ZEE Jankari: कश्‍मीर पर पश्‍च‍िमी म‍ीड‍िया क्‍यों रच रहा है झूठ का पाखंड
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ZEE Jankari: कश्‍मीर पर पश्‍च‍िमी म‍ीड‍िया क्‍यों रच रहा है झूठ का पाखंड

पाकिस्तान के लोगों ने Social Media पर कश्मीर के पुराने Videos, Upload करके उसे नया साबित करने की कोशिश की. और पूर्वाग्रह से पीड़ित कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों ने इसमें उनकी मदद की. ऐसा क्यों है, आज इसे समझने की भी ज़रुरत है. Militants और Terrorists, दोनों का अपना-अपना एजेंडा होता है.

ZEE Jankari: कश्‍मीर पर पश्‍च‍िमी म‍ीड‍िया क्‍यों रच रहा है झूठ का पाखंड

आज ईद के मौके पर सबसे पहले हम आपको कश्मीर से आई शानदार तस्वीरें दिखाते हैं. शांति और खुशियों की इन तस्वीरों को देखकर पाकिस्तान को बहुत बुरा लगेगा. लेकिन पूरे देश को ये तस्वीरें बहुत अच्छी लगेंगीं और सुकून देंगी. आज जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ बकरीद का त्यौहार मनाया गया. देश के अन्य हिस्सों की तुलना में जम्मू-कश्मीर के लिए आज का दिन कई मायनों में ऐतिहासिक था, क्योंकि, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ये पहला मौका था, जब राज्य के लोग बड़ी संख्या में अपने घर से बाहर निकले और बकरीद का त्यौहार मनाया. लेकिन, जम्मू-कश्मीर के लोगों के चेहरे पर आई खुशी कुछ लोगों को रास नहीं आ रही.

ऐसे लोग पाकिस्तान में भी हैं. भारत में भी हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फैले हुए हैं. जब से Article 370 का अंत हुआ है, तब से ऐसे लोग अंदर ही अंदर काफी जल रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के बारे में भ्रामक ख़बरें फैलाकर ऐसा साबित करने की कोशिश की जा रही है, जैसे धारा 370 हटाए जाने के बाद वहां पर चारों तरफ खून-खराबा हो रहा है. हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. और हज़ारों की संख्या में लोग एक जगह इकट्ठा होकर रैलियां कर रहे हैं और भारत से आज़ादी की मांग कर रहे हैं.

आपने BBC यानी British Broadcasting Corporation का नाम जरूर सुना होगा. ये संस्था खुद को दुनिया की सबसे ईमानदार News Organisation बताती है. BBC उर्दू के Youtube Account पर दो दिन पहले एक Video, Upload किया गया. जिसका शीर्षक था, भारत प्रशासित कश्मीर : सौरा में प्रदर्शन के दौरान कई घायल

क़रीब सवा तीन मिनट के इस Video में ये दावा किया गया, पिछले हफ्ते शुक्रवार को नमाज़ के बाद कश्मीर के सौरा में हज़ारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और सुरक्षाबलों के साथ उनकी झड़प भी हुई. तस्वीरों की मदद से ये भी बताने की कोशिश की गई, कि हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग की और इस दौरान कई लोग घायल भी हुए.

उसी दिन BBC News हिन्दी के Twitter Handle से उसके संवाददाता का एक Video अपलोड किया गया, जिसमें उसका स्थानीय पत्रकार जुमे की नमाज़ का ज़िक्र करते हुए, ये कह रहा था, कि ज़्यादातर हिस्सों में हालात सामान्य रहे और कुछ जगहों पर पत्थरबाज़ी की छोटी-मोटी घटनाएं हुईं. इसी संवाददाता ने अपनी Reporting के दौरान उस हिंसक झड़प का ज़िक्र किया. जिसे BBC उर्दू ने Upload किया था और इसके लिए उसने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उसपर ध्यान देने की ज़रुरत है.

BBC हिन्दी के स्थानीय पत्रकार ने सौरा की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि 'कहा जाता है कि हज़ारों की तादात में प्रदर्शनकारी अपने घरों से बाहर आए.' 'कहा जाता है' शब्द का इस्तेमाल उस स्थिति में होता है, जब कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर Sure नहीं है. या फिर उसने किसी और के मुंह से किसी घटना का ज़िक्र सुना है.

