सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'तीन तलाक' अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका
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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 'तीन तलाक' अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका

केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद, पिछले साल 19 सितंबर को ‘मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों की सुरक्षा) अध्यादेश’ पहली बार अधिसूचित किया गया था. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के चलन को दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने समस्त केरल जमीयतुल उलेमा नाम के संगठन की तरफ से दायर की गई याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे. 

पीठ ने कहा, ‘‘याचिका में चुनौती क्योंकि एक अध्यादेश को दी गई है, हम इस रिट याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नही हैं. हालांकि, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि हमनें मामले के गुणदोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है. रिट याचिका इसी के मुताबिक खारिज की जाती है.’’ केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के कुछ घंटों बाद, पिछले साल 19 सितंबर को ‘मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों की सुरक्षा) अध्यादेश’ पहली बार अधिसूचित किया गया था. 

एक बार में तलाक-तलाक-तलाक कह कर विवाह विच्छेद करने की यह प्रक्रिया तलाक-ए-बिद्दत कहलाती है. मुस्लिम पुरूष एक साथ तीन तलाक कह कर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. अध्यादेश में इसी प्रक्रिया को दंडनीय अपराध बनाया गया है. एक साल से भी कम समय में इस अध्यादेश को 21 फरवरी को तीसरी बार जारी किया गया.

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