दुनिया का ऐसा मंदिर, जिसे मानते हैं 'नर्क का दरवाजा'; पास जाते ही हो जाती है मौत
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दुनिया का ऐसा मंदिर, जिसे मानते हैं 'नर्क का दरवाजा'; पास जाते ही हो जाती है मौत

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे नर्क का दरवाजा माना जाता है. अगर कोई इंसान इस मंदिर में चला जाता है तो उसकी लाश का भी पता नहीं लगता है. 

फोटो साभार- ट्विटर

नई दिल्ली: दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में अजीबोगरीब दावे किए जाते हैं. ऐसी ही एक जगह तुर्की के प्राचीन शहर हेरापोलिस में है. यहां एक प्राचीन मंदिर है, जिसे लेकर दावा किया जाता है कि यहां नर्क का दरवाजा है. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि अगर कोई इंसान इस मंदिर में चला जाता है तो उसकी लाश का भी पता नहीं लगता है. 

  1. तुर्की के प्राचीन शहर हेरापोलिस में है ये प्राचीन मंदिर
  2. मंदिर को कहा जाता है नर्क का दरवाजा
  3. वैज्ञानिकों ने सुलझा ली है यहां होने वाली मौतों की गुत्थी

मंदिर में घुसते ही हो जाती है मौत

बता दें कि इसको नर्क का दरवाजा इसलिए कहा जाता है कि यहां पर पिछले कई सालों से रहस्मयी तरीके से मौते हो रही है. सबसे बड़ी रहस्मयी बात है कि अगर कोई मंदिर के संपर्क में आ जाता है तो किसी भी प्राणी की मौत हो जाती है. इस मंदिर के बारे में लोगों का मानना है कि सभी इंसानों की मौत यूनानी देवता की जहरीली सांसों की वजह से हो रही है. ग्रीक रोमन काल में एक कानून बनाया गया था की अगर कोई भी इंसान इस मंदिर के पास गया तो उसका सिर कलम कर दिया जाएगा.

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इसे नर्क का द्वार मानते हैं लोग

कहा जाता है कि इस मंदिर के संपर्क में आते ही इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक मर जाते हैं. यहां लगातार हो रही मौतों की वजह से लोग इस मंदिर के दरवाजे को 'नर्क का द्वार' कहते हैं. आपको बता दें कि ग्रीक, रोमन काल में भी लोग मौत के डर की वजह से यहां जाने से डरते थे.

वैज्ञानिकों ने सुलझा ली है गुत्थी

हालांकि, वैज्ञानिकों द्वारा लोगों की रहस्यमय मौतों की गुत्थी सुलझा ली गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि मंदिर के नीचे से लगातार जहरीली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस रिसकर बाहर निकल रही है, जिसके संपर्क में आते ही इंसानों और पशु-पक्षियों की मौत हो जाती है.

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कीड़े-मकोड़े और पशु-पक्षियों की भी हो जाती है मौत

वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक, मंदिर के नीचे बनी गुफा में बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस पाई गई है. जहां आमतौर पर मात्र 10 फीसदी कार्बन डाई ऑक्साइड ही किसी भी इंसान को महज 30 मिनट में मौत की नींद सुला सकता है, वहीं यहां गुफा के अंदर इस जहरीली गैस की मात्रा 91 फीसदी है.गुफा के अंदर से निकल रही भाप की वजह से ही यहां आने वाले कीड़े-मकोड़े और पशु-पक्षी मारे जाते हैं.

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