स्वयं श्री कृष्ण ने बताया है मोहिनी एकादशी का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा
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स्वयं श्री कृष्ण ने बताया है मोहिनी एकादशी का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा

मोहिनी एकादशी 14 मई 2019 को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी. 15 मई 2019 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा.

स्वयं श्री कृष्ण ने बताया है मोहिनी एकादशी का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. एकादशी एक माह में दो बार पड़ती है, जिसका व्रत रखना शुभ माना जाता है. वैशाख शुक्ल की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी मनाई जा जाती है. इस बार इस एकादशी का शुभ मुहूर्त 15 मई यानि की आज है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मोहिनी एकादशी पर व्रत रखने पर मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
मोहिनी एकादशी 14 मई 2019 को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू हो जाएगी. 15 मई 2019 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर एकादशी का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा. मोहिनी एकादशी को व्रत रखने वाले भक्त 16 मई को द्वादशी समाप्त होने के समय सुबह 5 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 15 मिनट के शुभ मुहूर्त पर व्रत का पारण करेंगे.

मोहिनी एकादशी की व्रत कथा
मोहिनी एकादशी का जिक्र विष्णु पुराण में मिलता है. कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृतकलश निकला तो देवताओं और असुरों में अमृत के बंटवारे को लेकर छीनाझपटी मच गई. असुर देवताओं को अमृत नहीं देना चाहते थे जिस वजह से भगवान विष्णु ने एक बहुत रूपवती स्त्री मोहिनी का रुप धारण कर असुरों से अमृतकलश ले लिया और देवताओं में बांट दिया. इसके बाद से सारे देवता अमर हो गए. यह घटनाक्रम वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा गया.

पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

पंडितों के अनुसार, इस दिन किए गए पूजन पाठ से सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं. सभी तरह के मोह दूर होते हैं. इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं. भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. दिनभर निराहार रहना चाहिए. अगर ये संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं. शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.

एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. तुलसी परिक्रमा करें.

एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं. इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए. अगर आप चाहें तो दूध में केसर मिलाकर भी भगवान विष्णु का अभिषेक कर सकते हैं.

किसी मंदिर में जाकर अन्न (गेहूं, चावल आदि) का दान करें. भगवान विष्णु को पीतांबरधारी भी कहते हैं, इसलिए एकादशी पर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करना चाहिए. भगवान विष्णु को तुलसी की माला चढ़ाएं.

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