नागरिकता संशोधन बिल पास, सोनिया गांधी बोलीं - आज का दिन संविधान के लिए काला दिन
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नागरिकता संशोधन बिल पास, सोनिया गांधी बोलीं - आज का दिन संविधान के लिए काला दिन

नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया. बिल पर लंबी चर्चा के बाद वोटिंग हुई. बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े.

बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े.

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया. बिल पर लंबी चर्चा के बाद वोटिंग हुई. बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े. लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका था. शिवसेना ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. वोटिंग के वक़्त बीएसपी के 2 सांसद अनुपस्थित अशोक सिद्धार्थ और राजाराम गैरहाजिर रहे. बिल पास होने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज का दिन भारतीय संविधान के इतिहास का काला दिन है. 

उधर, बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिल पास होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,, "आज राज्यसभा में ऐतिहासिक 'नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019' के पास होने पर आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी और आदरणीय गृह मंत्री अमित शाह का हृदय से अभिनंदन करता हूं तथा इस विधेयक का समर्थन करने वाले सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं. यह संशोधित विधेयक (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे अल्पसंख्यकों को भारत में गरिमापूर्ण जीवन के जीने का अवसर प्रदान करेगा. लंबे समय से अन्याय का दंश झेल रहे इन अल्पसंख्यक विस्थापितों को आज मोदी सरकार के प्रयास से न्याय प्राप्त हुआ है."

इससे पहले, बिल पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "अगर देश का बंटवारा नहीं होता तो यह बिल कभी भी नहीं लाना पड़ता. देश के बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं. पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता."  

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उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया. लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही. और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे. यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ है.

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