नाव के दौरान हर राजनीतिक दल हर क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी की बात करती हैं लेकिन चुनाव आते ही सियासी पार्टियां इन बातों और वादों से परहेज कर लेती हैं.
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पटना: लोकसभा चुनाव के पहले चरण का चुनाव समाप्त हो चुका है. दूसरे चरण के लिए भी कल वोट डाले जाएंगे. चुनाव के दौरान हर राजनीतिक दल हर क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी की बात करती हैं लेकिन चुनाव आते ही सियासी पार्टियां इन बातों और वादों से परहेज कर लेती हैं.
इस बार भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा के वक्त महिला उम्मीदवारों को सीट देने से बीजेपी सहित सभी पार्टियों ने परहेज कर लिया. क्या चुनाव में महिला उम्मीदवार जीत की गारंटी नहीं होती. बिहार की सभी 40 सीटों पर हर राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए और आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन के बीच है.
समझौते के मुताबिक, महागठबंधन में 40 सीटों में 19 पर आरजेडी चुनाव लड़ रहा है. इन 19 सीटों में सिर्फ तीन सीटों पर ही महिला उम्मीदवारों को आरजेडी ने जगह दी है. पाटलिपुत्र से मीसा भारती, नवादा से विभा देवी और सीवान से हीना सहाब महिला उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं.
इसी तरह कांग्रेस 9 सीट पर चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस ने तीन सीट यानी मुंगेर से नीलम देवी, सासाराम से मीरा कुमार, और सुपौल से रंजीता रंजन को महिला उम्मीदवार को उतारा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम तीन सीट पर लड़ रही है और उसने एक भी महिला उम्मीदवार नहीं उतारा है.
अगर एनडीए की बात करें तो एनडीए सभी 40 सीटों में 17-17 पर बीजेपी और जेडीयू और 6 सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी चुनाव लड़ रही है. बीजेपी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार में कई अहम पदों पर महिला मंत्री हैं और उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन सीट वितरण में बिहार में महिलाओं को लेकर कंजूसी बरती गई है. बीजेपी ने 17 सीट में केवल एक सीट पर महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. शिवहर से रमा देवी बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में है.
दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड ने भी सिर्फ एक सीट पर सीवान से कविता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. एलजेपी ने भी वैशाली से वीणा देवी के तौर पर एक महिला उम्मीदवार को उतारा है. दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है अगर इन पार्टियों के टिकट पर सभी महिला उम्मीदार चुनाव जीते भी लें तो बिहार से 6 महिला सांसद ही चुनी जाएंगी. बांका से निर्दलीय पुतुल कुमारी भी चुनावी मैदान में और वो यहां जेडीयू और आरजेडी दोनों को टक्कर देती नजर आ रही हैं.
एक तरह से कहा जाए तो राजनीतिक दलों ने महिलाओं को कम से कम टिकट वितरण के मामले में घोर अनदेखी की है. हालांकि जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन के मुताबिक, उनकी पार्टी महिलाओं की तरक्की की पक्षधर हैं और पंचायत में महिलाओं के लिए आरक्षण नीतीश कुमार सरकार का ऐतिहासिक कदम है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में लोकसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 6 लाख के करीब है जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या 3 करोड़ 73 लाख 7404 जबकि महिला वोटर्स की संख्या 3 करोड़ 32 लाख 43466 है.