नदी तुम भी औरत ही तो हो...
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नदी तुम भी औरत ही तो हो...

फिल्म ही नहीं आपको हकीकत में भी आए दिन औरत को सजा के तौर पर नग्न करके घुमाने की खबरें मिलती ही रहती है. गोया औरत को नग्न करना ही उसकी सबसे बड़ी सजा है.

नदी तुम भी औरत ही तो हो...

एतराज़ फिल्म में वकील बने अन्नू कपूर, कोर्ट में अपनी दलील की शुरुआत करते हुए कहते हॆं कि औरत एक नदी की तरह होती है. वो जब अपनी सीमाओं में बहती है तो लाती है खुशहाली, हरियाली और जब वो सीमाओं को लांघती है तो लाती है बरबादी विनाश.

औरत को नदी बताने वाला ये डायलॉग बता देता है कि हम औरत को कोई भी प्रतीक क्यों न मान लें, हम ही ये तय करते हैं कि उसकी सीमा क्या है. उसे स्वतंत्र रहना है लेकिन उसकी स्वतंत्रता क्या होनी चाहिए ये हम ही तय करते हैं.

हमने ही ये तय किया है औरत की इज्जत क्या होती है और कहां से तय होती है. ये बात इसलिए भी क्योंकि हाल ही में दिल्ली के पास सोहना रोड पर एक महिला किसी रेस्त्रां में पहुंची तो वहां उन्हें एक लड़की अपने दोस्तों के साथ बैठी दिखी. लड़की के कपड़ों से उस महिला को दिक्कत थी तो उन्होंने वहीं बैठे कुछ लड़कों से कथित तौर पर बोल दिया कि ऐसी लड़कियों का बलात्कार होना चाहिए. बाद में लड़कियों के साथ उस औरत का इसी बात पर विवाद हुआ, लड़कियों ने उनके साथ अपनी बहस का वीडियो बना लिया जो वायरल (सोशल मीडिया ही एक ऐसी जगह है जहां वायरल सकारात्मक और नकारात्मक दोनों है) भी हो गया. अहम बात ये भी थी कि इस वीडियो में जो लड़कियां उस महिला से माफी मांगने की बात कर रही थीं, वो नाराज होते हुए भावावेश में उनसे ये भी बोल गईं की आपका भी बलात्कार होना चाहिए.

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‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ में अपनी सत्ता को दोबारा हासिल करने के लिए राजकुमार अपनी बहन की शादी एक ऐसे कबीले के राजा से तय कर देता है जो हर लिहाज से जंगली और दैत्य है. राजुकुमारी उसे देखकर घबरा जाती है और अपने भाई के फैसले का विरोध करती है तो राजकुमार बोलता है कि मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो क्या है तुम्हारे साथ क्या करता है. मुझे सत्ता चाहिए भले ही फिर इसके लिए सेना ही क्यों ना तुम्हारे साथ सो जाए.

इसी सीरिज में सबसे ताकतवर राज्य की रानी का तख्तापलट होता है तो उसे पूरे राज्य में नग्न करके घुमाया जाता है. यही रानी भी सत्ता में रहते हुए दूसरी औरतों के साथ ऐसा ही बरताव करती है.

फिल्म ही नहीं आपको हकीकत में भी आए दिन औरत को सजा के तौर पर नग्न करके घुमाने की खबरें मिलती ही रहती है. गोया औरत को नग्न करना ही उसकी सबसे बड़ी सजा है.

सोहना में बना यह वीडियो जाहिर करता है कि औरत के मन में दूसरी औरत के लिए भी यही मानसिकता है कि बलात्कार ही वो सजा है जो सबसे बडी होगी. ‘प्रेमग्रंथ’ फिल्म में बलात्कार पर एक किरदार कहता है कि हम किसी औरत की इज्जत को दो इंच की जगह से कैसे तय कर सकते हैं. लेकिन ऐसा ही होता है, औरत भी ऐसा ही मानकर चलती है.

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हम जिस समाज में जीते हैं, उसमें औरत का बलात्कार या उसका शरीर ही सबसे बड़ी सजा है. जिस तरह हरिशंकर पुरसाई का किरदार जब कांच के पीछे खड़े लड़की के पुतले पर पत्थर मारकर कहता है कि बहुत सुंदर दिखती है साली, तो यही वाक्य हमारी सजा और मजा दोनों की मानसिकता को प्रदर्शित कर देता है. इस मानसिकता में औरत भी शामिल है.

ये वहीं मानसिकता है जो लगातार नदियों का शोषण करते हुए समाज और सरकारों में हमें दिखाई देता है. जो नदी को औरत की तरह मानकर उसका सौंदर्यीकरण ही उसकी आजादी, उसकी विकास और उसके जीवन का अंतिम सत्य मान कर चलते हैं. जो ये मानते हैं कि नदी वो औरत है जिसका काम सिर्फ बहना है वो भी उस दिशा में जहां समाज चाहता है.

दरअसल, जब भी कभी नारी विकास, सशक्तिकरण, आजादी जैसे भारी भरकम शब्दों पर बात होती है या तथाकथित नारीवादी संगठन इस बारे में किसी तरह की चर्चा कर रहे होते हैं तो उनकी खुद की मानसिकता, कपड़े, छेड़छाड़, बलात्कार इससे आगे नहीं बढ़ पाती है. हमने बलात्कार जैसे शब्द को नारी के साथ इस कदर गूंथ दिया है कि उसे करने वाला भी और उसे सहने वाला भी दोनों ही उसे एक सजा की तरह मानते हैं. थोड़ा बहुत हमने खुद को सहज करने की कोशिश भी की है तो वो बस इतनी ही हुई है कि हम बलात्कार पीड़ित के साथ हिकारत से हट कर सहानुभूति तक पहुंच गये हैं. सामाजिक तौर पर मानसिकता को इतना विस्तार देने की ज़रूरत है कि जब किसी औरत के साथ ऐसी घटना घटे तो उसकी जिंदगी को फुलस्टॉप की तरह न देखा जाए. ये सोच न हो कि पीड़ित की जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो गई. 

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जेनिफर लॉरेंस की फिल्म है - रेड स्पैरो. फिल्म किसी लड़की के सीक्रेट एंजेंट बनने की कहानी है. इस फिल्म में लडकी को हर हद को पार करना और मुश्किल को सहन करना सिखाया जाता है. लड़की के सीक्रेट एंजेंट बनने की इस प्रक्रिया में ट्रेनिंग ले रहे कुछ लड़के नायिका के साथ वहीं काम करते हैं जिसे समाज में उसकी इज्जत से जोड़ा जाता है. एक वक्त ऐसा आता है जब नायिका से कहा जाता है कि वो पूरी क्लास के सामने अपने कपड़े उतारे और वो लड़का जिसकी उसने बेइज्जती करी थी, उसे सबके सामने लड़की के साथ समागम करने को कहा जाता है. नायिका अपने कपड़े उतारती है. लड़का उसे दूसरी तरफ मुंह करने को कहता है. 

नायिका कहती है कि नहीं मैं सामने ही मुंह रखूंगी जो करना है मेरी आंखों में आंख डालकर करो. लडका बहुत कोशिश करता है और आखिरकार कुछ नहीं कर पाता है. लडकी अपने कपडे पहनती है लेकिन लड़का नंगा हो चुका होता है.

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार और WaterAid India 'WASH Matters 2018' के फैलो हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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