सत्ता पर काबिज बीजेपी 2014 की शानदार जीत को दोहराना चाहती है तो वहीं, दूसरी ओर विपक्ष भी बीजेपी को केंद्र से हटाने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता है.
Trending Photos
कोडरमा: 2000 में बिहार से अलग होने के बाद झारखंड नया राज्य बना और कई राजनीतिक समीकरण भी बदले. फिलहाल देशभर में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर केंद्र और विपक्ष दोनों ही अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. एक ओर जहां सत्ता पर काबिज बीजेपी 2014 की शानदार जीत को दोहराना चाहती है तो वहीं, दूसरी ओर विपक्ष भी बीजेपी को केंद्र से हटाने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहता है. जिसके चलते केंद्र से लेकर राज्यों तक की राजनीति गरमाई हुई है.
अगर बात कोडरमा लोकसभा सीट की करें तो कोडरमा को 'अभ्रक नगरी' भी कहा जाता है. कोडरमा प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर शहर है. कोडरमा नक्सल प्रभावित इलाका भी रहा है. कोडरमा में पहली बार 1977 में चुनाव हुआ था और जनता पार्टी ने यहां से जीत दर्ज की थी.
1980 में बीजेपी, 1984 में कांग्रेस, 1989 में कांग्रेस, 1991 में जनता दल, 1996 और 1998 में बीजेपी ने दो बार लगातार जीत दर्ज की. वहीं, 1999 में कांग्रेस और 2004 में बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए. 2009 में मरांडी जेवीएम से चुनाव जीता लेकिन 2014 में बीजेपी के टिकट पर आरएलपी वर्मा ने जीत दर्ज की.
2019 लोकसभा चुनाव में भी बाबूलाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा से मैदान में उतरे हैं.2014 के आम चुनाव के दौरान इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16.39 लाख थी. इसमें 8.70 लाख पुरुष और 7.69 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.
अब देखना दिलचस्प होगा कि 2014 से इतर 2019 में मुकाबला बाबूलाल मरांडी और बीजेपी के अन्नपूर्णा देवी के बीच है. देखना दिलचस्प होगा कि बाबूलाल मरांडी पर जनता फिर से विश्वास करती है या बीजेपी पर अपना भरोसा कायम रखती है.