आज कांग्रेस का 'हाथ थामेंगे' शत्रुघ्न सिन्हा, राहुल गांधी दिलाएंगे 'बिहारी बाबू' को पार्टी की सदस्यता
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आज कांग्रेस का 'हाथ थामेंगे' शत्रुघ्न सिन्हा, राहुल गांधी दिलाएंगे 'बिहारी बाबू' को पार्टी की सदस्यता

शत्रुघ्न सिन्हा बीते करीब पांच वर्षों से बीजेपी में अपनी अनदेखी के खिलाफ पार्टी के भीतर और बाहर अपने बागी तेवर और तीखे तंजों से आक्रामक रहे हैं. 

आज कांग्रेस ज्वाइन करेंगे शत्रुघ्न सिन्हा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/पटना : अपनी दमदार आवाज और अनूठी अदा से अपने विरोधियों एवं प्रतिद्वंद्वियों को अक्सर खामोश कराते रहे शत्रुघ्न सिन्हा आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़ कांग्रेस का हाथ थामेंगे. दोपहर ग्यारह बजे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष वह अपनी नई पार्टी की सदस्यता लेंगे. इस दौरान बिहार कांग्रेस के तमाम नेता उपस्थित रहेंगे. ज्ञात हो कि इससे पहले अपने बागी तेवर के कारण पार्टी से निलंबित कीर्ति आजाद पहले की कांग्रेस पार्टी की दामन थाम चुके हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा बीते करीब पांच वर्षों से बीजेपी में अपनी अनदेखी के खिलाफ पार्टी के भीतर और बाहर अपने बागी तेवर और तीखे तंजों से आक्रामक रहे हैं. हाल ही में बीजेपी ने बिहार के सभी सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने टिकट बंटवारे में उनका पत्ता काट दिया. उनकी जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

इससे पहले उन्होंने अक्सर बीजेपी छेड़ने के संकेत देते रहे हैं. हाल ही में उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा था, 'जनता से किए गए वादे अभी पूरे होने बाकी हैं. मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, तेरी महफिल में लेकिन हम न होंगे.' ज्ञात हो कि शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से बीजेपी सांसद हैं. उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शेखर सुमन को मात दी थी. 

1980 दशक के मध्य से ही स्टार प्रचारक के रूप में बीजेपी की चुनावी रैलियों में उतरने लगे थे. उन्होंने 1992 में नई दिल्ली लोकसभा की प्रतिष्ठित सीट से पहली बार अपनी चुनावी किस्मत आजमायी थी. यह चुनाव कई मामलों में ऐतिहासिक और पूरे देश की रुचि का केन्द्र बन गया था. इससे पहले बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसी सीट पर अपने समय के सुपरस्टार और कांग्रेस प्रत्याशी राजेश खन्ना को परास्त किया था.

नई दिल्ली लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में राजेश खन्ना कांग्रेस के प्रत्याशी और शत्रुघ्न सिन्हा को बीजेपी का प्रत्याशी बनाया गया. किंतु सिन्हा की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वह खन्ना के हाथों हार गये. बाद में वह 1996 एवं 2002 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बाद वह 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से जीते.

सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में स्वास्थ्य एवं जहाजरानी मंत्री रहे और वह मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री बनने की उम्मीद लगाए बैठे थे. लालकृष्ण आडवाणी के करीबी माने जाने वाले सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना प्रत्यक्ष और परोक्ष ढंग से करने में कोई परहेज नहीं किया.

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