किसान की खाड़ी फसल ओलावृष्टि और अतिवृष्टि की भेंट चढ़ जाती है, नेता पहुंचते हैं, टीमें आती हैं, मुआवजे की भी बात होती है, लेकिन ये सब सिर्फ किसान के साथ छलावा मात्र होता है.
बीते दिनों कोटा में हुई ओलावृष्टि और अतिवृष्टि के चलते इटावा और सांगोद इलाकों में फसल तबाह हो गई, जिसकी वजह से किसानों को खासा नुकसान भी हुआ. वह किसान जो फसल को बेचकर अपने कामों को अंजाम देना चाहता था लेकिन बिन मौसम बारिश ने उसके माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी.
खेतों में लहराती फसलों को देखकर जो चेहरे खुशी से खिले हुए थे, आज वहीं खेतों में आड़ी-पड़ी फसलों को देखकर मुरझा गए हैं. सांगोद क्षेत्र में तेज आंधी, ओले और बारिश से फसलों को खासा नुकसान पहुंचा है. किसान जहां बारिश से गेहूं, चना, सरसों में 30 से लेकर 60 फीसदी तक नुकसान का दावा कर रहे हैं, वहीं कृषि विभाग फसलों में खराबे के नुकसान के आंकलन में जुटा हुआ है. किसानों का कहना है कि सरकार खेतों की गिरदावरी करवाएं और किसानों को पर्याप्त मुआवजा दें.
किसानों का कहना है कि मंगलवार दोपहर तक फसल पूरे यौवन पर थी. इस बार उन्हें गेहं, सरसों के बंपर उत्पादन की उम्मीद थी लेकिन आंधी और बरसात से कई गांवों में ओलावृष्टि से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया. राम के रूठने के बाद अब किसान राज से राहत की उम्मीद में है. किसान राजेन्द्र नागर ने बताया कि उनके खेतों में गेहूं की फसल आड़ी पड़ गई. तेज हवा के कारण कई जगह गेहूं की बालियां आपस में उलझ गई. फसल पर आड़ी पड़ने से गेहूं में करीब 40 से 60 फीसदी नुकसान होने की आशंका है. पानी में भीगने से जहां गेहूं के आकार छोटे हो जाएंगे, वहीं काला भी पड़ जाएगा. जिसके चलते उत्पादन कम होने के साथ ही भाव कम मिलने से हजारों रुपये का नुकसान होगा.
किसानों के अधिकार और बेबसी के इस मुद्दे पर संभागीय आयुक्त का इस मामले में कहना है कि फसल बीमा योजना भी राजस्थान में सक्रिय है, जिसका भी लाभ किसानों को मिलेगा. जहां तक अनुदान आदान की राशि आकर पड़े होने का सवाल है, आपने यह मामला संज्ञान में लाया है. अगर ऐसा है तो मैं प्रॉमिस करता हूं कि अगले 15 दिन में वह पैसा किसानों के खाते में पहुंच जाएगा.
राम अन्नदाता से खफा है, अब अन्नदाता की निगाहें राज पर टिकी हुई है. राम की मार से अन्नदाता राज की और मुंह ताके देख रहा है. हालांकि प्रदेश सरकार किसानों को लेकर बहुत ही संजीदा है और इस बार अलग से बजट भी लाई है, लेकिन सरकार द्वारा चलाई जा रही किसानों के हित की योजनाओं का धरातल पर किसानों को कितना फायदा पहुंच पाता है यह देखने वाली बात होगी.