लखनऊ लोकसभा सीट: क्या 28 वर्षों से जारी BJP के एकछत्र राज को मिलेगी चुनौती?
Advertisement
trendingNow1529303

लखनऊ लोकसभा सीट: क्या 28 वर्षों से जारी BJP के एकछत्र राज को मिलेगी चुनौती?

नवाबों के शहर लखनऊ में 1991 से कमल खिल रहा है. चुनाव आए और गए लेकिन जीत बीजेपी के खाते में ही गई.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पहली बार 1991 में इस सीट से चुनाव लड़ा. इसके बाद यह उनकी परंपरागत सीट बन गई.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) अपने अंतिम दौर में है और 23 मई को चुनावी नतीजों के साथ तय हो जाएगा कि देश में किसी सरकार बनेगी. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट चर्चाओं में बनी हुई है. दरअसल, वैसे तो बीजेपी कई सीटों पर मजबूत है लेकिन लखनऊ एक ऐसी लोकसभा सीट है जिस पर पार्टी का पिछले 28 साल से कब्जा है. लखनऊ लोकसभा सीट पर बीजेपी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, कांग्रेस की ओर से आचार्य प्रमोद कृष्णम और सपा की ओर से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा चुनावी मैदान में हैं.

लखनऊ में 1991 से खिल रहा कमल
नवाबों के शहर लखनऊ में 1991 से कमल खिल रहा है. चुनाव आए और गए लेकिन जीत बीजेपी के खाते में ही गई. इस सीट पर कांग्रेस ने अंतिम बार 1994 में जीत हासिल की थी. इसके बाद से उसे जीत का इंतजार है. लोकसभा चुनाव के इतिहास पर और गौर करें तो पाएंगे कि कांग्रेस ने 1967 के चुनाव में पहली बार यह सीट गंवाई. आनंद नारायण ने 1967 में यह जीट कांग्रेस से छीनी थी. वह निर्दलीय प्रत्याशी थे. बाद में  पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल 1980, 1984 में दो बार यहां से निर्वाचित हुईं.   

1991 से 2004 तक जीते बाजपेयी  
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पहली बार 1991 में इस सीट से चुनाव लड़ा. इसके बाद यह उनकी परंपरागत सीट बन गई. 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार लखनऊ की जनता का बाजपेयी जी को आशीर्वाद मिला. 1991 के बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में बाजपेयी जी इस सीट से जीते. कांग्रेस को हर बार निराशा हाथ लगी. 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजपेयी के सामने फिल्म अभिनेता राज बब्बर को उतारा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 

2009 में लालजी टंडन को मिली जीत
2004 के बाद बाजपेयी जी ने सक्रिय राजनीति में संन्यास ले लिया. 2009 के लोकसभा चुनाव में लाल जी टंडन को इस सीट पर बीजेपी की जीत का सिलसिला जारी रखने का मौका मिला. टंडन के सामने कांग्रेस ने डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को उतारा लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई. जोशी अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में है. बीजेपी ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में इलाबाबाद से टिकट दिया है.  

2014 में राजनाथ सिंह ने जारी रखा जीत का सिलसिला
2014 के चुनाव में मोदी लहर के दौरान बीजेपी ने इस सीट पर पूर्व बीजेपी अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को उतारा. कांग्रेस ने एक बार फिर से डॉ. रीता बहुगुणा जोशी पर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा. राजनाथ ने करीब 3 लाख वोट से जीत हासिल की. अब यह सीट उनकी परंपरागत सीट बनती जा रही है क्योंकि 2019 के चुनाव में वह फिर से इस सीट से मैदान में हैं. 

Trending news