क्या जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की होकर रह गई है उनकी पार्टी?
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क्या जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की होकर रह गई है उनकी पार्टी?

बिहार के दोनों सियासी दलों की अंदरूनी कलह बाहर आ रही है. नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. बगावती तेवर अपना रहे हैं.

अपनी ही पार्टी में अकेले पड़ते जा रहे हैं कुशवाहा और मांझी. (फाइल फोटो)

पटना : लोकसभा चुनाव की तारीखों की भले ही घोषणा नहीं हुई हो, लेकिन बिगुल बज चुका है. सियासी दलों के बीच आपस में आरोप-प्रत्यारोप तो है ही, साथ ही अब दलों के भीतर की खींचतान भी सामने आने लगी है. लोकसभा चुनाव के समीकरण को देखते हुए नेता नई पार्टियों का दामन थाम रहे हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नेतृत्व वाली हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) में सियासी उठापटक देखने को मिला. दोनों दलों के कई नेताओं ने या तो पार्टी छोड़ दी है या फिग बगावती तेवर अपना लिए हैं.

बिहार के दोनों सियासी दलों की अंदरूनी कलह बाहर आ रही है. नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. बगावती तेवर अपना रहे हैं. ऐसे में तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या हम और रालोसपा सिर्फ जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी बनकर रह गई है.

नागमणि से पहले सभी MLA-MLC कर चुके हैं नीतीश कुमार की तारीफ
बात रालोसपा की करते हैं. नीतीश कुमार की तारीफ करने को लेकर हाल ही में पार्टी ने अपने कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि को ही कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. बिहार के सियासी गलियारों में उनके पार्टी छोड़ने की चर्चा भी तेज है. वहीं, इससे पहले एनडीए से अलग होने के बाद जिस समय लालू यादव से मिलने के लिए उपेंद्र कुशवाहा रांची पहुंचे थे, उसी समय पार्टी के बागी विधायकों की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात हो रही थी.

बिहार विधानमंडल में रालोसपा के दो विधायक और एक एमएलसी हैं. ये तीनों नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे थे. विधायक ललन पासवान, सुधांशु शेखर और एमएलसी संजीव श्याम ने कुशवाहा और लालू यादव की मुलाकात को निजी एजेंडा बताते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपने गुट को असली रालोसपा होने का दावा भी कर दिया.

उपेंद्र कुशवाहा को एक और झटका तब लगा जब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा ने सैकड़ों समर्थकों के साथ जेडीयू का दामन थाम लिया. मामला तो उपेंद्र कुशवाहा को उनकी ही पार्टी से निकालने तक जा पहुंची है.

प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने छोड़ा हम का दामन
वहीं, पार्टी सिंबल बचाने को लेकर जूझ रही जीतन राम मांझी की 'हम' में हाल ही में सियासी भगदड़ देखने को मिली. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने ही इस्तीफा दे दिया. प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने इस्तीफा देते हुए जीतनराम मांझी पर गंभीर आरोप भी लगाए. उनका कहना था कि वह पार्टी और महागठबंधन से अलग ही चल रहे हैं. वह महागठबंधन में रहकर पीएम मोदी की रैली में जाने की बात कर रहे हैं.

वृषिण पटेल ने कहा कि हम पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि हम पार्टी बिहार में केवल 20 लोकसभा क्षेत्रों में रह गई है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों अलग-अलग बयान दे रहे हैं.

ज्ञात हो कि हाल ही में पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली को जहां जीतनराम मांझी ने सफल बताया था. वहीं, हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिस रिजवान ने कहा था कि कांग्रेस की रैली पूरी तरह से फ्लॉप रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने माफियाओं के सहारे रैली में भीड़ जुटाई है. इसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

दोनों ही दल फिलहाल बिहार में जारी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नीत महागठबंधन का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव को लेकर घटक दलों के बीच अभी तक सीट शेयरिंग पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. ऐसे हालात में कई बड़े नेता पार्टी का दामन छोड़ रहे हैं. सियासत में सवाल तो उठते हैं. यहां भी एक सवाल ने जन्म ले लिया है कि क्या दोनों नेताओं की पार्टी सिर्फ उनकी होकर रह गई है? क्योंकि इनके अलावा दोनों दलों में कोई बड़ा चेहरा शेष नहीं बचा है.

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