डार्क मैटर प्रकाश से भी तेज चलने वाले कणों से बना है! आइंस्टीन को चुनौती दे रही नई स्टडी
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डार्क मैटर प्रकाश से भी तेज चलने वाले कणों से बना है! आइंस्टीन को चुनौती दे रही नई स्टडी

Dark Matter And Einstein Theory: दो वैज्ञानिकों का दावा है कि डार्क मैटर ऐसे कणों से बना है जो प्रकाश की गति से भी तेज चलते हैं. ये कण आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के सिद्धांत (Einstein's Theory of Special Relativity) का उल्लंघन करते हैं जिसके मुताबिक ब्रह्मांड में प्रकाश से तेज कुछ भी नहीं चल सकता.

डार्क मैटर प्रकाश से भी तेज चलने वाले कणों से बना है! आइंस्टीन को चुनौती दे रही नई स्टडी

Dark Matter Study: हमारे ब्रह्मांड का 95% से ज्यादा हिस्सा डार्क मैटर है मगर यह अब तक रहस्य बना हुआ है. दो वैज्ञानिकों ने सुझाया है कि शायद डार्क मैटर, टैकियॉन नाम के कणों से बना है. टैकियॉन ऐसे काल्पनिक कण हैं जो इन वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रकाश से भी तेज गति से चलते हैं. हालांकि, यह सीधे-सीधे अल्बर्ट आइंस्टीन की स्पेशल रिलेटिविटी थ्योरी के खिलाफ है जो कहती है प्रकाश से तेज इस ब्रह्मांड में और कुछ भी नहीं.

महान वैज्ञानिक आइंस्टीन की थ्योरी ब्रह्मांड से जुड़ी हमारी वर्तमान समझ का आधार है. E = mc² समीकरण इसी थ्‍योरी की देन है. अब इस थ्योरी को विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी के सैमुअल एच. क्रेमर और सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के इयान एच. रेडमाउंट ने चुनौती दी है.

तेज होने के पहले धीमा होता है ब्रह्मांड!

दोनों वैज्ञानिकों का रिसर्च पेपर कहता है कि टैकियॉन ब्रह्मांडीय घटनाओं पर अकल्पनीय प्रभाव डाल सकते हैं. इन दोनों का कहना है कि अगर यह मान लें कि ब्रह्मांड में इन कणों का राज है, तब भी आधुनिक भौतिक का ढांचा नहीं टूटेगा. दोनों ने एक नया मॉडल सामने रखा है जो कहता है कि ब्रह्मांड तेज होने के पहले धीमा होता है.

कॉस्मोलॉजी का स्टैंडर्ड लैम्ब्डा कोल्ड डार्क मैटर (ΛCDM) मॉडल कहता है कि ब्रह्मांड में त्वरण डार्क एनर्जी की वजह से होता है. इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मॉडल अब वैसा नहीं रह गया है क्योंकि अब टैकियॉन के गुण ब्रह्मांड के विस्तार की गति को निर्धारित करते हैं. चूंकि टैकियॉन की गति प्रकाश से भी तेज होती है, इसलिए वे गतिज ऊर्जा का एक अनूठा रूप ग्रहण कर लेते हैं, जिसके कारण मंदन से त्वरण की ओर बदलाव होता है.

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टैकियॉन कण अभी सिर्फ थ्‍योरी में

क्रेमर और रेडमाउंट अपने इस दावे के पीछे टाइप ला सुपरनोवा को सबूत की तरह रखा है. दोनों का कहना है कि ब्रह्मांड की ये 'मानक मोमबत्तियां' दूरियां मापने का भरोसेमंद तरीका है. रिसर्चर्स के मुताबिक, उनका मॉडल सुपरनोवा डेटा में फिट बैठता है और ऐसे ब्रह्मांड का पता लगाता है जिसमें टैकियॉन का अस्तित्व हो सकता है.

उनके निष्कर्ष मौजूदा मॉडलों से भी मेल खाते हैं, जिसका मतलब है कि नया टैकियॉन-आधारित मॉडल एक वैध विकल्प हो सकता है. हालांकि, टैकियॉन अभी केवल सैद्धांतिक रूप में ही मौजूद हैं, लेकिन अगर वे वास्तविकता बन जाएं, तो पार्टिकल फिजिक्स और जनरल रिलेटिविटी पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं.

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