यूएई की गर्मी से लेकर कोरोना से बचाव तक बहुत सारी परेशानियां होंगी अगले 53 दिन के दौरान.
सभी टीमों के खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यूएई का बेहद गर्म मौसम रहेगा, जो शाम ढलने पर तेजी से बदलता है. पहले 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान और फिर तेजी से ठंडी होती रेत के कारण हर खिलाड़ी को दोहरे मौसम से जूझना होगा. इस चुनौती का जिक्र विराट कोहली (Virat Kohli), रोहित शर्मा (Rohia Sharma), एबी डिविलियर्स (AB DeVilliars) आदि क्रिकेटर भी अपने विभिन्न इंटरव्यू में कर चुके हैं. भारतीय खिलाड़ियों के लिए ये ज्यादा समस्या नहीं होगी, लेकिन विदेशी क्रिकेटर्स इस चुनौती से उबरने में परेशानी मानेंगे. बता दें कि यूरोप और ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में ये ठंड का मौसम होता है, जब तापमान माइनस तक पहुंच जाता है. (फोटो- Twitter/@IPL)
यूएई के तीनों मैदान यानी दुबई, अबु धाबी और शारजाह के स्टेडियम समुद्र के करीब हैं. इसके चलते वहां बेहद आर्द्रता यानी ह्यूमिडिटी रहती है. वहां पर ह्यूमिडिटी का लेवल 70 फीसदी तक रहता है. इसके चलते शरीर से पानी पसीने के तौर पर बेहद तेजी से निकलता है, जिससे डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि खिलाड़ियों को पिछले एक महीने में वहां रहने के दौरान इसका अंदाजा हो गया होगा, लेकिन दो दिन पहले ही पहुंचने वाले इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के 21 क्रिकेटर्स को इस माहौल से समन्वय बनाने में बेहद मुश्किल होगी. भारतीय खिलाड़ियों में भी उत्तर भारतीय क्रिकेटर्स के लिए भी ये ह्यूमिडिटी लेवल बड़ी चुनौती रहेगा. (फोटो- Twitter/@IPL)
यूएई में गर्मी के दिनों में शाम के समय 'डेजर्ट स्ट्रॉर्म' यानी धूल भरी आंधियां चलना भी आम बात है. इसके लिए 1998 में शारजाह में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार 2 शतक याद कर लीजिए. किस तरह बार-बार धूल भरी आंधियों ने मैच रोके थे. इस बार भी ये नजारा देखने को मिल सकता है. ऐसे में खिलाड़ियों को मैच थमने के बाद दोबारा खेल चालू होने पर भी अपने टेंपरामेंट बनाए रखने की भी चुनौती रहेगी. (फाइल फोटो)
मैच में विकेट गिरने की खुशी में खिलाड़ियों का मैदान के अंदर एक-दूसरे से लिपटना या कंधे पर उठा लेने का नजारा आम होता है. लेकिन नए माहौल के चलते खिलाड़ियों को अपने इस जोश पर भी काबू रखना होगा. ऐसा करने की जुगत में संभव है कि इस बार आप बाउंड्री पर कैच लपकने के बाद जोश में दौड़ते हुए पिच तक आने जैसा नजारा शायद ही देखने को मिले. इससे भी मैचों का माहौल फीका-फीका सा रह सकता है. (फाइल फोटो)
इस बार स्टेडियम में बल्लेबाज के बड़ा शॉट खेलने, गेंदबाज के विकेट लेने या फील्डर के जबरदस्त शॉट रोकने पर तालियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी. ऐसे में दर्शकों की मौजूदगी के बिना भी अपने उत्साह को 100 फीसदी के ऊपर बनाए रखने की चुनौती से भी क्रिकेटर्स को जूझना होगा. हालांकि हाल ही में कैरेबियाई प्रीमियर लीग (CPL) में हुए रोमांचक मैचों और इंग्लैंड के पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की टीमों के साथ हुए मैचों के दौरान इसका ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. लेकिन 2-3 मैच तक उत्साहित रहना और 14 मैचों में उत्साह का लेवल हाई रखना अलग चुनौती होती है. (फोटो- Twitter/@IPL)
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