लोकसभा चुनाव 2019 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है.
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नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. एक ओर उनकी पार्टी के सिंबल का मामला चुनाव आयोग में लटका पड़ा है. वहीं, अब उनकी पार्टी के बागी नेताओं ने अलग पार्टी का गठन कर लिया है. जिसके बीच सिंबल की लड़ाई चल रही है. हालांकि फिलहाल बागी नेताओं की पार्टी को नाम और सिंबल मिल गया है और वह चुनाव मैदान में भी उतरने को तैयार है.
उपेंद्र कुशवाहा बिहार में दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. जिसमें उजियारपुर और काराकाट शामिल हैं. लेकिन अब उनकी मुसीबत दोनों सीटों पर बढ़ने वाली है. क्योंकि पहले से ही मुसीबत बनी आरएलएसपी के ललन पासवान गुट ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है.
ललन पासवान गुट की पार्टी चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी है. साथ ही सिंबल भी तत्काल दे दिया है. हालांकि आरएलएसपी के सिंबल 'सिलिंग फैन' को लेकर फैसला चुनाव के बाद आना है. क्योंकि चुनाव आयोग ने कहा है कि पार्टी ने इस सिंबल पर फिलहाल चुनाव लड़ लिया है ऐसे में उनके सिंबल को नहीं बदला जा सकता है. इसलिए चुनाव बाद इस पर फैसला किया जाएगा.
वहीं, अब ललन पासवान गुट के आरएलएसपी की पार्टी का नाम राष्ट्रवादी लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) रखा गया है. और इसे तत्काल सिंबल गन्ना किसान दिया गया है. जिसे चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी है. अब राष्ट्रवादी लोक समता पार्टी से राम कुमार शर्मा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
ललन पासवान गुट पार्टी का कहना है कि वह उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ किसी भी तरह से लड़ाई जारी रहेगी. लोकसभा चुनाव में भी राम कुमार शर्मा ने काराकाट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. साथ ही राष्ट्रवादी लोक समता पार्टी उजियारपुर से भी उम्मीदवार खड़ा करेगी. उनका साफ कहना है कि वह किसी भी हाल में उपेंद्र कुशवाहा को जीतने नहीं देंगे.
मतलब साफ भी है कि अगर आरएलएसपी का सिंबल 'सिलिंग फैन' चाहिए तो उन्हें उपेंद्र कुशवाहा को जीतने से रोकना होगा. पार्टी के खिलाफ अगर मत प्रतिशत होगा तो चुनाव आयोग आसानी से सिंबल को आरएलएसपी से सीज कर सकती है.