नागरिकता संशोधन कानून (Citizen Amendment Act- CAA) और NRC के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का असर अब व्यापारियों और व्यवसायों पर दिखने लगा है. पश्चिम बंगाल के बेकरी व्यवसायी इससे खासा निराश हैं. दरअसल, 25 दिसंबर को क्रिसमस है. इसके एक महीना पहले से ही बेकरियों में क्रिसमस केक बनने शुरू हो जाते हैं. हुगली ज़िले के बैंडेल, चुचुड़ा, चंदननगर, भद्रेश्वर, चापदानी जैसे कई इलाको में अधिकतम बेकरियां हैं. इन बेकरियों में क्रिसमस के समय केक की मांग सबसे अधिक होती है.
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कोलकाता: नागरिकता संशोधन कानून (Citizen Amendment Act- CAA) और NRC के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों का असर अब व्यापारियों और व्यवसायों पर दिखने लगा है. पश्चिम बंगाल के बेकरी व्यवसायी इससे खासा निराश हैं. दरअसल, 25 दिसंबर को क्रिसमस है. इसके एक महीना पहले से ही बेकरियों में क्रिसमस केक बनने शुरू हो जाते हैं. हुगली ज़िले के बैंडेल, चुचुड़ा, चंदननगर, भद्रेश्वर, चापदानी जैसे कई इलाको में अधिकतम बेकरियां हैं. इन बेकरियों में क्रिसमस के समय केक की मांग सबसे अधिक होती है.
इसी दौरान राज्य के विभिन्न जिलों से केक बनानेवाले कारिगर यहां हुगली जिले में रोजगार की तलाश में आते हैं. इनमें से अधिकतर मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते हैं. हावड़ा, मुर्शिदाबाद, बर्दवान जैसे इलाकों से यह सभी कारिगर आते हैं. मगर आए दिन हो रहे CAA-NRC के विरोध और हिंसा को देखते हुए सभी कारिगर अपने अपने घरों को लौट गए हैं.
हुगली जिले के राजहाट में स्थित बंगाल बेकरी में काम करने वाले कारिगर रिंकू मंसूरी पैसे कमाने के लिए अपने गांव से हुबली आए थे. लेकिन यहां आकर उन्हें चिंता सता रही है कि आगे क्या होगा. उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है. वह जल्द से जल्द काम खत्म कर अपने गांव लौट जाना चाहते हैं.
वहीं दूसरी तरफ कारखाने के अधिकारी नबाब अलीमोल्ला ने भी NRC के प्रभाव के चलते इन मजदूरों की बात को सही माना. हलांकि उन्होंने यह भी बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए क्रिसमस का केक हम बनाकर ही रहेंगे.
कारखाने के मालिक सेनुरुल सरकार ने बताया कि पिछले कुछ सालों में नोटबांदी, GST जैसी समस्याओं के चलते हमें भुगतना पड़ा. अब NRC-CAA के चलते बेकारी भी बढ़नी शुरू हो गई है. अब अगले साल क्या लाएंगे क्या पता.
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