Akhnoor Pandava Caves: कहा जाता है कि अपने अज्ञातवास के एक वर्ष के दौरान पांडवों ने इस गुफा को अपना निवास स्थान बनाया था.
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Mahabharat Pandava Caves: महाभारत काल की रहस्यमयी और अद्भुत कहानियों में से एक जम्मू से लगभग 28 किमी दूर स्थित ''पांडव गुफा'' की कथा है. इस गुफा का इतिहास पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लगभग 5155 साल पुराना है. कहा जाता है कि अपने अज्ञातवास के एक वर्ष के दौरान पांडवों ने इस गुफा को अपना निवास स्थान बनाया था. यहां वे अपना नाम और वेश बदलकर गुप्त रूप से रहे. गुफा के पुजारी सुरिंदर शास्त्री ने यहां की कथा बताते हुए कहा कि महाभारत काल में जब पांडव यहां अज्ञातवास में थे तो चेनाब नदी का शोर उनकी तपस्या में बाधा डालता था. इस पर पांडव पुत्र भीम ने अपने बल और श्राप से इस नदी को शांत कर दिया. आज भी गुफा के पास 500 मीटर के दायरे में चेनाब नदी का पानी पूरी तरह शांत है, जबकि इसके आगे और पीछे यह अपने सामान्य रूप में बहती है. उस समय इस नदी को "चंद्रभागा" के नाम से जाना जाता था. यह गुफा अखनूर के जिया पोता घाट के पास स्थित है. घाट पर चेनाब का शांत स्वरूप आज भी पांडवों की उपस्थिति का प्रमाण माना जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण
पौराणिक कथाओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान भगवान श्रीकृष्ण भी पांडवों से मिलने इस गुफा में आए थे. उन्होंने भेष बदलकर बाल रूप में अपनी गायों के साथ यहां प्रवेश किया. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में कौरवों को हराने की रणनीति भगवान श्रीकृष्ण ने इसी गुफा में पांडवों के साथ मिलकर बनाई थी. गुफा के भीतर आज भी एक विशाल शिला (पत्थर) पर भगवान श्रीकृष्ण और उनकी गायों के पैरों के निशान मौजूद हैं, जो इस कथा की साक्षी देते हैं.
पांडवों की पूजा और आस्था
गुफा के अंदर एक "आप शंभु शिवलिंग" स्थित है जिसकी पूजा पांडव नियमित रूप से करते थे. मान्यता है कि भगवान शिव की आराधना कर पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मांगा था. गुफा में हनुमान जी की एक प्राचीन मूर्ति भी स्थापित है. कहा जाता है कि यह मूर्ति स्वयं पांडव पुत्र भीम ने स्थापित की थी. भीम भगवान हनुमान की पूजा कर अपनी शक्ति और बल के लिए आशीर्वाद मांगते थे. मान्यता है कि भगवान हनुमान ने उन्हें साक्षात दर्शन देकर उन्हें सबसे बलशाली योद्धा होने का वरदान दिया.
पौराणिक युद्ध और अमरनाथ की यात्रा
अज्ञातवास के दौरान इसी स्थान पर विराट राजा के सेनापति ने द्रौपदी पर बुरी नजर डाली थी. इस पर भीम ने उससे भयंकर युद्ध किया और उसे पराजित किया. इसके बाद पांडव और द्रौपदी ने यहां से बाबा बर्फानी (भगवान शिव) के दर्शन करने के लिए अमरनाथ की यात्रा की थी. यह भी कहा जाता है कि इस गुफा से एक मार्ग सीधे अमरनाथ तक जाता है, जो इसे और भी अद्भुत और पौराणिक बनाता है. पांडव गुफा आज भी अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के कारण अद्वितीय है. यहाँ हर कदम पर महाभारत काल के रहस्यों की झलक देखने को मिलती है.