बिहार के काराकाट लोकसभा क्षेत्र का नाम पहले बिक्रमगंज हुआ करता था. साल 2008 में नए परिसीमन के बाद यह काराकाट हो गया. उसके बाद 2009 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. तब जदयू उम्मीदवार महाबली सिंह ने जीत हासिल की थी.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक काराकाट लोकसभा क्षेत्र में यादव, कुशवाहा, राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, दलित, महादलित, कुर्मी, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की ठीकठाक संख्या है. सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं. उनकी आबादी तीन लाख से भी ज्यादा बताई जाती है. इसके अलावा सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं. इस सीट पर राजपूत और वैश्य मतदाताओं की संख्या भी दो-दो लाख है. वहीं, ब्राह्मण 75 हजार और भूमिहार समाज के 50 हजार वोटर हैं.
इसके अलावा, कुशवाहा (कोइरी) और कुर्मी मतदाताओं की संख्या मिलाने पर करीब ढाई लाख होता है. मुस्लिम वोटर्स भी काराकाट सीट पर खासा असर रखते हैं. उनकी आबादी करीब डेढ़ लाख है. कहा जाता है कि यादव और कुर्मी-कोयरी वोट बैंक को साध लेने से काराकाट में जीत हासिल की जा सकती है. काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुल आबादी 24,89,118 है. वहीं, मतदाताओं की संख्‍या 18,16,644 हैं. यहां की साक्षरता दर 73.33 प्रतिशत है. राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस लोकसभा क्षेत्र की दूरी 980 किलोमीटर और बिहार की राजधानी पटना से करीब 126 किलोमीटर है. भोजपुरी और हिंदी भाषी काराकाट लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय या राष्ट्रीय मुद्दों पर जातीय समीकरण ही हावी रहते हैं.
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