जितनी डिग्री, उतना ज्यादा दिमाग में कट्टरपंथ, शरजील ही नहीं तमाम हैं उदाहरण

जब कोई गद्दार बेनकाब होता है तो कुछ मजहबी ठेकेदार अपनी दुकान चलाने के लिए उसकी वकालत करनी शुरू कर देते हैं. शरजील इमाम को बेकसूर बताने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. लेकिन लोग देशद्रोही के आरोपी को बचाने के लिए जिस प्रकार की दुहाई दे रहे हैं वो वाकई हास्यास्पद है. लोग उसकी पढ़ाई का ढिंढोरा पीट रहे हैं. ऐसे लोग शायद अयमन अल जवाहिरी, मकबूल भट, अफजल गुरू, ओसामा बिन लादेन, हाफिज सईद, बगदादी, याकूब मेमन जैसे आतंकियों की डिग्रियां के बारे में नहीं जानते. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए पूरा इतिहास

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 30, 2020, 06:22 PM IST
    1. गद्दारों की वकालत करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा
    2. शरजील जैसे पढ़े लिखे कट्टरपंथियों का पूराा कच्चा-चिट्ठा
    3. इस रिपोर्ट से खुल जाएगी देश विरोधी तत्वों की पोल
    4. बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बावजूद खून में घुलता है जहर
जितनी डिग्री, उतना ज्यादा दिमाग में कट्टरपंथ, शरजील ही नहीं तमाम हैं उदाहरण

नई दिल्ली: देश को तोड़ने की बात करने वाला एक गद्दार बेनकाब हो गया है. जिन्ना की राह पर चलने का मंसूबा लिए शरजील इमाम ने भारत के टुकड़े करने की कोशिश शुरू कर दी थी. लेकिन वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया. गद्दार की गद्दारी पर उसे कोसने के बजाय कुछ मजहबी ठेकेदारों ने उसकी वकालत करनी शुरू कर दी है. लोगों ने दुकान लगाकर गद्दारी का बाजार खोल दिया है. देश की सेना की तुलना पाकिस्तान से करने लगे हैं. शरजील की जहरीली जुबान को नजरअंदाज करके उन्होंने उसकी रिहाई के लिए अपनी छाती पीटनी शुरू कर दी है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि गद्दार शरजील की वकालत करने के लिए उन लोगों ने जिस प्रकार की दलील तैयार की है उसे सुनकर या देखकर हर किसी को हंसी आ जाएगी.

शरजील के पढ़े-लिखे होने की दे रहे हैं दुहाई!

देशद्रोह के आरोपी शरजील इमाम की तारीफ में कसीदे पढ़े जाने शुरू हो गए हैं. हर बार की तरह इस बार भी अफजल बचाओ गैंग पार्ट-2 एक्टिवेट हो गई है. लोगों ने फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर शरजील की वकालत करनी शुरू कर दी है. कुछ मजहबी ठेकेदारों ने तो उसे बचाते-बचाते भारत देश को ही सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया. कुछ ने उसे ये नसीहत दी कि "तुम भारत आए ही क्यों यहां आवाज उठाने वालों को गद्दार साबित कर दिया जाता है."

ऐसे गद्दारों के समर्थकों ने शायद ये भुला दिया है कि वो खुद इस देश के नागरिक हैं, भारतीय हैं, हिन्दुस्तानी हैं. जिस शरजील इमाम के लिए वो अपनी छाती पीट रहे हैं उसने देश की सेना के बारे में बकवास की सारी हदें पार कर दी. उसने देश से असम को तोड़ने की बात कही. 

आपको इस रिपोर्ट में सबसे पहले देशद्रोही के आरोपी शरजील की उस पढ़ाई से रूबरू करवाते हैं, जिसे उसको बचाने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

गद्दार शरजील का कच्चा-चिट्ठा

बिहार के जहानाबाद का रहनेवाला शरजील इमाम, JNU के सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज का छात्र है. इसने पटना के सेंट जेवियर हाईस्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली के वसंत कुंज दिल्ली पब्लिक स्कूल से हायर सेकेंडरी करने के बाद शरजील ने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में एमटेक की डिग्री हासिल की. आईआईटी बॉम्बे में सहायक शिक्षक भी रहा. 