Video सामने आने के बाद अलग-अलग News Agencies और टीवी चैनल्स ने इसे प्रमुखता दी, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने बयान दिया कि श्रीनगर में 10 हज़ार लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाने की ख़बर ग़लत और मनगढ़ंत है. श्रीनगर और बारामूला के कुछ हिस्सों में छोटी-मोटी घटनाएं ज़रूर हुई. लेकिन उन घटनाओं में 20 से ज़्यादा लोग इकट्ठा नहीं थे.

बाद में कश्मीर रेंज के Inspector General of Police एसपी पाणि ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे ग़लत बताया. यही बात जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी कही. BBC उर्दू ने जो Video, अपलोड किया, वो कितना प्रामाणिक है, ये जांच का विषय है, क्योंकि, संविधान से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी और ऐसी स्थिति में किसी एक जगह पर 10 हज़ार या उससे ज़्यादा लोगों का इकट्ठा होना, संभव नहीं था.

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में उनसे संपर्क भी किया है और पूछा है, कि अगर उनके पास उस Video की सच्चाई साबित करने का कोई सबूत है, तो उसे सामने लाएं. इस News Organisation ने अपनी Footage को सही बताते हुए कहा है, कि ज़रुरत पड़ने पर वो उसका Raw Footage उपलब्ध करा सकते हैं.
 
इसके अलावा BBC News की Press Team के आधिकारिक Twitter Handle से एक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया, कि वो अपनी खबर पर कायम है. कश्मीर पर आधारित उस Video को लेकर जो भी सवाल उठाए जा रहे हैं, वो उसका खंडन करता है. अपने बयान में इस संस्था ने ये भी कहा, कि वो पूरी निष्पक्षता के साथ रिपोर्टिंग कर रहा है और आगे भी करता रहेगा.

हालांकि, इसी ख़बर का एक पहलू ऐसा भी है, जिसके बारे में कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्थान आपको कुछ नहीं बता रहा. शुक्रवार को सुरक्षा व्यवस्था ढीली होने के बाद Facebook, Twitter और Instagram के माध्यम से अफवाहें फैलाई गईं.
Kashmir Wants Freedom और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान, जैसे Hashtags Trend कराए गए.

पाकिस्तान के लोगों ने Social Media पर कश्मीर के पुराने Videos, Upload करके उसे नया साबित करने की कोशिश की. और पूर्वाग्रह से पीड़ित कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों ने इसमें उनकी मदद की. ऐसा क्यों है, आज इसे समझने की भी ज़रुरत है. Militants और Terrorists, दोनों का अपना-अपना एजेंडा होता है.

ये राजनीतिक, धार्मिक या किसी हिंसक विचारधारा से प्रेरित हो सकते हैं. लेकिन ये दोनों ही किसी भी देश की एकता और अखडंता के लिए ख़तरा होते हैं. भारत सहित पश्चिमी मीडिया के कई अखबार आतंकवादियों को Terrorist की जगह Millitant कहते हैं. कुछ मौकों पर उनके लिए Gunman या Extremist शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी सोच रखने वाले लोगों के लिए भारत को लहुलुहान करने वाले आतंकवादी Freedom Fighter हैं. जब जैश ए मोहम्मद भारत पर हमला करता है. तो BBC जैसी संस्थाएं, उसे "PAKISTAN-BASED GROUP" बताती हैं. पुलवामा हमले में शामिल आतंकवादी को ये लोग Young कश्मीरी कहकर संबोधित करते हैं.

कुछ दिनों पहले ही London में आयोजित हुए एक Global Conference में भारत विरोधी एजेंडा चलाया जा रहा था. ये प्रचार किया जा रहा था, कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है. लेकिन उस वक्त प्रसार भारती के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार A. Surya Prakash को खड़ा होना पड़ा और भारत विरोधी एजेंडा चलाने वालों को जवाब देना पड़ा. हैरानी इस बात की भी होती है, कि जब पश्चिमी देशों पर ISIS और अलकायदा के आतंकी हमला करते हैं, तो ये Hyper हो जाते हैं. अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों में एक छुरी भी चल जाए, तो ये लोग आतंक-आतंक चिल्लाने लगते हैं.

