Payal Kapadia: कभी कहा गया 'एंटी नेशनल', अब कांस जीतने पर पूरा भारत मना रहा जश्न... कहानी FTII ग्रेजुएट पायल कपाड़िया की
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Payal Kapadia: कभी कहा गया 'एंटी नेशनल', अब कांस जीतने पर पूरा भारत मना रहा जश्न... कहानी FTII ग्रेजुएट पायल कपाड़िया की

Cannes Grand Prix: पायल कपाड़िया ने फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' के लिए कांस फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स अवार्ड जीता है. पायल पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) की छात्रा रही हैं. कॉलेज के दिनों में उन्होंने FTII में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध किया था. जिसके लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

 

Payal Kapadia: कभी कहा गया 'एंटी नेशनल', अब कांस जीतने पर पूरा भारत मना रहा जश्न... कहानी FTII ग्रेजुएट पायल कपाड़िया की

Who is Payal Kapadia: फ्रांस में आयोजित 77वें कांस फिल्म फेस्टिवल में शनिवार को भारत ने इतिहास रचते हुए पहली बार ग्रैंड प्रिक्स अवॉर्ड जीता है. FTII से ग्रेजुएट पायल कपाड़िया की फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' को समारोह का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड से नवाजा गया. कांस अवार्ड की श्रेणी में ग्रांड प्रिक्स अवार्ड, पाल्मे डी'ओर (Palme d’Or) अवार्ड के बाद दूसरा सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है. 

कांस फिल्म फेस्टिवल में पायल कपाड़िया निर्देशित फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' की स्क्रीनिंग जब खत्म हुई तो दर्शक करीब आठ मिनट तक खड़े होकर ताली बजाते रहे. केरल से आकर मुंबई में रह रही नर्सों के जीवन पर आधारित इस फिल्म में कनी कुश्रुति, दिव्या प्रभा, छाया कदम और ह्रदय हारून ने किरदार निभाया है.

पूरा देश मना रहा है जश्न

प्रतिष्ठित कांस फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीत के बाद आज पूरा देश जश्न मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बधाई देते हुए लिखा है, " भारत को पायल कपाड़िया और उनकी फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' के कांस फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व है. FTII की पूर्व छात्रा रही पायल की अद्भूत प्रतिभा वैश्विक मंच पर चमकती रहती है जो भारत के अद्भूत क्रिएटिविटी को दर्शाता है. यह प्रतिष्ठित सम्मान न केवल उनके असाधारण स्किल का सम्मान करता है बल्कि भारतीय फिल्म निर्माताओं की नई पीढ़ी को भी प्रेरित करता है."

हालांकि, पायल कपाड़िया के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा है. पायल जब पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) की छात्रा थीं. उस वक्त उन्होंने FTII में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध किया था. 139 दिनों तक चले इस विरोध प्रदर्शन में पायल प्रमुख चेहरा थीं. जिसके लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. यहां तक कि उन्हें 'एंटी नेशनल' कहा गया और विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए 'पाकिस्तान जाओ' के नारे का सामना करना पड़ा था.  पायल को 'एंटी नेशनल' से देश के लिए 'गौरव का पल' बनने में करीब नौ साल लग गए. पायल के इस सफर पर एक नजर डालते हैं.

गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध 

एक्टर से पॉलिटिशियन बने गजेंद्र चौहान की FTII में नियुक्ति के विरोध में छात्रों ने जून 2015 से अक्टूबर 2015 के बीच 139 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था. देश के प्रमुख फिल्म संस्थान  FTII के इतिहास में सबसे लंबी हड़ताल में से एक थी. छात्रों का कहना था कि गजेंद्र चौहान की पेशेवर योग्यता इस पद पर बैठने की नहीं है. इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहीं पायल कपाड़िया ने कहा था कि पिछली सरकारों ने भी FTII को लेकर कई भारी गलतियां की हैं. उन्होंने संस्थान को ऐसे बाबुओं के हाथ में दे दिया जिन्हें सिनेमा की कोई जानकारी नहीं है. तीन मार्च को चौहान का कार्यकाल खत्म हो गया और सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाया.

पायल कपाड़िया की छात्रवृत्ति पर क्यों लगी थी रोक?

दिसंबर 2016 की बात है. पायल कपाड़िया FTII में फिल्म निर्देशन की फाइनल ईयर स्टूडेंट थीं. पायल उन छह छात्रों में शामिल थीं जिन्हें विदेशी मुद्रा कार्यक्रम के लिए चुना गया था. इसके अलावा पायल को 22 हजार की एक स्कॉलरशिप भी मिली थी. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने पायल कपाड़िया और कई अन्य छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए इसके लिए अयोग्य घोषित कर दिया था.

पायल कपाड़िया उन 35 छात्रों में शामिल हैं जिनका नाम FTII के तत्कालीन निर्देशक प्रशांत पाथराबे को उनके कार्यालय में कथित तौर पर जबरन हिरासत में रखने का आरोप है. यह मामला अभी भी लंबित है और पुणे मजिस्ट्रेट में इस केस की सुनवाई होती है.

मामला क्या था?

FTII में छात्रों के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल खत्म होने के दो महीने बाद कॉलेज प्रशासन ने 2008 बैच के छात्रों द्वारा जमा किए गए फाइनल प्रोजेक्ट को 'जैसा है जहाँ है' के आधार पर मूल्यांकन करने की घोषणा की. चूंकि, इस विरोध प्रदर्शन में 2008 बैच के कई छात्र आंदोलन में सबसे आगे थे. ऐसे में कॉलेज प्रशासन के इस कदम को 2008 बैच के छात्रों को डिप्लोमा से वंचित करने के कदम के रूप में देखा गया.

जैसे ही 2008 बैच के छात्रों के फाइनल प्रोजेक्ट का मूल्यांकन शुरू हुआ, छात्रों के एक समूह ने FTII के तत्कालीन निदेशक प्रशांत पाथराबे से उनके केबिन में मुलाकात की और उनसे इस निर्णय को वापस लेने के लिए कहा. इसी बीच छात्रों और प्रशासन के बीच बहस शुरू हो गई. छात्र उनके कार्यालय के साथ-साथ लॉबी में भी धरने पर बैठ गए. जिससे प्रशांत अपने कार्यायल से नहीं निकल सके. स्थिति बिगड़ने के बाद FTII प्रशासन ने पुलिस बुलाई जिसने निदेशक को बलपूर्वक वहां से निकालने की कोशिश की जिससे अराजक स्थिति पैदा हो गई और कार्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा.

अगले दिन FTII निदेशक प्रशांत ने 17 छात्रों को नामित करते हुए 50 छात्रों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बाद में 18 और लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई. तीन दिन बाद पुलिस ने FTII परिसर में छापा मारकर सात छात्रों को गिरफ्तार कर लिया. बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. जबकि कपाड़िया सहित अन्य छात्रों को अग्रिम जमानत मिल गई.

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