शरजील को जानने वाले बताते हैं कि JNU में दाखिला लेने के बाद से वो इस्लामिक इलमों की ओर मुड़ता चला गया और पांच वक्त का नमाजी भी बन गया. फिलहाल वो जेएनयू से 'मुसलमानों की वर्तमान स्थिति और दंगा' विषय पर पीएचडी कर रहा है.

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वो IIT बॉम्बे के बाद भारत से यूरोप चला गया. वहां के आईटी यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगेन में बतौर प्रोग्रामर काम किया. लेकिन धीरे धीरे कट्टरपंथ की जकड़ में फंसा और कट्टर इस्लामिक संगठनों से जुड़ा. बड़े शातिर तरीके से शरजील ने जेएनयू में एडमिशन लिया क्योंकि यहां टुकड़े टुकड़े गैंग की मौजूदगी में उसके इस्लामिक कट्टरपंथ और देश को तोड़ने वाले इरादे ज़मीन पर उतर सकते थे. ये वही गैंग है जो अफजल गुरू की फांसी को हिंदुओं को खुश करने की लिए उठाया कदम बताती है.

शरजील के जहरीले बोल

अब आपको देशद्रोही के आरोपी शरजील इमाम के उन जहरीले बोल से रूबरू करवाते हैं जिससे ये लगभग साबित होता नजर आ रहा है कि उसकी करतूत किसी गद्दार के कम नहीं है. शरजील इमाम ही शाहीन बाग का मुख्य मास्टरमाइंड है.

अपनी जहरीली जुबान से देश के खिलाफ आग उगलते हुए शरजील ने कहा, "हमें असाम का रस्ता फौज के लिए बंद करना पड़ेगा. जो भी यहां से सप्लाई जा रहा है बंद करो और वो बंद कर सकते हैं क्योंकि चिकन नेक मुसमानों का है. वो जो इलाका है मुस्लिम बहुल आबादी है. कन्हैया जैसे नेता क्या करेंगे वो जाकर इंकलाब के नारे लगवाएंगे, और फोटो खिचवाएंगे और चले आएंगे. तालियां होंगी हमारे अवाम की और चेहरा होगा इनका और उससे एक भी फायदे की चीज़ नहीं निकली आज तक."

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शरजील ने सिर्फ देश की फौज को ही नहीं बल्कि मुस्लिमों को देश से तोड़ने जैसी बात भी कही, "अभी तक ये हमारे कंट्रोल में नहीं है ये उन्हीं के कंट्रोल में है जो भारतीय राष्ट्र की पूजा करते हैं. तो हमारे कंट्रोल में यूं आएगा कि हम लोग मुस्लिम स्कॉलर्स का ग्रुप बनाएं और ऐसा ग्रुप बनाएं कि उसमें आपस में इस बात की बहस न हो कि हम राष्ट्रवादी हैं कि नहीं. ठीक है बाहर जो पर्दा रखना है वो अलग बात है कि ठीक है बाहर कि बात अलग है कि अभी हमें कुछ दिनों तक चुप रहना है. लेकिन ये साफ हो कि हम भारत के निजाम और संविधान से परेशान हैं."

इसके बाद शरजील ने महात्मा गांधी को लेकर कहा कि, "मेरी नजर में आगे का प्लान हमारा यही होना चाहिए कि एक तो हम अपना INTELLECTUAL सेल बनाएं, जिसको गांधी-नेशन इन सब चीजों से कोई लगाव न हो. लगाव न हो और ये साफ हो कि ये हमारे दुश्मन थे. और आपको पता होना चाहिए कि 20वीं सदी का सबसे बड़ा फासिस्ट लीडर खुद गांधी हैं. पता होना चाहिए आपको राम राज्य को किसने लाया? बताइए..."

ये शरजील है या हाफिज सईद?

