कोरोना वायरस (Coronavirus) के दौर में हमने कुछ अच्छी बातें सीखी हैं, कुछ ऐसे सबक हमने लिए हैं जिनको हम भुला बैठे थे. ये सबक बहुत ही पॉजिटिव (Positive) हैं जो हमारे और हमारे परिवार के लिए अहम स्थान रखते हैं. जानिए ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं, जो हमें कोरोना ने सिखाई व समझाई हैं.
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नई दिल्ली: कोविड-19 (COVID-19) की वजह से हुए लॉकडाउन (Lockdown) और लॉकडाउन के बाद उसके असर से लाइफस्टाइल (Lifestyle) बदलने की प्रक्रिया को भविष्य में शायद ही कोई भुला पाएगा. इस महामारी ने हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के तमाम देशों के नागरिकों के जीवन में उथल-पुथल मचा रखी है. हम लोग अपने ही घरों में कैदियों की तरह बंद हो गए हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से ज्यादातर नकारात्मक परिणाम देखने-सुनने को मिल रहे हैं. सच्चाई भी यही है कि बहुत से लोग इसकी वजह से अपना रोजगार खो बैठे हैं तो कुछ लोग शारीरिक व मानसिक बीमारी का शिकार बन गए हैं.
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कोरोना में मिली सीख
कोरोना के दौरान पिछले कई महीनों में कुछ अच्छी बातें हमने सीखी हैं, कुछ ऐसे सबक हमने लिए हैं जिनको हम भुला बैठे थे. ये सबक बहुत ही पॉजिटिव (Positive) हैं जो हमारे और हमारे परिवार के लिए अहम स्थान रखते हैं. तो आइए जानें कि ऐसी कौन-सी महत्वपूर्ण बातें हैं, जो हमें कोरोना ने सिखाई व समझाई हैं.
सीमित संसाधनों में रहना
कोविड-19 में बिताए गए पिछले कुछ महीनों के दौरान हमने सीखा कि कम से कम साधनों का इस्तेमाल करके भी हम कैसे शांति से जीवन व्यतीत कर सकते हैं. इसके साथ ही हमें समझ आया कि ज्यादा से ज्यादा समय घर पर भी आराम से अपना काम करते हुए बिताया जा सकता है.
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स्वास्थ्य का महत्व
दौड़-धूप और व्यस्तता के चलते हम लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति कुछ लापरवाह से हो चले थे. लेकिन जैसे ही कोरोना नाम की बीमारी ने हमारे देश में प्रवेश किया, तब हमें समझ में आया कि हमारा स्वस्थ रहना कितना महत्वपूर्ण है. एक कहावत भी है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का वास होता है. इसका मतलब यह है कि अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो दुनिया की कोई ऐसी चीज नहीं है, जो आपको खुश रख सकेगी.
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एक-दूसरे की तकलीफ को महसूस करना
आधुनिक समय कुछ ऐसा आ गया है कि कोई एक-दूसरे की दुख-तकलीफ को समझने के लिए तैयार नहीं है. किसी के भी पास किसी की तकलीफ को समझने का समय ही नहीं है. लेकिन कोरोना काल के पिछले कुछ महीनों से लोग एक-दूसरे की तकलीफ को सुनने, समझने व महसूस करने के लिए समय निकालने लगे हैं. एक-दूसरे की तकलीफ को सुनकर उनकी मदद करने की कोशिश करने लगे हैं.
वर्क फ्रॉम होम के कल्चर को बढ़ावा
हमारे देश में अधिकतर यह माना जाता था कि वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) करना एक मुश्किल काम है. हालांकि जब से कोरोना बीमारी आई, तभी से लॉकडाउन चल रहा है. इसके बाद से अभी भी अधिकतर लोग घर से ही काम कर रहे हैं और अच्छी परफॉर्मेंस दे रहे हैं. इससे एंप्लॉई (Employee) और एंप्लॉयर (Employer), दोनों को ही फायदा हो रहा है. एंप्लॉई अपने घर के लिए भी पर्याप्त समय निकाल पा रहा है और एंप्लॉयर को अच्छा रिजल्ट भी मिल रहा है. इससे पता चलता है कि वर्क फ्रॉम होम का कल्चर भी सक्सेसफुल हो सकता है.
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वर्चुअल क्लास का महत्व समझाया
आज-कल बच्चे ऑनलाइन क्लासेज (Online Classes) के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं और यकीनन टीचर और स्टूडेंट्स, दोनों ही अपने-अपने काम को ध्यान से कर रहे हैं. जिस तरह से बच्चा रेगुलर स्कूल जाकर पढ़ाई करता था, उसी तरीके से ऑनलाइन वर्चुअल क्लासेस (Virtual Classes) में भी पढ़ाई के सभी नियम फॉलो किए जा रहे हैं. इसका यह रिजल्ट सामने आया कि ऑनलाइन पढ़ाई भी बच्चों के लिए अच्छी है. इससे भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई जा सकती है.