लेकिन भारत आते-आते इनका आक्रोश शांत हो जाता है। सवाल ये है कि क्या ऐसा करना एक तरह की शाब्दिक चालाकी नहीं है? क्या Millitant जैसे मुलायम शब्दों का इस्तेमाल करने वाले लोग आतंकवादियों की मदद नहीं करते? ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन आतंकवादियों को भाई साहब कहा जाने लगेगा और उन्हें वीर कहकर पुकारा जाने लगेगा। देशप्रेम की भावनाओं का सरेआम मज़ाक उड़ने लगेगा और आतंकवादियों के हौसले आसमान तक पहुंच जाएंगे. इसलिए, आज हम ये पूछना चाहते हैं, कि इस एजेंडे का इलाज कैसे होगा, जिसमें बिना इंटरव्यू दिखाए, कुछ पत्रकार, पाकिस्तान के राजदूत बन जाते हैं..और आतंकवादियों का महिमामंडन करना शुरु कर देते हैं.

तथ्यों को घुमा-फिरा कर इस्तेमाल करने में और अपना एजेंडा चलाने में पश्चिमी मीडिया को महारत हासिल है. वो भारत को अपमानित करने का एक भी मौका हाथ से जाने नहीं देता. लेकिन, इसी पैमाने पर जब ब्रिटेन के खिलाफ आवाज़ उठती है, तो उसपर आधारित कोई Video Footage जारी नहीं होता.

उदाहरण के तौर पर मार्च 2019 की ये तस्वीर देखिए, जिसमें कुछ लोगों ने हाथों में एक बैनर ले रखा था. जिस पर लिखा था, England, Get Out Of Ireland....कश्मीर के संदर्भ में BBC उर्दू कहता है, ‘Indian Occupied Kashmir’ लेकिन, वो Ireland की पीड़ा भूल जाता है. भारत और आयरलैंड दोनों ही ब्रिटेन के गुलाम थे और आज़ादी के लिए दोनों ही देशों ने एक जैसी लड़ाई लड़ी.

कई शताब्दियों तक ब्रिटेन के शासन में रहने के बाद 1916 में आयरलैंड में विद्रोह हुआ और इसके कुछ वर्षों के बाद आयरलैंड का बंटवारा किया गया. ये बंटवारा इस प्रकार किया गया कि ब्रिटेन के साथ रहने वाले आयरलैंड यानी उत्तरी आयरलैंड में Protestant ईसाई लोगों का बहुमत रहे और बाकी समूचे द्वीप पर कैथोलिक समुदाय बहुसंख्यक हो. Protestant ईसाई धर्म को मानने वाले वो लोग हैं, जो Roman Catholic Church की परंपरा को नहीं मानते.

यानी अंग्रेज़ों ने ऐसा बंटवारा किया, कि उत्तरी आयरलैंड की बड़ी आबादी ने ब्रिटेन से विलय का समर्थन किया और दूसरी तरफ एक ऐसी राष्ट्रवादी आबादी है, जो Irish एकता की वक़ालत करती है  और चाहती है कि समूचे आयरलैंड को एक अलग देश का दर्जा मिले.

आयरलैंड आज एक गणतंत्र है, जो कि ब्रिटिश नियंत्रण से मुक्त है जबकि इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड मिलकर ग्रेट ब्रिटेन बनाते हैं और उत्तरी आयरलैंड, इन तीनों के साथ मिलकर, इसे United Kingdom बनाते हैं.

यानी जम्मू-कश्मीर की छवि बिगाड़ने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है लेकिन, सच्ची तस्वीरें आपको कोई नहीं दिखा रहा. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, घाटी में शांति स्थापित करने के लिए लोगों से मिल रहे हैं. उनके बीच जाकर उनसे बातें कर रहे हैं. आज उन्होंने श्रीनगर और कश्मीर घाटी के कुछ इलाकों का हवाई सर्वेक्षण भी किया. और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित माहौल देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को बधाई भी दी. लेकिन, ये तस्वीरें अंतर्राष्ट्रीय मीडिया नहीं दिखाएगा. जो लोग, Propaganda चलाते हैं, वो ये तस्वीरें नहीं दिखाएंगे. लेकिन, हम उनकी कोशिश कामयाब नहीं होने देंगे.इसलिए अब आप जम्मू-कश्मीर से आई 100 फीसदी शुद्ध और सच्ची तस्वीरें देखिए.

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