वीरता, साहस और आत्मसम्मान का प्रतीक है झांसी. वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का ताल्लुक यहीं से था. एक समय यह ग्वालियर रियासत का हिस्सा हुआ करता था. बुंदेलखंड की सियासत में झांसी लोकसभा सीट काफी अहम है. यहां सबसे ज्यादा बार कांग्रेस जीती, 6 बार भाजपा और सपा-बसपा को भी एक-एक बार मौका मिला है. झांसी लोकसभा सीट में झांसी और ललितपुर जिले की पांच विधानसभाएं शामिल हैं. ललितपुर महरौनी और ललितपुर के अलावा झांसी से बबीना, मऊरानीपुर और सदर सीट है. हाल के चुनावों में पूरे इलाके में भगवा परचम लहराया. कुशवाहा, ब्राह्मण, कोरी और साहू जाति के वोटर अच्छी तादाद में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में झांसी जिले का कुछ हिस्सा और पूरा ललितपुर जिला शामिल है.2011 की जनगणना के मुताबिक यहां एससी वोटर 24 प्रतिशत यानी करीब 5 लाख हैं. ST वोटर 2.7 प्रतिशत यानी करीब 55 हजार हैं.झांसी सीट के 65 प्रतशत वोटर ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं. शहरी वोटर 35 प्रतिशत (7 लाख से ज्यादा) हैं. 2019 लोकसभा चुनाव के समय झांसी सीट पर कुल 20 लाख 40 हजार वोटर थे.
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