लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अमलापुरम लोकसभा सीट पर पहले चरण में मतदान हुआ. अमलापुरम कभी कांग्रेस का गढ़ रहा लेकिन 1984 में आई टीडीपी की लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया.
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नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अमलापुरम लोकसभा सीट पर पहले चरण में मतदान हुआ. अमलापुरम कभी कांग्रेस का गढ़ रहा लेकिन 1984 में आई टीडीपी की लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया. इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस और टीडीपी के बीच एक दूसरे को हराने का खेल जारी रहा लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में स्थिति बदल गई और वाईएसआर कांग्रेस की एंट्री हो गई. कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई. इसलिए इस बार भी मुकाबला टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है.
अमलापुरम ईस्ट गोदावरी जिले का हिस्सा है. अमलापुरम कृषि क्षेत्र के लिए जाना जाता है. धान और नारियल की खेती प्रमुख रूप से होती है. गैस-बेस पावर प्लांट्स और ऑयल रिफाइनरी प्लांट भी इस लोकसभा क्षेत्र में हैं. अमलापुरम सीट से दिवंगत पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी 1999 में यहां से चुने गए थे. अब उनके बेटे को टीडीपी ने उम्मीदवार बनाया है. अमलापुरम लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं. 2014 में टीडीपी पांडुला रविन्द्र बाबू को जीत मिली थी लेकिन पार्टी ने उनका टिकट का दिया
है. टीडीपी ने दिवंगत पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के बेटे को मैदान में उतारा है. देखना होगा कि इसका कितना फायदा टीडीपी को मिलता है. उधर, वाईएसआर कांग्रेस ने चिंता अनुराधा को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की ओर से जंगा गोवथं तो बीजेपी की ओर से अय्याजी वर्मा मानेपल्ली पर भगवा लहराने की जिम्मेदारी है.
क्या अपनी सीट बचा पाएगी टीडीपी
टीडीपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी सीट को बचाने की है. 2004, 2009 के चुनाव में कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा. 2014 में टीडीपी ने सीट तो जीत ली लेकिन उसके जीत का मार्जिन बहुत ज्यादा नहीं रहा. वाईएसआर कांग्रेस की ओर से उसे कड़ी टक्कर मिली.