पूर्णिया लोकसभा सीट : मोदी लहर के बावजूद 2014 में यहां JDU ने रोक दिया था BJP का रथ
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पूर्णिया लोकसभा सीट : मोदी लहर के बावजूद 2014 में यहां JDU ने रोक दिया था BJP का रथ

जेडीयू ने यहां से संतोष कुमार कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा था. उनका मुकाबला बीजेपी के कद्दावर उदय सिंह से था, जो 2004 से लागातार चुनाव जीतते आ रहे थे.

पूर्णिया लोकसभा सीट : मोदी लहर के बावजूद 2014 में यहां JDU ने रोक दिया था BJP का रथ

पूर्णिया : 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में एक सत्ता विरोधी लहर थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेंरद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही थी. इस चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. बिहार के 40 में से 31 लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत हुई थी. एनडीए से अलग राह अपनाने वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी, जिनमें पूर्णिया लोकसभा भी शामिल था.

जेडीयू ने यहां से संतोष कुमार कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा था. उनका मुकाबला बीजेपी के कद्दावर उदय सिंह से था, जो 2004 से लागातार चुनाव जीतते आ रहे थे. इस चुनाव में संतोष कुशवाहा ने उदय सिंह का विजयी रथ रोक दिया और एक लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की. हाल ही में उदय सिंह ने बीजेपी से अपनी राह अलग कर ली.

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में कुल 1582626 वोटर हैं. 2014 में यहां पर बंपर वोटिंग हुई. 64.31 प्रतिशत लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया. इस चुनाव में इस सीट से कुल 17 उम्मीदवारों ने अपने भाग्य को आजमाया. कांग्रेस ने जहां अमरनाथ तिवारी को चुनावी मैदान में उतारा था वहीं, बीजेपी ने उदय सिंह को लगातार तीसरी बार मौका दिया. इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शमशेर आलम ने भी सभी को चौंका दिया.

JMM को मिले थे 50 हजार से अधिक वोट
2014 के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो यहां कुल 1017732 वोट पड़े. कांग्रेस के अमरनाथ तिवारी के खाते में 124344 वोट पड़े, उदय सिंह को जहां 302157 मत मिले वहीं, जेडीयू के संतोष कुमार 418826 वोट लाकर यह सीट जीतने में सफल रहे. जेडीयू उम्मीदवार के खाते में कुल 41.1 प्रतिशत वोट पड़े. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शमशेर आलम ने 50446 वोट लाकर सभी को चौंका दिया. यहां नोटा के खाते में भी 11982 मत पड़े थे.

चुनाव के बाद जेडीयू ने कहा था कि चुनाव चिन्ह में समानता होने के कारण जेएमएम उम्मीदवार को 50 हजार से अधिक वोट मिल गए. जेडीयू में इसकी चिंता आज भी जारी है, हाल ही में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला और जेएमएम व शिवसेना का बिहार में चुनाव चिन्ह बदलने की मांग की है. शिवसेना और जेडीयू के उम्मीदवारों को लेकर कई सीटों पर जेडीयू ने सवाल उठाया था.

कुछ ऐसा रहा है पूर्णिया लोकसभा सीट का इतिहास:

1952 में यहां पहली बार वोट डाला गया. इस सामय पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्रों में बंटा हुआ था. कांग्रेस के फनी गोपाल सेन गुप्ता, मानेकलाल मंडल गांधी, बेंजामन हंसदा और मुहम्मद इस्लामुद्दीन ने यहां से जीत दर्ज की थी.
1957 मे चारों सीट को मिलाकर सिर्फ पूर्णिया कर दिया गया. 1967 तक यहां से कांग्रेस के फनी गोपाल सेन गुप्ता लगातार चुनाव जीतने में सफल रहे. वहीं, 1971 के आम चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद ताहिर सांसद बने.
1977 में इस सीट से भारतीय लोक दल के लखन लाल कपूर ने कांग्रेस का रथ रोका और सांसद बनने में सफल रहे.
1980 और 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस के माधुरी सिंह सांसद बनने में सफल रही.
1989 में जनता दल के मोहम्मद तसलिमुद्दीन चुनाव जीते.
1996 में इस सीट को समाजवादी पार्टी ने जीता और राजेश रंजन सांसद बने.
1998 में पहली बार बीजेपी का यहां खाता खुला. जय कृष्ण मंडल चुनाव जीतने में सफल रहे. 
1999 में राजेश रंजन यहां से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीतने में सफल रहे.
2004 में फिर यहां बीजेपी को जीत मिली और लगातार दो बार बीजेपी के उदय सिंह सांसद बनने में सफल रहे.

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