क्‍या PM मोदी को गुस्‍सा आता है? उसको किस पर निकालते हैं? अक्षय के सवाल पर PM का पढ़े जवाब
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क्‍या PM मोदी को गुस्‍सा आता है? उसको किस पर निकालते हैं? अक्षय के सवाल पर PM का पढ़े जवाब

पीएम मोदी ने कहा कि मैं सख्त हूं, अनुशासित हूं लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने का काम नहीं करता.

क्‍या PM मोदी को गुस्‍सा आता है? उसको किस पर निकालते हैं? अक्षय के सवाल पर PM का पढ़े जवाब

नई दिल्‍ली: एक्‍टर अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गैर-राजनीतिक इंटरव्‍यू के दौरान पूछा कि क्‍या मोदी को गुस्‍सा आता है? उसको किस पर निकालते हैं? इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उसकी शुरुआती 18-22 वर्षों की जीवन यात्रा के दौरान हिमालय से लेकर संन्‍यास के अनुभव ने उनको अनुशासन और आत्‍म-नियंत्रण के बारे में सिखाया. इस कारण संभव है कि मन के भीतर गुस्‍सा आता हो लेकिन आज तक चपरासी से लेकर चीफ सेक्रेट्री के स्‍तर तक कभी गुस्‍से को व्‍यक्‍त करने का अवसर नहीं मिला. इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहा लेकिन मुझे कभी गुस्सा व्यक्त करने का अवसर नहीं आया: मैं हमेशा लोगों को प्रेरित करता हूं.

पीएम मोदी ने कहा कि मैं सख्त हूं, अनुशासित हूं लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने का काम नहीं करता. अक्सर कोशिश करता हूं कि किसी काम को कहा तो उसमें खुद इन्वॉल्व हो जाऊं. सीखता हूं और सिखाता भी हूं और टीम बनाता चला जाता हूं.

पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया- अब उन्‍हें आम खाने से पहले क्‍यों दस बार सोचना पड़ता है?

क्‍या आप आम खाते हैं?
इससे पहले जब अक्षय ने पूछा कि क्‍या आप आम खाते हैं तो पीएम मोदी ने जवाब दिया कि मैं आम खाता हूं और मुझे आम पसंद भी है. वैसे जब मैं छोटा था तो हमारे परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि खरीद कर खा सकें. लेकिन हम खेतों में चले जाते थे और वहां पेड़ के पके आम खाते थे.

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इससे पहले पीएम मोदी ने कहा कि कभी मेरे मन में प्रधानमंत्री बनने का विचार नहीं आया और सामान्य लोगों के मन में ये विचार आता भी नहीं हैं और मेरा जो फैमिली बैकग्राउंड हैं उसमें मुझे कोई छोटी नौकरी मिल जाती तो मेरी मां उसी में पूरे गांव को गुड़ खिला देती. बचपन में मेरा स्वभाव था किताबें पढ़ना, बड़े-बड़े लोगों का जीवन पढ़ता था. कभी फ़ौज वाले निकलते थे तो बच्चों की तरह खड़ा होकर उन्हें सेल्यूट करता था.

इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि अगर मैं प्रधानमंत्री बनकर घर से निकला होता, तो मेरा मन रहता कि सब वहीं रहे. लेकिन मैंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था और इसलिए लगाव, मोहमाया सब मेरी ट्रैनिंग के कारण छूट गया. मेरे आसपास एक वर्क कल्चर डेवलप होता है. मैंने मानव संसाधन विकास में ही जिंदगी खपाई है. हां, मैं काम के वक्त काम में रहता हूं. समय नहीं खराब करता हूं.

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