उत्तर बंगाल के धनी विरासत से समृद्ध कूचबिहार सीट पर कमल खिलाने की चुनौती
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उत्तर बंगाल के धनी विरासत से समृद्ध कूचबिहार सीट पर कमल खिलाने की चुनौती

साल 1951 से 1962 तक यहां कांग्रेस का कब्जा था. उसके बाद 1962-63 में यह सीट AIFB के खाते में चली गई.

फाइल फोटो.

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल की कूचबिहार लोकसभा सीट पर 2016 के उपचुनावों में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों की तरह उपचुनावों में भी बीजेपी का जादू नहीं चल पाया था और TMC के पार्थ प्रतिमराय ने जीत दर्ज की थी, उन्हें 7,94,375 वोट मिले थे. 

कई सालों तक कांग्रेस ने किया राज
साल 1951 से 1962 तक यहां कांग्रेस का कब्जा था. उसके बाद 1962-63 में यह सीट AIFB के खाते में चली गई. साल 1963 से 1967 तक यहां कांग्रेस का कब्जा रहा. इसके बाद AIFB ने इस सीट पर वापसी की. साल 1971-77 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. इसके बाद 1977 से 2014 तक यहां AIFB के ही उम्मीदवार विजयी हुए. साल 2014 में यह सीट TMC के खाते में चली गई. साल 2016 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ, इसमें TMC ने ही जीत दर्ज की.

7 विधानसभा सीटें आती हैं इस संसदीय क्षेत्र में...
कूचबिहार लोकसभा सीट अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं, जिनमें माथाभंगा, कूचबिहार उत्तर, कूचबिहार दक्षिण, सीतलकुची, सीताई, दिनहाटा व नटबारी शामिल हैं.

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