कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन पूरे देश में खराब रहा. एआईसीसी के अलाव प्रदेश स्तर पर भी कांग्रेस के नेताओं ने हार की समीक्षा शुरू कर दी है. बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निखिल कुमार ने कहा है कि कांग्रेस को गठबंधन से अलग स्वतंत्र राजनीति करनी चाहिए.
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पटना : हार को लेकर महागठबंधन में मंथन का दौर शुरू हो चुका है. हार से दुखी कांग्रेस नेता बिहार में 'एकला चलो' की रणनीति पर काम करने की सलाह दे रहे हैं. वहीं, कुछ कांग्रेसी सीट शेयरिंग में हुई नाईंसाफी से दुखी हैं. दूसरी तरफ आरजेडी ने पूरे देश में कांग्रेस की हार के लिए कांग्रेस के अहंकार को जिम्मेदार ठहरा दिया है. अब सवाल ये उठने लगे हैं कि बिहार में महागठबंधन की सांसें और कितने दिनों तक चलेंगी.
कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन पूरे देश में खराब रहा. एआईसीसी के अलाव प्रदेश स्तर पर भी कांग्रेस के नेताओं ने हार की समीक्षा शुरू कर दी है. बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निखिल कुमार ने बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को गठबंधन से अलग स्वतंत्र राजनीति करनी चाहिए. कांग्रेस का अपना वजूद है. फरवरी में हुई रैली में हमने अपनी ताकत दिखाई थी. मेरी निजी राय है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में जाये. लोकसभा चुनाव में हुई हार की पार्टी जल्द ही समीक्षा करेगी.
पार्टी की बड़ी हार से कांग्रेस नेता सदानंद सिंह भी दुखी हैं. सदानंद सिंह ने कहा है कि मैंने आलाकमान को ऐसे हालात की जानकारी पहले ही दे दी थी. महागठबंधन में कांग्रेस को नजरंदाज किया गया. सीटों के बंटवारे में नाइंसाफी हुई. महागठबंधन में 14 से घटा कर कांग्रेस को 9 सीटें दी गईं. सीट और उम्मीदवार के चयन में काफी विलंब करना भी हार की बड़ी वजह रही.
इशारों ही इशारों में कांग्रेस नेताओं ने आरजेडी की नीति पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं, कांग्रेस नेताओं के बयान से आरजेडी काफी आहत महसूस कर रही है. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानन्द तिवारी ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि इसी अहंकार की वजह से कांग्रेस की यह हालत हुई है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी से समझौता नहीं कर पाई. उत्तर प्रदेश में भी समझौता नहीं हुआ. अमेठी में राहुल गांधी क्यों हारे, कांग्रेस नेताओं को ये बताना चाहिए.
शिवानंद तिवारी ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी से चूक हुई है. बीजेपी की स्ट्रेटजी काम कर गई. अपनी 5 सीटें बीजेपी ने जेडीयू को दे दी. कांग्रेसी नेताओं को कुछ सीट जाने का दर्द है. लोग ये नहीं समझ रहे हैं कि सीटें भले ही किसी को ज्यादा कम मिली हो, जीत होती तो पीएम तेजश्वी यादव नहीं, राहुल गांधी ही बनते.'
इसके अलावा जीतन राम मांझी भी अपनी चुनावी हार से दुखी हैं. मांझी कहते हैं कि बीजेपी के राष्ट्रवादी प्रचार में हमारे मुद्दे पीछे छूट गये. बीजेपी जनता को भरमाने में सफल रही. वहीं, कांग्रेस नेताओं की ओर से दिये गये बयान पर मांझी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने निजी विचार रखे हैं. उन्होंने कहा कि सभी की अपनी-अपनी शिकायतें हैं. मेरी भी अपनी है. उन्होंने कहा कि हम महागठबंधन की मीटिंग में अपनी बात रखेंगे.