देखा आपने, जिस तरह शरजील की जुबान चल रही है ऐसा लग रहा है कि जैसे ये हिंदुस्तान का शरजील नहीं, बल्कि पाकिस्तान का आतंकी हाफिज सईद है. तो हिंदुस्तान में खड़े होकर हिंदुस्तान को ही मानने से इनकार कर रहा है. इसके एक एक अल्फाज में इतना जहर घुला है कि हम आपको इसकी पूरी तकरीर भी सुना नहीं सकते. देशद्रोह का ये आरोपी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक को नहीं बख्शा. इसने खुलेआम उनके खिलाफ अपशब्द कह डाले, उन्हें फासिस्ट तक बता दिया.

अब शरजील की वकालत करने वालों का ज्ञान बढ़ाने वाली बातें करते हैं. उन्हें शायद आतंक का इतिहास नहीं मालूम है. वो शायद अयमन अल जवाहिरी को भूल गए हैं. वो शायद अफजल गुरु, बगदादी, हाफिज सईद, मसूद अजहर, मकबूल भट, याकूब मेमन, इकबाल भटकल, यासीन भटकल, रियाज भटकल को भूल गए हैं. पढ़ने लिखने के बाद भी न जाने कौन सा जहर घुल गया इनके दिमाग में कि ये एक से बढ़कर एक आतंक की दुकान चला रहे हैं. आपको सबकी पढ़ाई-लिखाई और करतूत से रूबरू करवाते हैं.

अयमन अल जवाहिरी 

ये पेशे से आंखों के डॉक्टर हुआ करता था. मिस्र के 'इस्लामिक जिहाद' नाम के चरमपंथी संगठन के गठन में इसने अहम भूमिका निभाई जो अल कायदा में ओसामा बिन लादेन का दाहिना हाथ कहा जाता रहा है. जवाहिरी का जन्म 1951 में मिस्र के एक ऐसे मिडल क्लास फैमिली में पैदा हुआ जिसमें कई लोग डॉक्टर और दूसरे क्षेत्रों के विद्वान थे. साल 1974 में काहिरा के मेडिकल कॉलेज से जवाहिरी ने स्नातक किया और 4 साल बाद यहीं से सर्जरी में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की. पढ़ाई लिखाई में जवाहिरी अच्छा था. लेकिन आतंकी बनकर इसने अमेरिका के न्यूयॉर्क पर हमला किया. जवाहिरी लादेन के इशारे पर हमले करता था.

मकबूल भट

मकबूल ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास और राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई पूरी की. मकबूल ने आगे की पढ़ाई पाकिस्तान के पेशावर यूनिवर्सिटी से की. मकबूल ने वहां के एक उर्दू अखबार में भी काम किया. लेकिन सबसे बड़ी करतूत उसकी साल 1971 में सामने आई. साल 1971 के जनवरी माह में इंडियन एयरलाइंस फोक्कर F27 फ्रेंडशिप एयरक्राफ्ट ‘गंगा’ का अपहरण कर लिया गया. प्लेन हाइजैक करने वाले कश्मीरी युवक थे. जो मकबूल भट के बनाए गए संगठन के सदस्य थे.

अफजल गुरू

संसद हमले का दोषी अफजल गुरु ने भी पढ़ाई-लिखाई मन लगाकर की थी. अफजल की शुरुआती पढ़ाई जम्मू-कश्मीर के सोपोर के ही एक सरकारी स्कूल से हुई. उसके बाद उसने मेडिकल की पढ़ाई करते हुए MBBS का एक साल पूरा किया. बताया जाता है कि उसने IAS की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन इस बीच वो जम्‍मू-कश्‍मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्‍य बन गया और फिर कश्मीर की आजादी के लिए जिहाद से जुड़ने का फैसला कर लिया. उसने आतंकी ट्रेनिंग भी ली थी.

ओसामा बिन लादेन

साल 1998 में अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने वाला ओसामा बिन लादेन भी पढ़ाई में अच्छा था. उसने साल 1979 में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी. इतना ही नहीं ओसामा बिन लादेने ने किंग अब्दुल्ला अजीज यूनिवर्सिटी से इकॉनोमिक्स और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की हायर एजुकेशन भी हासिल की थी.

हाफिज सईद

पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका लश्कर-ए-तैयबा का सहारा देकर दहशतगर्दी फैलाने वाले हाफिज सईद ने दो-दो मास्टर डिग्रियां हासिल की है. इस आतंकी ने लाहौर में स्थित एक यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में इस्लामिक स्टडीज का शिक्षक रह चुका है. हाफिज ने अपनी पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब से की है.