सफाई पर विशेष ध्यान
हाइजीन (Hygiene) पर लोग ध्यान तो देते थे लेकिन कोरोना के बाद से सभी सफाई पर विशेष ध्यान देने लगे हैं. बाहर से खरीदी हुई सब्जियों, फल आदि किसी भी चीज को अच्छे तरीके से साफ करके इस्तेमाल कर रहे हैं. खुद की सफाई के साथ-साथ अपने घर, कपड़ों आदि सभी की हाइजीन पर बहुत अच्छी तरीके से ध्यान दे रहे हैं. यकीनन कोरोना वायरस ने हमें यह सबक सिखाया है.
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सड़कों पर गंदगी फैलाने पर रोक
हम लोग अपने घर और अपनी सफाई पर तो ध्यान देते थे लेकिन सड़कों पर गंदगी फैलाने, थूकने, कचरा इधर-उधर गिराने से नहीं चूकते थे. अब कोरोना के माध्यम से ही सही लेकिन हम यह बात अच्छी तरह से जान चुके हैं कि सड़क पर गंदगी फैलाना हमारे लिए जानलेवा हो सकता है. यह महत्वपूर्ण सीख देने के लिए भी कोरोना ही जिम्मेदार है.
याद दिलाई इंसानियत
पिछले कुछ समय में इंसान का एक ऐसा रूप सामने आया, जिसको देखकर सभी हैरान रह गए. जरूरतमंदों की मदद करने से इंसान नहीं चूका. बेरोजगारों और निर्धन वर्ग की मदद इस समय सरकार के अलावा व्यक्तिगत तौर पर भी काफी की गई. इससे पता चला कि आज भी इंसान में इंसानियत जिंदा है.
आस-पड़ोस की सुध रखना
आधुनिक समय में कुछ ऐसा कल्चर हो चला था कि आपको आस-पड़ोस के चेहरे पहचानने में भी मुश्किल होती थी. सब खुद में ही मग्न रहना पसंद करते थे. लेकिन जब से कोविड-19 आया तो आस-पड़ोस के लोगों से दूर से ही सही लेकिन तालमेल बढ़ने लगा. एक बालकनी से दूसरी बालकनी से ही सही, लेकिन स्नेह का भाव फिर से पनपने लगा.
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बढ़ा ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज
कोरोना की वजह से अधिक से अधिक समय घर पर रहने और बाहर जाकर दुकानों से खरीदारी न कर पाने के हालात ने ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) का क्रेज काफी बढ़वा दिया.
पौष्टिक खाने की ओर रुख
घर पर कुछ भी नया खाना ट्राई करने के बजाय लोग बाहर से ऑर्डर करना या बाहर जाकर खाना पसंद करते थे लेकिन कोरोना ने इस आदत को काफी हद तक बदल दिया. अब जबकि बाहर के खाने और बाहर जाकर खाने से बीमार होने का खतरा है तो लोगों ने घर पर ही स्वादिष्ट व पौष्टिक खाना बनाने और खाने की ओर रुख किया है. ज्यादातर लोग कोशिश कर रहे हैं कि बाहर का खाना न खाया जाए.
परिवार के साथ समय व्यतीत करना
जो माता-पिता बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते थे, अपने ऑफिस और घर के कामों में बिजी रहते थे, उनको भी बच्चों के साथ समय व्यतीत करने का मौका मिला. इस दौरान माता-पिता ने भी सीखा कि बच्चों के साथ अच्छा समय बिताना कितना जरूरी और कितना खुशी देने वाला है. इससे पारिवारिक रिश्तों पर काफी पॉजिटिव असर पड़ा. परिवार के सदस्यों ने इस दौरान एक-दूसरे को समझना सीखा.
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सीखा रिश्तों को सहेजना
कोरोना की शुरुआत होने के समय से ही हम अपने रिश्तेदारों-दोस्तों से मिल नहीं पा रहे हैं लेकिन हम फोन आदि तकनीक के जरिए उनसे लगातार उनके हालचाल पूछना सीख गए हैं. रिश्तों को कैसे प्यार से समझा जाता है, यह भी हम काफी हद तक सीख चुके हैं. साथ ही लगातार अपनों के संपर्क में रहना एक सुखद एहसास होता है, यह सबक हमें कोरोना ने फिर से याद दिलाया है.
लॉकडाउन से आई प्रदूषण में कमी
कोरोना के शुरुआती समय में हुए लॉकडाउन से प्रदूषण में बहुत कमी आई थी. कई राज्यों के ध्वनि, वायु प्रदूषण में काफी कमी आई, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ा. इससे लोगों को समझ में आया कि ज्यादा से ज्यादा समय अपने घर पर बिताकर प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है, जो सभी के लिए अच्छा है.
कोरोनावायरस के इस कठिन समय का सामना करते हुए हमने कुछ अच्छी बातें सीखी हैं, जिनको बरकरार रखना जरूरी है. अपना ख्याल रखिए, सुरक्षित रहिए और कोरोना जैसी महामारी को अपने पास फटकने भी मत दीजिए. कोरोना को तो खत्म होना ही है लेकिन अपनी अच्छी, प्यार भरी भावनाओं को खत्म मत होने दीजिए.