शशि मोहन, जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को गुरूवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तीन राज्यों में सीएम रहे वसुंधरा के अलावा शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है. जहां पार्टी के इस फैसले के बाद राजे ने ट्वीट कर पार्टी के निर्णय के साथ होने की बात कही है. वहीं, उनकी नियुक्ति के साथ ही पार्टी के इस फैसले पर राज्य की राजनीति में पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक पहलू पर भी राज्य में चर्चा हो रही है.
जहां, पार्टी की तरफ से बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद पूर्व मुख्यमन्त्री ने राजे ने ट्वीट कर बीजेपी संगठन के साथ ही राष्ट्रीय अध्य्क्ष अमित शाह और प्रधामन्त्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है. पूर्व सीएम राजे ने कहा है कि उन पर भरोसा जताते हुए पार्टी ने जो ज़िम्मेदारी दी है, उसका निर्वहन वे पूरी निष्ठा से करेंगी. लेकिन वसुंधरा के केन्द्रीय राजनीति में जाने की कयास के बीच पार्टी में इस बात की चर्चा भी शुरु हो गई है कि इस फैसले से बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान?
आइए जानते हैं राजे के बीजेपी के केंद्रीय समिति में जाने से क्या हो सकते हैं सकारात्मक बदलाव?
1. चुनाव से पहले पार्टी का एक धड़ा मानता था कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व के चलते राजस्थान में बीजेपी के प्रति नकारात्मक माहौल बन रहा है और संगठन को अब वसुंधरा राजे की ज्यादा जरूरत नहीं है. लेकिन केंद्र ने राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर यह संकेत दिया है कि बीजेपी में अभी भी वसुंधरा राजे अहम भूमिका में रहेंगी.
2. वसुंधरा राजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने से राजस्थान की गतिविधियों में उनका दखल कुछ हद तक कम हो सकता है. ऐसे में पार्टी का जो धड़ा वसुंधरा राजे की सक्रियता के चलते बीजेपी के संगठन से दूर चल रहा था, वह अब पार्टी में फिर से सक्रिय होता दिखाई देगा.
3. वसुंधरा राजे के केंद्र में प्रमोशन के साथ ही राजस्थान का महत्व बीजेपी के संगठन में बढ़ा है. अब बीजेपी में राजस्थान से दो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हो गए हैं. अब वसुंधरा राजे और ओम माथुर दोनों बीजेपी को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाएंगे.
4. वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने से यह भी साबित हो गया है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को अभी भी बड़े चेहरों की जरूरत है.
5. वसुंधरा राजे की मौजूदगी में प्रदेश में बीजेपी नेताओं की दूसरी लाइन मजबूती से नहीं उभर पाई थी. ऐसे में अब वसुंधरा केंद्र में जाती है तो राजस्थान में भी नए नेताओं की संभावनाएं बनेगी.
6. वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने से प्रदेश में बीजेपी का नेतृत्व मजबूत हो सकेगा. अभी तक वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री या नेता प्रतिपक्ष रहते प्रदेश अध्यक्ष का पद कमतर समझा जाता था, लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष के पद की गरिमा बहाल हो सकेगी.
7. वसुंधरा समर्थकों के एक धड़े का मानना है कि अब तक नारा लगाते हुए पार्टी कार्यकर्ता कहते थे कि, केसरिया में हरा-हरा, राजस्थान में वसुंधरा. लेकिन अब यह नारा बदल जाएगा और इसमें "हिन्दुस्तान में वसुंधरा" जुड़ जाएगा.
8. इस फ़ैसले ने 15 साल बाद एक बार फिर वसुंधरा राजे के लिए केन्द्रीय राजनीति का रास्ता खोल दिया है.
वसुंधरा राजे के केंदीय राजनीति में जाने से राजस्थान में क्या हो सकता है नकारात्मक असर ?
1. वसुंधरा राजे के केंद्र में जाने से राजस्थान बीजेपी में बड़े चेहरे की कमी हो सकती है. अभी तक प्रदेश बीजेपी में वसुंधरा राजे भीड़ खींचने वाले एकमात्र चेहरे के रूप में पहचानी जाती थी.
2. दो बार मुख्यमंत्री और एक बार नेता प्रतिपक्ष रहते वसुंधरा राजे ने बीजेपी के विधायक दल को बांधे रखा. अब नए नेता प्रतिपक्ष के लिए विपक्ष को बांधे रखना भी चुनौती का काम होगा.
3. वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने के बाद अगर राजस्थान में उनका दखल रहा तो प्रदेश बीजेपी में आपसी प्रतिस्पर्धा और संघर्ष की स्थिति बढ़ सकती है.
4. वसुंधरा राजे के राष्ट्रीय संगठन में जाने से केंद्रीय नेतृत्व को भी कुछ हद तक चुनौती मिल सकती है.
5. वसुंधरा राजे ने 15 साल में अपने समर्थकों और वसुंधरा फैन क्लब के रूप में एक बड़ी फैन फॉलोइंग तैयार की थी. अगर यह फैन फॉलोइंग और वसुंधरा के समर्थक बीजेपी से छिटकता है तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है.