अबू बकर अल बगदादी

आतंक से सबसे डरावने किरदार ने भी पढ़ाई के लिए काफी मेहनत की. उसने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए कुरान पढ़ाई, फुटबॉल की कोचिंग भी देता था. साल 1991 में सामरा से उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की. यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के लिए वो 20 साल की उम्र में बगदाद गया. उसने शरिया कॉलेज ऑफ बगदाद यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और कुरानिक रिसाइटेशन को विषय चुना. इसके बाद उसने मास्टर्स की पढ़ाई के लिए सद्दाम यूनर्विसिटी में एडमिशन लिया. लेकिन उसने ISI के जरिए सिर्फ आतंक ही नहीं दरिंदगी का नंगा नाच किया हुआ था.

याकूब मेमन

फांसी के तख्ते पर लटकने वाला ये देश का गद्दार याकूब मेमन पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट था. वो अपने बड़े भाई टाइगर मेमन के गैर-कानूनी धंधे का पूरा हिसाब रखता था. याकूब ने जेल में रहकर भी पढ़ाई की. इसने इग्नू से अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. याकूब मेमन मुंबई बम धमाकों के मुख्य आरोपी इब्राहिम मुश्ताक टाइगर मेमन का भाई था. चार्टटेड अकाउंटेंट की परीक्षा पास कर चुके याकूब मेमन ने साल 2014 में पॉलिटकल साइंस और 2013 में अंगेजी में इग्‍नू से एमए किया था. अंदाजा लगाया जा सकता है कि पढ़ाई करने के बावजूद भी इसके दिमाग में जहर भरा हुआ था. जो देश को दहलाने के लिए बारूद का काम किया.

मो. मसूद अजहर

आतंक के अजगर मसूद अजहर का पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल था. लेकिन मसूद के दिमाग में आतंक का जहर घुलता गया और उसने दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में दहशतगर्दी फैलानी शुरू कर दी.

रियाज भटकल 

इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) की स्थापना आतंकी रियाज भटकल ने ही की थी. रियाज आतंकी बनने से पहले इंजीनियर था. उसने पुणे से पढ़ाई की थी. साल 2006 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट, 2007 के हैदराबाद ब्लास्ट और 2008 के दिल्ली ब्लास्ट में इसी आतंकी ने देश से गद्दारी करके देश को दहलाने की कोशिश की थी.

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान रियाज भटकल के अलावा इकबाल भटकल, आमिर रजा खान, तारिक और फसीह ने ही IM की स्थापना की थी. इससके  साथ ही एक और आतंकी यासीन भटकल भी इससे जुड़ा हुआ था. ये आतंकी बम बनाने में माहिर था. उसने पुणे में इकबाल और रियाज से मुलाकात की थी.

ये सिर्फ कुछ नाम हैं जिसने आतंकी बनने से पहले पढ़ाई में मन लगाकर बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की. लेकिन अपने दिमाग में जहर घोल कर दुनिया में आतंक की नौकरी करने उतर गए. ना जाने कौन सी आयत की इन्होंने पढ़ाई की जो ये सारे के सारे आतंक की राह पर अग्रसर होते चले गए. ये कहना गलत नहीं होगा कि आतंक की सबसे पहली सीढ़ी गद्दारी ही होती है. ऐसे में शरजील ने भी पहली सीढ़ी चल ली थी. वो भी काफी पढ़ा लिखा है, इससे समझा जा सकता है कि वो कैसे देश के लिए घातक साबित हो सकता था.

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शरजील की गिरफ्तारी और पूछताछ यकीनन बहुत सारे तथ्य सामने आएंगे. देश भर में CAA के खिलाफ ज़हर बांटती इस कट्टरपंथी जमात के हर एक शख्स का कच्चा चिट्ठा सामने आएगा. हर वो चेहरे जो दिल्ली से लेकर देश में जहां जहां भी होंगे पुलिस की गिरफ्त में होंगे. लेकिन क्या ये अब भी माना जाएगा कि CAA के खिलाफ इस झूठ की लहर ने कितना नुकसान देश का किया?

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