बंगाल में राज्यपाल VS ममता! West Bengal के Governor Jagdeep Dhankhar पर TMC के आरोपों की सच्चाई
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बंगाल में राज्यपाल VS ममता! West Bengal के Governor Jagdeep Dhankhar पर TMC के आरोपों की सच्चाई

राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कई मौकों पर पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार की आलोचना की है. चाहे वो जेपी नड्डा पर हमले की बात हो या फिर राज्य में किसान सम्मान निधि योजना को लागू नहीं करना हो. राज्यपाल द्वारा पार्टी की खुलेआम आलोचना से टीएमसी (TMC) गुस्से में है.

फोटो में बाईं तरफ जगदीप धनखड़ और दाईं तरफ ममता बनर्जी (फाइल फोटो) | फोटो साभार: PTI

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने राज्य के गवर्नर जगदीप धनखड़ की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हटाने की मांग की है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल राजभवन से राजनीति कर रहे हैं. वो राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल करते हैं.

लेकिन इसकी सच्चाई क्या है और बीजेपी (BJP) इस पर क्या कह रही है. ये जानना जरूरी है. बता दें कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अब तक जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है वो अपशब्द नहीं हैं. फिर भी टीएमसी उन पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है. पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के खिलाफ अभी तक इन शब्दों का उपयोग किया है.

Culpable- दोषी
Anarchy- अराजकता
Lawlessness- अराजकता
Political Police- राजनीतिक पुलिस
Collapse of Law and Order- कानून और व्यवस्था का पतन
Grave Threat to Demcracy- लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा
Politician Officials- राजनीतिक अधिकारी

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दरअसल राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पिछले दिनों कई मौकों पर राज्य सरकार की आलोचना की है. चाहे वो जेपी नड्डा पर हमले की बात हो या फिर राज्य में किसान सम्मान निधि योजना को लागू नहीं करना हो. राज्यपाल द्वारा पार्टी की खुलेआम आलोचना से टीएमसी (TMC) गुस्से में है. इसी वजह से उसने राष्ट्रपति को राज्यपाल के खिलाफ ज्ञापन सौंपा है.

हालांकि बीजेपी टीएमसी (TMC) के आरोपों को राजनीतिक बता रही है. साथ ही साथ टीएमसी (TMC) सरकार को अपना कामकाज को ठीक करने की नसीहत दे रही है.

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गौरतलब है कि संविधान में राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों के काम पहले से तय हैं. ऐसे में दोनों को एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र का सम्मान करना चाहिए. लेकिन पश्चिम बंगाल में ऐसा हो नहीं रहा है. सवाल ये है कि संवैधानिक मर्यादा को हमारे राजनेता कब समझेंगे?

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