वुहान वायरस पर चीन-अमेरिका युद्ध विराम

वुहान वायरस पर संदेह केवल अमेरिका को नहीं है, सारी दुनिया ने ये सवाल पूछा है जिसका जवाब अब तक चीन के द्वारा नहीं दिया गया है सिवाये इस प्रश्न पर विवाद करने के.. औऱ यह विवाद चीन ने अमेरिका से ही किया था..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 10, 2020, 01:07 AM IST
    1. यह युद्ध-विराम स्थायी नहीं है
    2. वुहान वायरस अब और नहीं
    3. चीनी वायरस पर चीनी होमवर्क अपूर्ण
    4. क्यों किया ट्रम्प ने समझौता?
वुहान वायरस पर चीन-अमेरिका युद्ध विराम

नई दिल्ली: ‘वुहान वायरस’ पर अब विवाद समाप्त हो गया है और अब अमेरिका और चीन ने आपसी सहयोग को स्वीकृति  प्रदान कर वुहान पर वाक्-युद्ध को विराम दे दिया है. ये बात दीगर है कि न अमेरिका के कहने पर ये विवाद छिड़ा है और न ही अमेरिका के समझौता कर लेने पर ये विवाद खत्म होने वाला है. चीन को तो जवाब देना ही होगा हर उस सवाल का जिसमें दुनिया को संकट में डालने वाले चीनी वायरस की साजिश की जानकारी का खुलासा हो सकेगा.

यह युद्ध-विराम स्थायी नहीं है

यद्यपि इसका अर्थ यह नहीं है कि अमेरिका अब कभी चीन पर वुहान वायरस का संदेह नहीं करेगा और प्रश्न भी नहीं खड़ा करेगा. ये चीन को भी पता है कि यह शाब्दिक-युद्ध विराम कुछ समय की ही बात है क्योंकि वुहान वायरस के प्रसार के बाद दुनिया ने तो चीन के चेहरे को पहचान लिया था लेनकि यह अमेरिका ही था जिसने सबसे पहले इस बात को अपरोक्ष रूप से दुनिया के सामने उठाया.

वुहान वायरस अब और नहीं

कोरोना महामारी पर अमेरिका की वेदना को दुनिया देख रही है और खुद भी इसी पीड़ा से हो कर गुज़र रही है. किन्तु अमेरिका ने जोश में होश खोने की बजाये होशियारी दिखाने की समझदारी दिखाई है और अमेरिका से वर्बल-ट्रूस अर्थात शाब्दिक-समझौता कर लिया है. अब अमेरिका वुहान वायरस को लेकर कोई बयान नहीं देगा और चीन पर कोई सवाल खड़े नहीं करेगा और उसके बदले में चीन अमेरिका को इस महामारी से निपटने में मदद करेगा.

चीनी वायरस पर चीनी होमवर्क अपूर्ण

इस समझौते से ही ज़ाहिर है कि चोर की दाढ़ी में तिनका. चीन को चीनी वायरस या वुहान वायरस सुनना आखिर पसंद क्यों नहीं है? और अगर इसमें चीनी साजिश नहीं है तो चीन इसका स्पष्टीकरण क्यों नहीं दे रहा? इससे ये भी समझ में आता है कि कोरोना को लेकर चीन के होमवर्क में कमी रह गई है और अब उसके पास दुनिया के सवालों से बचाव के लिए बहाने भी नहीं हैं.

क्यों किया ट्रम्प ने समझौता?

कोरोना संकट पर अमेरिका का दारुण दुःख समझा जा सकता है. अमेरिका की हताशा उसकी इस महामारी से युद्ध करने को लेकर अनुभव हो रही असमर्थता का परिचय है. ऐसे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हर वह प्रयास कर रहे हैं जो इस महामारी से अमेरिका को उबरने में मदद कर सके. इसी सिलसिले में

इसलिए त्वरित निर्णय ले कर अमेरिका ने  चीन के साथ चल रहा अपना वाकयुद्ध रोकने के फैसले से ला चीन को अवगत कर दिया जिसके उपरान्त अब आधिकारिक अमेरिकी राजनैतिक शब्दकोश में कोरोना वायरस अब ‘वुहान वायरस’ नहीं रह गया है.

पोम्पियो ने दी जानकारी

हाल में ही अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इस दिशा में संकेत दिए हैं. पत्रकार वार्ता में चीन को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि - इस वैश्विक महामारी के दौर में हर देश को मिल कर इस संकट का समाधान निकालना होगा. इसी तरह से वहीं वाशिंगटन स्थित चीनी राजदूत कुई तियानकई ने भी बयान दिया कि चीन को अमेरिकियों से लगाव है और चीन अमेरिका की मदद के लिए संकल्पबद्ध है.

वायरस पर वाक् युद्ध

पिछले माह अर्थात तीन हफ्ते पहले 17 मार्च को डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एक बयान में कोरोना वायरस को चीनी वायरस कह दिया था जिस पर चीन ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी. और उसके जवाब में चीन ने आरोप लगाया था कि वुहान में वायरस को अमेरिकी सैनिकों ने पहुंचाया था.

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किन्तु 26 मार्च को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फ़ोन पर बात करने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को ‘चाइनीज वायरस’ कहना बंद कर दिया था. उसके बाद अब ‘वुहान वायरस’ कहने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी आपसी सहयोग की बात कहनी शुरू कर दी है.

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