ZEE जानकारी: चीन से सटी सीमाओं को सुरक्षित बना रहा है भारत
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ZEE जानकारी: चीन से सटी सीमाओं को सुरक्षित बना रहा है भारत

भारत ने चीन की सड़क वाली चाल का जवाब सड़क से देने की योजना बनाई है

ZEE जानकारी: चीन से सटी सीमाओं को सुरक्षित बना रहा है भारत

कल हमने चीन की सड़क निर्माण योजना के तहत भारत को घेरने वाली साज़िश को Expose किया था. लेकिन आज हमारे पास जो ख़बर है, वो चीन को भी चिंता में डाल सकती है. क्योंकि, भारत ने चीन की सड़क वाली चाल का जवाब सड़क से देने की योजना बनाई है. चीन के अखबार South China Morning Post ने एक लेख छापा है. जिसमें इस योजना का ज़िक्र किया गया है. लेकिन इस योजना से जुड़ी बातों से पहले आपको एक तस्वीर देखनी चाहिए. ये तस्वीर चीन की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है.

इस Video में आपने जिस विमान को Land होते हुए देखा, वो भारतीय वायुसेना का मालवाहक विमान AN-32 Transport Aircraft है. और तस्वीरें सिक्किम के Pakyong Airport की हैं. जिसे पिछले वर्ष सितम्बर में शुरु किया गया था. सिक्किम की Pakyong Airfield देश की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है. और सबसे बड़ी बात ये है, कि ये Airfield भारत और चीन की सीमा से सिर्फ 60 किलोमीटर की दूरी पर है. समुद्र तल से साढ़े चार हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद Pakyong Airfield, 1700 मीटर लम्बी और 30 मीटर चौड़ी है. इस Airfield पर मालवाहक विमान उतारने के पीछे का मकसद है, सिक्किम के दूर-दराज़ के इलाकों में अपनी पहुंच बढ़ाना. इसकी अहमियत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि चीन की सीमा के क़रीब 60 किलोमीटर के दायरे पर भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना की पैनी नज़र बनी रहेगी. वायु सेना जल्द ही इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमान उतारने की तैयारी में है.

वर्ष 2017 में डोकलाम में गतिरोध के बाद से चीन से सटी करीब चार हजार किलोमीटर की सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास में तेज़ी से काम हो रहा है. चीन की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के Tuting वायुक्षेत्र में पिछले साल मार्च में वायुसेना के मालवाहक विमान C-17 ग्लोबमास्टर को उतारा गया था. यानी चीन अगर सड़क वाली चाल चल रहा है. तो भारत उससे एक कदम आगे है. अब South China Morning Post के लेख की बात करते हैं.

चीन के इस अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सीमा से सटे 5 राज्यों में भारत 44 नई सड़कों का निर्माण करेगा. जिनमें से कुछ पर काम शुरु भी हो चुका है. इन सभी सड़कों का निर्माण हो जाने के बाद भारतीय सैनिकों को तेज़ी से सीमा तक पहुंचाने में मदद मिलेगी.

ये सभी 44 सड़कें, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बनेंगी. आपको बता दें, कि यही पांच राज्य हैं, जिनकी सरहद, चीन से मिलती है.

चीन ने लम्बे अरसे पहले भारतीय सीमा के पास तिब्बत के पठार पर एक विशाल रेल और सड़क नेटवर्क तैयार करने का काम शुरु कर दिया था. आज चीन की सड़कें ठीक भारतीय सीमा तक आती हैं. जिनके ज़रिए चीन के सैनिक अपने हथियारों के साथ बहुत तेज़ी और आसानी से भारतीय सीमा तक आ सकते हैं.

दुर्भाग्य से भारत ने हिमालय में अपनी सरहद के आस-पास Infrastructure बनाने में बहुत लापरवाही बरती. पिछले एक दशक में सैनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 72 सड़कों को बनाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन इनमें से ज़्यादातर सड़कें अपनी तय समय सीमा से बहुत Late चल रही हैं. यानी इनका काम अभी पूरा नहीं हुआ है. हालांकि, पिछले कुछ सालों से इस काम में तेज़ी लाई गई है. लेकिन अब भी चीन कम से कम Infrastructure के मामले में भारत से बहुत आगे है. अगर आप कभी सिक्किम जाएंगे, और नाथूला तक की यात्रा करेंगे, तो नाथूला Pass के ऊपर खड़े होकर आप भारतीय और चीनी सड़कों के बीच का फर्क देख सकते हैं.

चीन की जिस सरहद तक Zee News की टीम गई, वहां भी स्थिति यही है. लेकिन एक बात है, जिसमें भारत, चीन से बहुत आगे है. और वो है, भारतीय सैनिकों का जोश. कल हमने 15 हज़ार फीट की ऊंचाई पर तैनात भारतीय सेना के Tanks का विश्लेषण किया था. लेकिन आज हम आपको 17 हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद हिमालय के उस पार तिब्बत के पठार पर लेकर चलेंगे. तिब्बत के पठार को दुनिया की छत और Third Pole भी कहते हैं. यहां, बर्फीली हवाएं.. अपने सामने आने वाली वस्तु को जमा देती हैं. लेकिन, माइनस 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान का Torture भी भारतीय सैनिकों की हिम्मत के सामने सरेंडर कर देता है. 

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