सीआरपीएफ के पूर्व आईजी वीपीएस पंवार के अनुसार, सुरक्षाबलों की सुरक्षा में मौजूद खामियों को समय रहते दूर किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में जवानों को शहादत से बचाया जा सके.
Trending Photos
नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में तैनात जवानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाबलों ने पुलवामा आतंकी हमले की बारीक विवेचना शुरू कर दी है. विवेचना में उन सभी पहलुओं को टटोला जा रहा है, जिन्हें भविष्य में सुधार कर जवानों की सुरक्षा को पुख्ता किया जा सके. सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक वीपीएस पंवार के अनुसार, अब जरूरत है कि हम उन सभी खामियों की विवेचना करें, जिसके चलते आतंकी इस नापाक हमले को अंजाम देने में सफल हो गए. इन खामियों को समय रहते दूर किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में जवानों को शहादत से बचाया जा सके.
वीपीएस पंवार के अनुसार, सीआरपीएफ के इस काफिले में करीब 78 वाहन शामिल थे. इनमें करीब 2500 से अधिक जवान सवार थे. इतने बड़े काफिले को एक साथ रवाना करना सुरक्षाबलों की पहली सबसे बड़ी चूक थी. बीते सात दिनों से रास्ता बंद होने के चलते जब एक जगह पर इतने जवान एकत्रित हो गए थे, ऐसे में जवानों को हवाई मार्ग से गंतव्य तक पहुंचाया जा सकता था. पूर्व महानिरीक्षक वीपीएस पंवार ने कहा कि उनके पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कश्मीर के मौजूदा महानिरीक्षक ने जवानों को वायुसेना की मदद से गंतव्य तक पहुंचाने का प्रस्ताव भेजा था. बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनका यह प्रस्ताव अफसरशाही की भेंट चढ़ गया.
जवानों की शहादत से गुस्से में CRPF, कहा- 'ना भूलेंगे और ना ही माफ करेंगे, हमले का बदला लेंगे'
वीपीएस पंवार के अनुसार, जिस जगह पर यह आतंकी हमला हुआ है, वह जवाहर टनल के बाहर निकलते ही है. यह जगह न केवल रूट की सबसे संवेदनशील जगहों में एक है, बल्कि बेहद खुली हुई है. इस रूट से गुजरने वाले काफिले अक्सर यहां चाय पीने के लिए रुकते हैं. इस बात की जानकारी सुरक्षाबलों को भी है और शायद इस बात को आतंकियों ने भी भांप लिया था. जब कल (गुरुवार) यह हमला हुआ, उस समय काफिला रुकने की तैयारी में था और वाहनों की रफ्तार बेहद धीमी थी. इसी बीच, वहां पहले से मौजूद कार ने सीआरपीएफ की एक बस को टक्कर मार कर विस्फोट कर दिया.
2547 जवानों के काफिले में आखिर कैसे हुई इतनी बड़ी चूक ?
वीपीएस पंवार ने बताया कि नियमत: जब भी सुरक्षाबलों का काफिला कहीं से गुरजता है, उस इलाके को सेनेटाइज करना बेहद जरूरी होता है. इसके अलावा, सभी संवेदनशील स्थानों पर आरओपी तैनात की जाती है. आरओपी में शामिल जवानों को हाईवे के दोनों तरफ तैनात किया जा सकता है. जिससे संभावित हमले को पहले से भांपकर उसे नाकाम किया जा सके. बीते दिन हुए इस हमले में मौके पर कोई आरओपी मौजूद नहीं थी. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि आतंकियों ने पहले इस इलाके की रेकी की. जिसमें उसने पाया कि इस जगह पर जवानों की तैनाती नहीं होती है, लिहाजा उन्होंने हमले के लिए इस जगह को चुना.