Neem Ka Thana: सामाजिक संस्था 'मुक्त आकाश' की पहल, कचरा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा
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Neem Ka Thana: सामाजिक संस्था 'मुक्त आकाश' की पहल, कचरा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा

Neem Ka Thana, Sikar News: राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में भिक्षावृत्ति और कचरा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाई से जोड़कर जीवन शैली सुधारने के मकसद से सामाजिक संस्था 'मुक्त आकाश' की ओर से अनूठी पहल शुरू की गई. इसे मिशन फुटपाथ पाठशाला का नाम दिया गया है और फुटपाथ पाठशाला औद्योगिक क्षेत्र में सड़क किनारे रोज शाम को दो घंटे लगती है. 

Neem Ka Thana: सामाजिक संस्था 'मुक्त आकाश' की पहल, कचरा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा

Neem Ka Thana, Sikar News: राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में भिक्षावृत्ति और कचरा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाई से जोड़कर जीवन शैली सुधारने के मकसद से सामाजिक संस्था 'मुक्त आकाश' की ओर से अनूठी पहल शुरू की गई. इसे मिशन फुटपाथ पाठशाला का नाम दिया गया है और फुटपाथ पाठशाला औद्योगिक क्षेत्र में सड़क किनारे रोज शाम को दो घंटे लगती है. इसमें फिलहाल 70 बच्चे जुड़े हुए हैं और बच्चों को निशुल्क पढ़ाई के साथ यूनिफॉर्म पैन, किताब जैसी चीजें भी मुहैया करवाई जाती हैं.

फुटपाथ पाठशाला नाम से स्कूल की पहल शुरू करने वाले लोग मुक्त आकाश नाम की संस्था के निदेशक ललित दार्शनिक बताते है कि कोविड के दौर में एक बच्चे को कूड़ा बीनते देखा और वह रूमाल सूंघते हुए नशा भी कर रहा था, उसे टोका और पूछा कि पढ़ते क्यों नहीं, तो उसने जवाब दिया, हमें कौन पढ़ाएगा हमारे पास पैसे भी नहीं, कचरा बीनने वाले पैसो से हमारा घर चलता है. अगले ही दिन ललित ने दोस्तों से चर्चा कर मुक्त आकाश नाम की संस्था बनाई और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को इससे जोड़ा. शुरुआत में बच्चे भी नहीं आए और उनके घरवालों ने भी विरोध किया।, लेकिन बाद में सब ठीक होता गया. अब फुटपाथ पाठशाला से 70 बच्चे जुड़े हैं.

गजेन्द्र मोदी, संजीव मोदी, जेपी यादव, कृष्ण कुमार, राजू सैनी सहित कई लोगों की टीम फुटपाथ पाठशाला से जुड़ी फुटपाथ पाठशाला में पढ़ने के बाद बच्चों के रहन-सहन और सोच में भी बदलाव आया है. फुटपाथ पाठशाला के शुरुआती दिनों में 10 से 15 बच्चे आते थे और बाद में झुग्गियों में रहने वालों से बातचीत हुई. बच्चों और अभिभावकों की काउंसलिंग की तो माहौल ठीक होता गया. कोविड के बाद बच्चे भी बाहर नहीं जा सकते थे, ऐसे में फुटपाथ पाठशाला चल पड़ी. पाठशाला दोपहर साढ़े 3 बजे से साढ़े 5 बजे तक लगती है और रोजाना स्कूल यूनिफॉर्म में आते हैं. बैग, किताब, पैन-पेंसिल और रजिस्टर भी लोगों के सहयोग से दिलाया गया है. 

यूनिफॉर्म और शूज भी सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से बच्चों को मिले हैं. संस्था की ओर से 2 अध्यापक भी बच्चों को पढ़ाने के लिए रखे गए हैं, जिनको सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से उन्हें मेहनताना दिया जाता है. संस्था के निदेशक ललित दार्शनिक ने बताया कि फुटपाथ पाठशाला की शुरुआत तब हुई जब उन्होंने कुछ बच्चों को कचरा बीनते हुए और नशा करते हुए देखा, जब बच्चों को शिक्षा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सर हमें कौन पढ़ाएगा और कैसे पढ़ें, उस दिन ऐसा लगा कि बच्चों का बचपन और भविष्य दोनों अंधकार में है और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जो बच्चों की दिशा और दशा दे सकती है, उसी दिन से बच्चों और माता-पिता की काउंसलिंग शुरू की शहर की झुग्गी झोपड़ी में गए और उनके माता-पिता से बात की और बच्चों से बात की शुरुआती दौर में काफी समस्याएं आई. 

माता-पिता इससे सहमत नहीं थे और बच्चों के माता-पिता का कहना था कि बच्चे दो घंटे आपके पास पढ़ने जाएंगे उतने समय में बच्चे 50 से 60 रुपये का कचरा बिनेगा, तो हम बच्चों को आपके पास शिक्षा के लिए क्यों भेजें. फिर भी हमने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करते रहे और बार-बार बच्चों के घर गए और माता-पिता की काउंसलिंग की, बच्चों की काउंसलिंग की धीरे-धीरे उन्होंने शुरुआती दौर में 10 बच्चे जोड़ें, फिर 15 बच्चे जोड़ें और ऐसे जुड़ते-जुड़ते 70 बच्चे फुटपाथ पाठशाला में जुड़ गए और शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि उनके सामने बड़ी समस्या बच्चों को बिठाने की आई, जो अकेले व्यक्ति से संभव ही नहीं था, तो उन्होंने सबसे पहले एक टीम बनाई उसमें सबसे पहले उनका साथ गजेंद्र मोदी ने दिया, जिसमें बच्चों की जो भी जरूरत होती है, जैसे- स्टेशनरी, कपड़ों की संस्था के अध्यक्ष गजेंद्र मोदी द्वारा भामाशाह के सहयोग से बच्चों को उपलब्ध करवाई गई. संस्था के अध्यक्ष गजेंद्र मोदी ने बताया कि बच्चों के पढ़ाई का खर्चा भामाशाह बंटी मोदी के द्वारा उनका बहुत सहयोग किया गया. 

साथ ही उन्होंने बताया कि जयपुर की रोटरी क्लब द्वारा संस्था को 1 लाख रुपये का सहयोग दिया गया, जिसमें संस्था के द्वारा लगाए गए अध्यापकों का जो खर्चा है वह अध्यापकों को दे सकें और बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके. फुटपाथ पाठशाला में पढ़ने वाली ज्योति और गोलू ने बताया कि वह पहले कचरा बीनने का काम करते थे, लेकिन 4 माह पहले संस्था द्वारा उनसे संपर्क किया गया और अब वह 4 माह से लगातार फुटपाथ पाठशाला में आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ाई कर बहुत अच्छा लगता है.

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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वह बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहते है. फुटपाथ पाठशाला में पढ़ने वाली कविता ने बताया कि वह चार माह से पाठशाला में आ रही है, वह आगे पढ़कर टीचर बनना चाहती है. वही अब धीरे-धीरे संस्था से अब कई व्यक्ति जुड़ने लगे हैं. राजू सैनी ने बताया कि वह 4 माह से संस्था से जुड़े हुए हैं और संस्था को अपना सहयोग दे रहे हैं. संस्था के ललित दार्शनिक ने बताया कि अब फुटपाथ पाठशाला में संसाधनों की कमी अखर रही है. सर्दी और बारिश के मौसम में खुले आसमान के नीचे पढ़ने में बच्चों को दिक्कत होती है.

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