बिहार: 17 फीसदी मुस्लिम आबादी, लेकिन राजनीति में हाशिये पर जाता समुदाय!
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बिहार: 17 फीसदी मुस्लिम आबादी, लेकिन राजनीति में हाशिये पर जाता समुदाय!

कुछ लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता ही तय करते हैं कि जीत किसकी होगी.

भारत और बिहार में मुस्लिम वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है. (फाइल फोटो)

पटना: देश में लोकसभा चुनाव जारी है. भारत और बिहार में मुस्लिम वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है. कुछ लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता ही तय करते हैं कि जीत किसकी होगी. लेकिन क्या मुस्लिम को उनकी आबादी के हिसाब से टिकट मिल पाता है. बिहार में भी इन सवालों के जवाब नहीं है.

पिछले कई चुनावों की तरह इस बार भी बिहार में मुस्लिम समाज के साथ टिकट वितरण में एक तरह से उपेक्षा ही की गई है. बिहार में 2011 की जनगणना के मुताबिक आबादी 10 करोड़ 40 लाख से ज्यादा है और इसमें मुस्लिमों की संख्या तकरीबन 1 करोड़ 75 लाख से ज्यादा है. 

 

राज्य में मुस्लिमों की आबादी करीब 16.9 फीसदी के आसपास है और 13 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां इनका मत प्रतिशत 12 से 67 फीसदी है. आबादी के हिसाब से बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों को अच्छी खासी संख्या में टिकट मिलना चाहिए था. लेकिन मुस्लिमों को इस बार भी तमाम राजनीतिक दलों ने दरकिनार कर दिया.

हालांकि आरजेडी ने चार मुस्लिमों को टिकट दिया है लेकिन बाकी पार्टियों ने मुस्लिमों को निराश ही किया है. बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम चेहरा को टिकट नहीं दिया है.मुस्लिमों को टिकट क्यों नहीं मिला इसका जवाब भी राजनीतिक दलों के पास नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ के मुताबिक, बिहार में कांग्रेस काफी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन उसकी सहयोगी पार्टी राजद ने इसकी भरपाई कर दी है. 

दूसरी ओर बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद के अनुसार,बीजेपी सभी धर्मों को समान रूप से इज्जत देती है लिहाजा पार्टी बिना सांप्रदायिक हुए टिकटों का बंटवारा करती है. बिहार में सीमांचल इलाके में मुस्लिम वोटर्स जीत और हार तय करते हैं. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, जेडीयू, बीजेपी, कांग्रेस मुख्य पार्टियां हैं लेकिन अगर इनके उम्मीदवारों की सूचि पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि व्यापक स्तर पर मुस्लिम चेहरों की उपेक्षा हुई है. 

बिहार में राजद सबसे ज्यादा 19 सीटों पर महागठबंधन में लड़ रही है. उसने दरभंगा से अब्दुल बारी सिद्धिकी, सीवान से हीना सहाब, बेगूसराय से तनवीर हसन और अररिया से सरफराज आलम और शिवहर से सैयद फैसल अली को टिकट दिया है. कहा जा सकता है आरजेडी ने बढ़िया संख्या में मुसलमानों को उतारा है. वैसे भी आर की जीत में मुस्लिम और यादव अहम भूमिका निभाते हैं.

बीजेपी ने पिछली बार भागलपुर से सैयद शाहनवाज हुसैन को टिकट दिया था लेकिन इस बार एक भी उम्मीदवार बीजेपी ने नहीं दिए हैं जबकि बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जेडीयू 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन उसने सिर्फ किशनगंज से ही महमूद अशरफ को टिकट दिया है. इसी तरह कांग्रेस 9 सीट पर चुनाव लड़ रही है. उसने दो सीटों पर उम्मीदवार दिए हैं. 

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, चुनाव में जीतने की योग्यता ही एक तथ्य है. बिहार में संगठित रूप से मुस्लिम नेताओं को आगे नहीं बढ़ने दिया गया और दूसरी ओर जो मुस्लिम नेता आगे आए उन्होंने दूसरे मुस्लिम समाज के नेताओं को आगे नहीं आने का मौका दिया. पिछली बार बिहार से चार मुस्लिम सांसद के रूप में चुने गए. पिछली लोकसभा में सिर्फ 22 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम चुनकर गए.

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