कोरोना काल में ऐसे करें कन्या पूजन, कन्याओं को दें ये उपहार
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कोरोना काल में ऐसे करें कन्या पूजन, कन्याओं को दें ये उपहार

नवरात्रि (Navratri) के दौरान ज्यादातर घरों में कन्या पूजन के साथ अष्टमी या नवमी मनाई जाती है. कन्या पूजन में कन्याओं को प्रसाद देने के साथ ही उपहार देने की भी परंपरा है. इस लेख में जानिए कन्या पूजन से जुड़ी हर जरूरी बात.

नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

नई दिल्ली: नवरात्रि (Navratri) के दौरान कई लोगों के मन में अष्टमी तथा कन्या पूजन (Kanya Pujan) को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहती है. कोरोना वायरस (Coronavirus) के दौर में यह अस्पष्टता बढ़ती जा रही है. लोगों के मन में कन्या पूजन (Kanya Pujan) को लेकर कई सवाल हैं, जिनका सपष्टीकरण यहां दिया जा रहा है.

  1. श्री दुर्गाष्टमी 23 तारीख को मनाई जाएगी
  2. कन्या पूजन अष्टमी व नवमी में से किसी भी दिन किया जा सकता है
  3. पूजन के बाद कंजकों को उपहार देने की भी परंपरा है

अष्टमी का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सप्तमी 23 अक्टूबर, शुक्रवार को प्रातः 6 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और अष्टमी आरंभ हो जाएगी. अष्टमी 24 तारीख को सुबह 06:59 बजे तक रहेगी. जहां सूर्योदय 6.35 बजे के बाद है, वहीं श्री दुर्गाष्टमी 23 तारीख को मनाई जाएगी. इस नियम के अनुसार, दिल्ली, हरियाणा आदि में अष्टमी 24 को मनाई जाएगी.

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अपनी आस्था और सुविधानुसार आप दोनों में से किसी दिन भी मना सकते हैं. कुछ लोग सप्तमी का व्रत रखते हैं. आप कन्या पूजन अष्टमी और नवमी पर कर सकते हैं.

कोरोना काल में कैसे करें कंजक पूजन
वर्तमान परिस्थितियों में फेस्टिवल सीजन में पराली दहन, आपसी दूरी बनाकर न रखना और मास्क न पहनने के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में इस बार घर में मौजूद कन्याओं और एक छोटे बालक के पूजन से काम चलाना बेहतर रहेगा. शगुन एवं परंपरा के लिए हलवा, पूरी, काले चने उतने ही बनाएं, जितने बांटे जा सकें.

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गरीब बस्तियों में आप इसके और उपहार के पैकेट बना कर नियमों का पालन करते हुए वितरित कर सकते हैं.

कन्या पूजन का पारंपरिक विधान
दुर्गाष्टमी को कन्या पूजन करके व्रतादि का उद्यापन करना शुभ रहेगा. अष्टमी पर 9 वर्ष की 9 कन्याओं तथा एक बालक को अपने निवास पर आमंत्रित करें. उनके चरण धोएं. उनके मस्तक पर लाल टीका लगाएं व कलाई पर मौली बांधें. उन्हें लाल पुष्पों की माला पहनाएं व उनका पूजन करके उन्हें हलवा, पूरी, काले चने का प्रसाद दें. उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.

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उन्हें लाल चुनरी या लाल परिधान तथा उचित दक्षिणा एवं उपयोगी उपहार सहित विदा करें. इसके साथ ही कन्या रक्षा का भी संकल्प लें.

श्री दुर्गाष्टमी का महत्व
देवी का अष्टम स्वरूप महागौरी का है. इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है. भगवती का सुंदर, सौम्य, मोहक स्वरूप महागौरी में विद्यमान है. वे सिंह की पीठ पर सवार हैं. उनके मस्तक पर चंद्र का मुकट सुशोभित है. उनकी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण हैं.

मां का पूजन एवं मंत्र
चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछा कर माता की प्रतिमा या चित्र रखें. उनके समक्ष घी का दीपक जलाकर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें. उन्हें दूध निर्मित प्रसाद चढ़ाएं.

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मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नमः।।
इस मंत्र की एक या 11 माला का जाप करें. अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें. अष्टमी पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी.

