Artificial intelligence यह जानने में मदद कर सकता है कि हम ब्रह्मांड में अकेले हैं या नहीं: स्टडी
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Artificial intelligence यह जानने में मदद कर सकता है कि हम ब्रह्मांड में अकेले हैं या नहीं: स्टडी

Nature Astronomy: हाल ही में की गई एक स्टडी के अनुसार पता चला है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सही इस्तेमाल से हमें इस सवाल का जवाब ढूंढ सकते हैं कि क्या दुनिया में इंसानों के सिवा भी कोई एडवांस एक्स्ट्रा टेरिस्ट्रियल लाइफ मौजूद है या नहीं.

फाइल फोटो

SETI Institute: शोधकर्ताओं ने पूर्व में धरती के नजदीकी तारों के डेटासेट का अध्ययन करने के लिए Deep learning (डीप लर्निंग) तकनीक का इस्तेमाल किया और 8 अज्ञात संकेतों को उजागर किया. शोधकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व टोरंटो विश्वविद्यालय के एक स्नातक छात्र पीटर मा ने किया. इस टीम में एसईटीआई इंस्टीट्यूट (SETI Institute), ब्रेकथ्रू लिसन और दुनिया भर के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिक भी थे. यह अध्ययन ‘Nature Astronomy’ शोध पत्रिका में प्रकाशित हुई है.

हमारे सिवा ब्रह्मांड कौन?

Artificial intelligence पर आधारित अध्ययन में कहा गया है कि तकनीकी रूप से उन्नत अलौकिक जीवन (Advanced Extraterrestrial Life) की खोज की संभावना पर विचार करते समय यह प्रश्न अक्सर उठता है कि अगर वे वहां हैं तो हमने उन्हें अभी तक क्यों नहीं खोजा? अक्सर, प्रतिक्रिया यह होती है कि हमने आकाशगंगा के केवल एक छोटे से हिस्से की खोज की है. 

तैयार किया बड़ा डेटासेट

अध्ययन के मुख्य लेखक पीटर मा ने कहा कि कुल मिलाकर हमने आस-पास के 820 तारों के 150 टीबी डेटा के माध्यम से एक डेटासेट पर खोज की थी जिसे पुरानी तकनीकों द्वारा 2017 में खोजा गया था लेकिन किसी अनोखे संकेत का पता नहीं चला. पीटर मा ने कहा कि हम इस खोज को अब मीरकैट दूरबीन और उससे आगे 10 लाख तारों तक बढ़ा रहे हैं. हमारा मानना है कि 'क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं?' इस सवाल का जवाब मिल सकता है.

रेडियो तकनीकी विज्ञान में मिलेगी मदद

अध्ययन में कहा गया है कि रेडियो संकेतों की खोज करना सबसे आम तकनीक है क्योंकि तरंगों से तारों के बीच दूरियों के बारे में जानकारी मिल जाती है. इसमें कहा गया कि रेडियो संकेत अंतरिक्ष में व्याप्त धूल और गैस के माध्यम से तेजी से गुजरते हैं और ऐसा प्रकाश की गति से होता है जो हमारे रॉकेटों की तुलना में लगभग 20,000 गुना तेज है.  पीटर मा के अनुसंधान सहायक और एसईटीआई इंस्टीट्यूट तथा फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च में खगोल विज्ञानी ने कहा कि बड़े पैमाने पर इन तकनीक का प्रयोग रेडियो तकनीकी विज्ञान के लिए परिवर्तनकारी होगा.

(इनपुट: एजेंसी)

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