16 मई, 2014 की सुबह दिल्ली का आसमान एकदम साफ था लेकिन फिजाओं का रंग सुबह से बदलना शुरू हो गया था. सुबह 11 बजे तक ये साफ हो गया था कि सत्ता की धुरी लुटियंस दिल्ली नए तेवर-कलेवर में रंगने जा रही है.
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नई दिल्ली: इस चुनावी मौसम (lok sabha elections 2019) में सारा देश दिल थामकर चुनाव नतीजों के दिन यानी 23 मई का इंतजार कर रहा है. फ्लैशबैक में देखें तो पिछली बार ये अहम तारीख 16 मई थी, जिस दिन 16वीं लोकसभा के चुनावी नतीजे आए थे. पांच बरस पहले 16 मई, 2014 की सुबह दिल्ली का आसमान एकदम साफ था लेकिन फिजाओं का रंग सुबह से बदलना शुरू हो गया था. सुबह 11 बजे तक ये साफ हो गया था कि सत्ता की धुरी लुटियंस दिल्ली नए तेवर-कलेवर में रंगने जा रही है.
उस दिन 16वें लोकसभा चुनाव के नतीजे जब दोपहर तक घोषित हुए तो भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली. पार्टी पहली बार अपने दम पर बहुमत का स्पष्ट आंकड़ा पार करते हुए 282 सीटों तक पहुंची. उससे पहले अटल युग में भी बीजेपी सत्ता तक पहुंची थी लेकिन अपने दम पर 200 से ऊपर कभी नहीं पहुंची थी.
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2004 से सत्ता से बाहर बीजेपी ने 2013 में अटल-आडवाणी के दौर के बाद नए नेता के रूप में नरेंद्र मोदी को पार्टी का चेहरा घोषित कर दिया था. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा न केवल अपने दम पर बहुमत पाने में कामयाब रही बल्कि इसके साथ ही तीन दशकों में किसी पार्टी को बहुमत का स्पष्ट जनादेश मिला. इससे पहले ये नसीब केवल कांग्रेस को मिला था.
वहीं एक दशक से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 2014 में हारकर महज 44 सीटों पर सिमटकर रह गई. एक दौर में अपराजेय दिखने वाली और राजीव गांधी के दौर में सीटों के लिहाज से 414 अंकों तक पहुंचकर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड बनाने वाली वाली कांग्रेस इतनी हैसियत भी नहीं हासिल कर सकी कि उसे नेता-प्रतिपक्ष का पद हासिल हो सके.
2014 का चुनाव
बीजेपी ने 16वें लोकसभा चुनाव में 428 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा. इनमें से 282 प्रत्याशियों को कामयाब मिली. यानी बीजेपी की जीत का स्ट्राइक रेट तकरीबन 66 प्रतिशत रहा. बीजेपी को करीब 31 प्रतिशत वोट मिले. उल्लेखनीय है कि 1991 के बाद से किसी भी दल को आम चुनावों में 30 प्रतिशत वोट नहीं मिले थे.
मोदी का उदय
2004 से सत्ता से बाहर बीजेपी ने 2009 का चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा था लेकिन उसको सफलता नहीं मिली और कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए-2 की वापसी हुई और मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. उसके बाद बीजेपी में नए नेतृत्व की कवायद शुरू हुई. 2013 में बीजेपी की गोवा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तक नरेंद्र मोदी बीजेपी में सर्वोच्च नेता के रूप में स्थापित हो गए. उनके करीबी अमित शाह को यूपी का प्रभार सौंपा गया. यूपी में 1990 के दशक से बीजेपी कुछ खास नहीं कर पाई थी. 2014 का चुनाव ब्रांड मोदी की छवि और अमित शाह के चुनावी रणनीति के साथ लड़ा गया. बीजेपी को यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 पर कामयाबी हासिल हुई. नरेंद्र मोदी सत्ता के शिखर पहुंचे और 26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री बने.