नौ देवियों के रूप में नौ कन्याएं
शास्त्रों में कहा गया है कि नौ देवियों के रूप में अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए. ये नौ कन्याएं नौ देवियों का ही रूप हैं. हर कन्या एक देवी का रूप है, जिसका पूजन करते हुए उपासक परोक्ष रूप से उस देवी का ही पूजन करता है.

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इसमें दो साल की बच्ची कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा का स्वरूप होती हैं. जरूरी नहीं कि नौ ही कन्याएं पूजन के लिए आएं, अगर ज्यादा कन्याएं आ गई हैं तो उनका भी विधिवत पूजन करें और प्रसाद वितरित करें. अगर कन्याओं की संख्या ज्यादा न हो पाए तो भी चिंता न करें. केवल दो कन्याओं को पूजने से भी व्रत का परायण संपन्न हो सकता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 9 साल से ज्यादा न हो.

कन्या पूजन का महत्व
वैसे भी शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. दो कन्याओं की पूजा से भोग और मोक्ष साथ-साथ मिलते हैं.

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तीन कन्याओं के पूजन से धर्म के साथ-साथ अर्थ व काम की भी प्राप्ति होती है. चार कन्याओं की पूजा से राजयोग मिलता है और पांच कन्याओं के पूजन से विद्या धन की प्राप्ति होती है. छह कन्याओं का पूजन छह तरह की सिद्धि दिलाता है और सात कन्याओं का पूजन राज्य में राज सुख दिलाता है. आठ कन्याओं के पूजन से संपूर्ण संपदा और नौ कन्याओं के पूजन से धरती के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.

मनपसंद गिफ्ट देकर कंजकों को करें खुश
समय अब काफी मॉडर्न हो चुका है इसलिए आप प्रसाद के साथ उन्हें मनपसंद चीजें उपहार में भी दे सकते हैं. गिफ्ट पाकर हर बच्चा खुश होता है. बाजार में आपको ऐसी बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी, जिन्हें आप कंजक पूजन में बच्चों को दे सकते हैं.

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ध्यान रखें कि उन्हें ऐसा कोई भी गिफ्ट न दें, जो उनके काम न आए. ये उपहार उनकी उम्र के हिसाब से हो तो अच्छा है. कंजक पूजन में दिए जाने वाले गिफ्ट को लेकर बाजारों में खूब धूम मची हुई है. बस अपनी पसंद की चीजें लाएं और बच्चों को खुश करें.

एक्सेसरीज- लड़कियों को एक्सेसरीज बहुत पसंद आती हैं. आप उनके लिए नेकलेस, रंगबिरंगी चूड़ियां, ब्रेसलेट, हेयरबैंड, क्लिप्स, हेयरपिन, छोटे इयररिंग आदि दे सकते हैं. लेकिन ये चीजें 6 से 9 साल की लड़कियों को दें तो अच्छा है क्योंकि वे इन चीजों का इस्तेमाल करना बखूबी जानती हैं.
स्टेशनरी- छोटे बच्चों को स्टेशनरी का सामान गिफ्ट में दिया जाए तो सबसे बढ़िया है. ये चीजें उनके बहुत काम आती हैं. आप उन्हें पेंसिल बॉक्स, शार्पनर (Sharpener), पेन, रबड़ (Rubber) और कलर्स (Colors) दे सकते हैं. अगर बच्चे 4-5 साल के हैं तो उन्हें आप कविता-कहानी से जुड़ी किताबें भी दे सकते हैं.

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खिलौने- 2-3 साल के बच्चे खिलौनों से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप इन्हें बैलून (Balloon), टेडी (Teddy), कलरफुल ब्लॉक गेम्स (Colorful Block Games), पजल (Puzzle) आदि दे सकते हैं.
स्कूल आइटम- बच्चों को स्कूल में टिफिन, वॉटर बोतल, सिप्पर आदि की जरूरत तो पड़ती ही है. आप उन्हें उनके मनपसंद कार्टून कैरेक्टर वाली ये चीजें भी दे सकते हैं.
पिग्गी बैंक- अगर आप बच्चों को देने के लिए कोई चीज सेलेक्ट नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें पिग्गी बैंक (Piggy Bank) दे दीजिए. इससे उन्हें अपनी पॉकेट मनी सेव करने की अच्छी आदत भी पड़ेगी. इसे आप हर उम्र के बच्चे को दे सकते हैं.

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