कभी श्रीमंत के साथ सेल्फी के लिए दौड़ते थे आगे-पीछे, उसी केपी ने दिया जिंदगीभर सालने वाला दर्द
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कभी श्रीमंत के साथ सेल्फी के लिए दौड़ते थे आगे-पीछे, उसी केपी ने दिया जिंदगीभर सालने वाला दर्द

बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव पहले कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं.

कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ सेल्फी लेते हुए केपी यादव. (फोटो साभार: फेसबुक)

भोपाल: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election Results 2019) हारते नजर आ रहे हैं. अभी तक के रुझानों में सिंधिया अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी उम्मीदवार कृष्णपाल यादव से करीब एक लाख वोटों से पीछे चल रहे हैं. हालांकि, अभी नतीजे घोषित नहीं हुए हैं.

बीजेपी उम्मीदवार केपी यादव पहले सिंधिया के ही सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया था, जहां उन्हें यादव की सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें मौजूद हैं जिसमें वह पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सिंधिया के साथ देखे जा सकते हैं. एक तस्वीर में तो उनको सिंधिया के साथ सेल्फी लेने की जद्दोजहद करते हुए देखा जा सकता है. ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला अपने ही सांसद प्रतिनिधि के साथ है.

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ केपी यादव के बचपन की तस्वीर.

सिंधिया परिवार का राज
मध्य प्रदेश के तीन जिलों गुना, शिवपुरी और अशोकनगर को मिलाकर गठित इस संसदीय क्षेत्र में शुरुआत से ही सिंधिया परिवार का राज है, जबकि पिछले 20 सालों से कांग्रेस का दबदबा रहा है. अंतिम बार राजमाता विजायराजे सिंधिया ने बीजेपी को गुना में जीत दिलवाई थी, लेकिन यह पहली बार होगा जब सिंधिया राजघराने से इतर कोई अन्य व्यक्ति गुना में जीत हासिल करेगा. जो कि बीजेपी की एक बड़ी जीत को दिखाता है.

1957 में पहला चुनाव
गुना लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुए थे, जिसमें राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने यहां कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज कराई थी. इसके बाद 1962, 1967 , 1971 और 1977 में भी राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने ही यहां जीत दर्ज कराई थी. उनके बाद उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने गुना की जनता का विश्वास जीता और यहां के सांसद चुने गए और उनकी मौत के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनकी विरासत को संभाला, लेकिन अभी तक के नतीजों को देखकर लग रहा है, जैसे अब सिंधिया परिवार की विरासत उनके हाथ से निकल रही है.

2002 के उपचुनाव में पहली जीत
पिता की मौत के बाद राजनीति में आए सिंधिया ने 2002 के उपचुनाव में पहली बार जीत दर्ज कराई थी. जिसके बाद उन्होंने 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी. हालांकि सिंधिया परिवार की जीत का सिलसिला अब टूटता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं सिंधिया के हार की तरफ बढ़ने पर हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है, क्योंकि गुना में राजघराने का कोई भी सदस्य आज तक कभी नहीं हारा है.

सिंधिया परिवार का दबदबा
गुना:
1957 विजयाराजे सिंधिया (कांग्रेस), 1967 विजयाराजे सिंधिया (स्वतंत्रता पार्टी), 1971 माधवराव सिंधिया (जनसंघ), 1977 माधवराव सिंधिया (निर्दलीय), 1980 माधवराव सिंधिया (कांग्रेस), 1989 से 1998 तक विजयाराजे सिंधिया (भाजपा), 1999 माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 2004-2009, 2009-2014, 2014-2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया(कांग्रेस)

28 पर बीजेपी
इसमें भाजपा को बड़ी सफलता मिलती नजर आ रही है. राज्य की 29 सीटों में से 28 पर बीजेपी के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं, वहीं छिंदवाड़ा में कांग्रेस के उम्मीदवार नकुलनाथ आगे चल रहे हैं. राज्य की सबसे हॉट सीट में शामिल गुना से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया से केपी यादव आगे चल रहे हैं.

2014 में बीजेपी को 27 सीट
राज्य में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 27 स्थानों पर जीत दर्ज की थी, वहीं कांग्रेस को सिर्फ दो स्थानों पर जीत मिली थी. उसके बाद रतलाम में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत हासिल की थी. इस बार के शुरुआती रुझान पिछले चुनाव से भाजपा के लिए कहीं ज्यादा फायदेमंद नजर आ रहे हैं.

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