Peregrine Mission 1 Abort: अमेरिका के मून मिशन को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले ही नष्ट करना पड़ा. इस मिशन के लांच होने के कुछ घंटे बाद ही पता चल गया था कि अंतरिक्ष यान में रिसाव है. इससे पहले अमेरिका 1972 में अपोलो 17 मिशन पूरा किया था.
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Peregrine Mission 1: अमेरिका का पेरेग्रीन मिशन- 1 को चांद पर लैंड करने से पहले ही प्रशांत महासागर में नष्ट करना पड़ा. ये मिशन 8 जनवरी 2024 को अमेरिका के केप कैनावेरल से लांच किया गया था. अमेरिका ने 52 सालों के बाद पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए मिशन किया. इससे पहले 1972 में नासा ने मून मिशन अपोलो 17 भेजा था. पेरेग्रीन मिशन- 1 लॉन्च के कुछ घंटों बाद ही अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी (ईंधन रिसाव) का पता चला. इसके बाद ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता था कि ये मिशन खराब हो चुका है. लेकिन पेरेग्रीन मिशन- 1 के अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के ऑर्बिट में जाने दिया गया और इसको आपरेट करके लांच डेट के 10 दिन बाद 18 जनवरी 2024 को प्रशांत महासागर में समाप्त किया गया.
मिशन नष्ट करने के पहले का वीडियो
पेरेग्रीन मिशन- 1 एक प्राइवेट कंपनी द्वारा भेजी गई स्पेस मिशन है. इस कंपनी का नाम एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी है, जिसे एस्ट्रोबोटिक भी कहा जाता है. इस मिशन को नष्ट करने से पहले का एक वीडियो एस्ट्रोबोटिक ने सोशल मीडिया एक्स पर अपलोड किया है. इस वीडियो देखा जा सकता है कि नीले रंग की पृथ्वी दूर से कितना आकर्षक दिखता है.
(2/2)Peregrine captured this video moments after successful separation from @ulalaunch Vulcan rocket. Counterclockwise from top left center is the DHL MoonBox, Astroscale's Pocari Sweat Lunar Dream Time Capsule, & Peregrine landing leg. Background: our big blue marble, Earth! pic.twitter.com/1y4OsosNDp
— Astrobotic (@astrobotic) January 19, 2024
चंद्रयान-3 vs पेरेग्रीन मिशन- 1
चंद्रयान-3 के जैसे पेरेग्रीन मिशन- 1 लैंडर लगा हुआ था. चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर लगा हुआ था और पेरेग्रीन मिशन- 1 में पेरेग्रीन लूनर लैंडर लगा था. चंद्रयान-3 में 5 पेलोड लगे थे पेरेग्रीन मिशन- 1 में 21 पेलोड लगे थे. चंद्रयान-3 के जैसे इस मिशन का लक्ष्य भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके लूनर सरफेस और वहां के वातावरण और तापमान के बारे में स्टडी करना था. लेकिन पेरेग्रीन मिशन- 1 चांद पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया.
रूस और जापान साफ्ट लैंडिंग की कहानी
पिछले एक साल में 4 देशों ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया है जिनमें सिर्फ दो देश ही सफल हो पाए हैं. वो चार देश भारत, जापान, रूस और अमेरिका हैं जिसमें से भारत और जापान ही सफल लैंडिंग कर पाए हैं. 23 अगस्त 2023 को चांद के सतह पर चंद्रयान-3 के सफल सॉफ्ट लैंडिंग के ठीक 5 दिन पहले रूस का लूना-25 नहीं लैंड कर पाया था. लूना-25 19 अगस्त 2023 को चांद के सतह पर पहुंचने से पहले ही क्रैश हो गया था. आपको बता दें 19 जनवरी 2024 को जापान भी चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग किया है. 'मून स्नाइपर' के सॉफ्ट लैंडिंग के बाद जापान चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन चुका है. हालांकि, अमेरिका की गिनती पहले से ही चांद पर पहुंचने वाले देशों में होती है.
1972 में भेजा गया था अंतिम अपोलो मिशन
52 साल पहले अमेरिका ने अंतिम मून मिशन अपोलो 17 किया था. अपोलो के कुल 17 मिशन किए जा चुके हैं जिनमें 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजा जा चुका है. ऐसा माना जाता है कि अपोलो मिशन अमेरिका और रूस के कोल्ड वार का हिस्सा था. 1972 में इस मिशन रोक लगा दिया गया था. बता दें कि अभी तक दुनिया में अमेरिका इकलौता देश है जो चांद पर इंसानों को भेज पाया है.