आखिरी चरण की वोटिंग सुबह 7 बजे की जगह 5 बजे की मांग पर SC में सुनवाई आज
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आखिरी चरण की वोटिंग सुबह 7 बजे की जगह 5 बजे की मांग पर SC में सुनवाई आज

लोकसभा चुनाव की तारीखों का जब ऐलान हुआ था तो लोकसभा चुनाव के बीच में रमजान पड़ने पर आपत्ति उठी थी. इस पर लखनऊ के मौलानाओं ने ऐतराज जताते हुए आयोग से तिथियों में फेरबदल करने की मांग की थी.

file photo : Reuters

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग सुबह 7 बजे की जगह 5 बजे से कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मकालीन पीठ सोमवार को सुनवाई करेगी. दरअसल, इससे पहले वकील निजाम पाशा ने रमजान और हीट वेव को देखते हुए आखिरी चरण में मतदान के समय में बदलाव की मांग की थी तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मामले पर विचार करने को कहा था, लेकिन चुनाव आयोग ने इस मांग को ठुकरा दिया था. अब याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है.

बता दें कि जब लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था तो लोकसभा चुनाव के बीच में रमजान पड़ने पर आपत्ति उठी थी. इस पर लखनऊ के मौलानाओं ने ऐतराज जताते हुए आयोग से तिथियों में फेरबदल करने की मांग की थी.

लोकसभा चुनाव कार्यक्रम को लेकर उत्पन्न विवाद पर निर्वाचन आयोग ने सफाई देते हुए कहा था कि रमजान के पूरे महीने के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं था और कहा था कि मुख्य त्योहार दिवसों और शुक्रवारों को चुनाव से मुक्त रखा गया है. सात चरण के लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक होने हैं. मतों की गिनती 23 मई को होगी. रमजान का महीना इस वर्ष 7 मई को शुरू होने वाला है. इस पूरे महीने मुस्लिम उपवास रखते हैं.

प्रवक्ता ने कहा था कि आयोग ने सीबीएसई समेत विभिन्न राज्य बोर्ड की परीक्षा समय सारणी को देखने के बाद चुनाव तिथियों को अंतिम रूप दिया. उन्होंने कहा था कि इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे मार्च, अप्रैल और मई में होने वाली विभिन्न छुट्टियों और त्यौहारों, मानसून पूर्व बारिश, फसलों की कटाई पर ध्यान दिया गया.

तृणमूल कांग्रेस के फरहाद हकीम और आम आदमी पार्टी के अमानातुल्लाह खान समेत कुछ नेताओं ने रमजान के पवित्र महीने में चुनाव होने पर आपत्ति उठाई थी, जिसके बाद इस मुद्दे ने विवाद का रूप ले लिया था. वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं हस्तियों ने कहा कि रमजान के दौरान चुनाव होने में कुछ भी गलत नहीं है. अगर मुस्लिम उपवास के दौरान काम कर सकते हैं तो वे उपवास के दौरान वोट डाल सकते हैं और चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं.

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