वो दिन जब होती है यमराज की पूजा, दर्शन करने से ही मिट जाता है अकाल मृत्यु का भय, ये है कहानी
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वो दिन जब होती है यमराज की पूजा, दर्शन करने से ही मिट जाता है अकाल मृत्यु का भय, ये है कहानी

Diwali 2024: नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन यमराज के दर्शन से हमारा मतलब है उनकी मूर्ति या चित्र के दर्शन कर लें, तो अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल जाता है. हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है. और ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर यमराज के दर्शन शुभ हैं.

वो दिन जब होती है यमराज की पूजा, दर्शन करने से ही मिट जाता है अकाल मृत्यु का भय, ये है कहानी

Diwali Puja Timings: लोग कहते हैं कि अगर यमराज के दर्शन हो गए, तो समझो दिन पूरे हो गए. लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली से पहले एक ऐसा दिन आता है, जिस दिन यमराज के दर्शन कर लेने पर, उनके असली दर्शन का समय टल जाता है. कम से कम ज्योतिषियों और पंडितों का तो यही कहना है.

अकाल मृत्यु से मिल जाता है छुटकारा

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन यमराज के दर्शन से हमारा मतलब है उनकी मूर्ति या चित्र के दर्शन कर लें, तो अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल जाता है. हिंदू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है. और ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर यमराज के दर्शन शुभ हैं.

यही नहीं मध्यप्रदेश के ग्वालियर में तो साल में एक बार नरक चतुर्दशी के दिन यमराज का अभिषेक किया जाता है. इस दिन खास पूजा अर्चना आयोजित की जाती है.

यमराज का किया जाता है अभिषेक

वर्ष का ये इकलौता ऐसा दिन होता है, जब मृत्यु के देवता का भी अभिषेक किया जाता है. ग्वालियर के मारकंडेश्वर मंदिर में हर साल...नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की आराधना की जाती है. अपने जीवन में कोई भी इंसान जीते जी यमराज के दर्शन नहीं करना चाहता. मृत्यु की पुकार और यमराज के दर्शनों को एक दूसरे का पर्याय कहा जाता है. लेकिन नरक चतुर्दशी पर यमराज के दर्शन करना शुभ है.

जिस मंदिर में यमराज की पूजा की जा रही है उसका भी अपना एक अलग महत्व है. ग्वालियर का मारकंडेश्वर मंदिर करीब 300 वर्ष पुराना है. मान्यता है कि इस जगह पर श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. नरकासुर ने 16 हजार लड़कियों का अपहरण किया था. मान्यता ये भी है कि यहीं पर यमराज को ऋषि मारकण्डेय की शिवभक्ति के आगे झुकना पड़ा था.

ऋषि मारकण्डेय की कम उम्र में मृत्यु होनी थी. यमराज जब उन्हें लेने आए, तब उन्होंने शिवलिंग को पकड़ लिया था और इसके बाद महादेव के आदेश पर यमराज को पीछे हटना पड़ा था. इसीलिए माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के दर्शन करने से अकाल मृत्यु और नरक का भय खत्म हो जाता है.

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