Khatu Shyam: पौराणिक शास्त्रों की माने तो खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है. श्री खाटू श्याम पांडु के पुत्र भीम के पौत्र थे. खाटू श्याम के पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम हिडिंबा था. शुरुआत में खाटू श्याम का नाम बर्बरीक था. बर्बरीक काफी शक्तिशाली योद्धा था.
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Khatu Shyam Birthday: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को खाटू श्याम की जयंती मनाई जाती है. पंचाग के मुताबिक इस दिन देवउठनी एकादशी भी मनाई जाती है. एकादशी के दिन भगवान खाटू श्याम जी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है. इसके साथ कई प्रकार के भोग भी उन्हें अर्पित किया जाता है. पौराणिक मान्यता है कि खाटूश्याम जी कलयुग में भगवान कृष्ण के अवतार हैं.
राजस्थान के सीकर में है मंदिर
कार्तिक एकादशी के दिन खाटू श्याम के मंदिर में भारी भीड़ होती है. भगवान खाटू श्याम का भव्य मंदिर राजस्थान के सीकर में है. पौराणिक मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इसलिए एक कहावत भी है कि हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा.
कौन थे खाटू श्याम?
पौराणिक शास्त्रों की माने तो खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है. श्री खाटू श्याम पांडु के पुत्र भीम के पौत्र थे. खाटू श्याम के पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम हिडिंबा था. शुरुआत में खाटू श्याम का नाम बर्बरीक था. बर्बरीक काफी शक्तिशाली योद्धा था.
हिडिंबा से हुई थी भीम की शादी
महाभारत काल की मान्यताओं की माने तो जब पांडू पुत्र अपनी माता कुंती के साथ छिपते हुए जंगल-जंगल घूम रहे थे इसी दौरान भीमसेन का सामना राक्षसी पुत्री हिडिंबा से हुआ. जिसके बाद हिडिंबा भीमसेन पर मोहित हो गई. जिसके बाद दोनों की शादी हुई और हिडिंबा ने एक पुत्र को जन्म दिया.
मायावी पुत्र था घटोत्कच
दोनों की शादी के बाद बल और पराक्रम के साथ-साथ माया से भरपूर एक पुत्र का जन्म हुआ. दोनों ने मिलकर इसका नाम घटोत्कच रखा. बाद में घटोत्कच की शादी हुई जिसका नाम बर्बरीक रखा गया. यही बर्बरीक भगवान श्री कृष्ण की कृपा से आगे चलकर खाटू श्याम के नाम से जाना जाने लगा.
क्यों प्रसिद्ध हुए खाटू श्याम?
महाभारत युद्ध के दौरान, बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि उसे भी युद्ध में भाग लेने की अनुमति दी जाए. चूंकि श्रीकृष्ण इस युद्ध का परिणाम और बर्बरीक की पराक्रम को जानते थे ऐसे में उसे युद्ध में भाग न लेने के लिए कई तरह की बातें बताई. लेकिन बर्बरीक नहीं माना. जिसके बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए कुछ दान मांगा. बर्बरीक ने जैसे ही हां कहा तुरंत श्री कृष्ण ने उसका सर मांग लिया. बर्बरीक ने भी देर न करते हुए अपना सिर काट कर दान कर दिया.
कलयुग में श्याम नाम का मिला वरदान
बर्बरीक के इस बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे वरदान दिया. श्री कृष्ण ने कहा कि तुम कलयुग में श्याम के नाम से प्रचलित हो जाओगे. वरदान देने के बाद, उनके सिर को खाटू नगर (मौजूदा राजस्थान राज्य के सीकर जिला) में अंतिम संस्कार किया गया. इस कारण उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)