गुजरात: बेटे की पढ़ाई के लिए दिव्यांग पिता किडनी बेचने को मजबूर
Advertisement
trendingNow1543420

गुजरात: बेटे की पढ़ाई के लिए दिव्यांग पिता किडनी बेचने को मजबूर

नवसारी के आदिवासी इलाके में वासंदा तालुका के उपसल गांव में रहने वाले शिक्षित दिव्यांग पिता अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए अपनी किडनी बेचने को मजबूर हो गया है.

गुजरात: बेटे की पढ़ाई के लिए दिव्यांग पिता किडनी बेचने को मजबूर

नवसारी: अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आज माँ-बाप अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. ऐसे भी केस देखे गए हैं जहां अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए अपनी प्रॉपर्टी तक गिरवी रख देते हैं या बेच देते हैं. लेकिन एक ऐसा पिता भी है, जो अपने होनहार बेटे को पढ़ने के लिए अपनी किडनी बेचने को तैयार हो गया है. नवसारी के आदिवासी इलाके कहे जाने वाले वासंदा तालुका के उपसल गांव में रहने वाले शिक्षित दिव्यांग पिता अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए अपनी किडनी बेचने को मजबूर हो गया है.
 
जयेश पटेल 1995 में चिखली कॉलेज से ग्रेजुएट हुए उसके बाद उन्होंने आईटीआई की और नौकरी की तलाश करने लगे. लेकिन नौकरी मिलने से पहले ही जयेश की जिंदगी में अँधेरा छा गया. जयेश को नौकरी के लिए कंपनियों से कॉल लेटर आने लगे, लेकिन वो कही नौकरी ज्वाइन करे इससे पहले ही अचानक उनकी आँखों की रोशनी चली गई. जिस समय यह हादसा हुआ उस समय जयेश का बेटा साहिल पांच साल का था. साहिल बड़ा हुआ और 10वीं कक्षा में आ गया. साहिल 10 वी कक्षा में 90.57% मार्क्स लेकर आया.

पिता दिव्यांग है. माँ मजदूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाने के साथ साथ बेटे को पढाई भी करवा रही थी. लेकिन अब उनकी हैसियत से ज्यादा बच्चे की पढाई के लिए पैसा चाहिए जो उनके पास नहीं है. अब पिता ने बेटे को पढ़ाने के लिए अपनी किडनी बेचने का निर्णय लिया है. जयेश पटेल किसी ऐसे इंसान की तलाश कर रहे हैं, जिसको किडनी की जरुरत हो और बदले में उनके बेटे की पढाई के लिए पैसे दे दे.

लेकिन डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले बेटे को पिता के किडनी बेचने की बात मंजूर नहीं है. साहिल कहता है कि कुछ भी काम कर लूंगा, लेकिन पिता को किडनी नहीं बेचने दूंगा. फ़िलहाल तो साहिल प्रताप नगर हाईस्कूल में साइंस विषय में एडमिशन लेकर स्कूल जाता है.

Trending news