मंगल की सतह पर उतरा NASA का Perseverance Rover, भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने Mission में निभाई अहम भूमिका
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मंगल की सतह पर उतरा NASA का Perseverance Rover, भारतीय मूल की वैज्ञानिक ने Mission में निभाई अहम भूमिका

नासा का पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर कई सालों तक काम करेगा. इसमें 7 फीट की रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है. यह मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशेगा और अपने साथ चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा. नासा ने अपनी इस सफलता पर खुशी जाहिर की है.

 

नासा का पर्सीवरेंस रोवर (फोटो: रॉयटर्स)

वॉशिंगटन: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल (Mars) की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है. करीब 7 महीने पहले इस रोवर ने धरती से टेकऑफ किया था. NASA ने ये कामयाबी भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन (Dr Swati Mohan) की अगुवाई में हासिल की है. पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं तलाशेगा. नासा के अनुसार, रोवर ने गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात मंगल की सबसे खतरनाक सतह जेजेरो क्रेटर पर लैंडिंग की, जहां कभी पानी हुआ करता था. 

  1. सात महीने पहले भरी थी उड़ान
  2. मंगल पर जीवन की करेगा खोज
  3. लैंड करते ही भेजी पहली तस्वीर 

NASA ने किया ये दावा 

नासा ने दावा किया है कि यह अब तक के इतिहास में रोवर की मार्स पर सबसे सटीक लैंडिंग है. रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने के तुरंत बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने पहली तस्वीर भी जारी कर दी है. छह पहिए वाला यह रोवर मंगल ग्रह की जानकारी जुटाएगा और चट्टानों के ऐसे नमूने साथ लेकर आएगा, जिनसे यह पता चल सकेगा कि क्या लाल ग्रह पर कभी जीवन था. 

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इसलिए खास है Perseverance

पर्सीवरेंस नासा का चौथी पीढ़ी का रोवर है. इससे पहले पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को साल 1997 में भेजा गया था. इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी को भेजा गया. इसी तरह 2012 में क्यूरिऑसिटी ने मंगल पर डेरा डाला था. नासा के मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है. NASA के अनुसार, पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है, जो परमाणु ऊर्जा से चलता है. पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. 

आसान नही थी Landing 

पर्सीवरेंस रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा. इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है. वैसे, Perseverance रोवर के लाल ग्रह की सतह पर पहुंचने की प्रक्रिया काफी मुश्किल रही. लैंडिंग से पहले रोवर को उस दौर से भी गुजरना पड़ा, जिसे टेरर ऑफ सेवन मिनट्स कहा जाता है. इस दौरान रोवर की गति 12 हजार मील प्रति घंटा थी और वह मंगल के वायुमंडल में प्रवेश कर चुका था. ऐसे समय में घर्षण से बढ़े तापमान के कारण रोवर को नुकसान पहुंचने की आशंका बेहद ज्यादा थी, लेकिन वह सफलतापूर्वक लैंड करने में कामयाब रहा.  

बचपन में ही आ गईं थीं US

नासा की इंजीनियर डॉ स्वाति मोहन ने इस कामयाबी पर खुशी जताते हुए कहा कि मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है. अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है. स्वाति बचपन में ही अमेरिका आ गई थीं. उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बिताया. उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स/एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की. 

 

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