श्रीलंका के गिरजाघरों में 5 मई से फिर से शुरू होगी प्रार्थना, बैग ले जाने पर लगी रोक
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श्रीलंका के गिरजाघरों में 5 मई से फिर से शुरू होगी प्रार्थना, बैग ले जाने पर लगी रोक

स्थानीय निवासियों ने सतर्कता समितियां गठित हैं जो उनके इलाके में स्थित गिरजाघरों में प्रवेश करने वाले लोगों की पहचान के लिए जिम्मेदार होंगी.

.(फाइल फोटो)

कोलंबो: हाल में आतंकी हमले से दहले श्रीलंका के कुछ कैथोलिक गिरजाघरों में पांच मई से प्रार्थनाएं फिर से शुरू होंगी लेकिन सुरक्षा बंदोबस्त के कारण गिरजाघरों में कोई भी बैग ले जाने की इजाजत नहीं होगी. गौरतलब है कि ईस्टर के मौके पर रविवार को श्रीलंका के तीन गिरजाघरों और लग्जरी होटलों में बम विस्फोट हुए थे जिनमें 253 लोगों की मौत हो गई थी और 500 अन्य जख्मी हुए थे . इसके बाद गिरजाघरों में प्रार्थनाएं बंद कर दी गई थीं. कार्डिनल मैल्कम रंजीत ने सोमवार को बताया कि स्थानीय निवासियों ने सतर्कता समितियां गठित हैं जो उनके इलाके में स्थित गिरजाघरों में प्रवेश करने वाले लोगों की पहचान के लिए जिम्मेदार होंगी.

स्थानीय लोगों को गिरजाघर में किसी व्यक्ति के प्रवेश से पहले उसकी पहचान की पुष्टि करनी होगी. कार्डिनल ने ईस्टर के मौके पर हुए हमलों के फिर से होने के भय से रविवार को चुनिंदा लोगों के साथ प्रार्थना की थी. इस प्रार्थना में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी हिस्सा लिया था.

रंजीत ने पत्रकारों से कहा कि सुरक्षा इंतजामों की वजह से गिरजाघरों के अंदर किसी तरह के बैग को ले जाने की इजाजत नहीं होगी. ‘डेली मिरर’ की खबर के मुताबिक, धर्मगुरु ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए नया कानून लाने से बेहतर है कि आतंकवाद रोकथाम अधिनियम में संशोधन किया जाए.

दरअसल वह प्रधानमंत्री के उस बयान पर टिप्पणी कर रहे थे जिसमें विक्रमसिंघे ने कहा था कि अगर आतंकवाद रोधी अधिनियम लागू होता तो इन हमलों को रोका जा सकता था. कार्डिनल ने कहा कि एक नई सरकार नियुक्त की जाए जिसमें सभी पार्टियां शामिल हों. खबर में उनके हवाले से कहा गया है, ‘‘ किसी भी पार्टी को इस वक्त चुनाव के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए.

अगर सरकार इसी तरह से स्थिति को संभालना जारी रखती है तो हमें सड़कों उतरना पड़ सकता है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पड़ सकते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर सांसद और मंत्रियों का हाथ ईस्टर के दिन रविवार को हुए हमले में साबित होता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए . ’’

रंजीत ने कहा कि सुरक्षा चूक की जांच करने के लिए आयोग नियुक्त करने से पहले उनसे सलाह मशविरा नहीं किया गया . उन्होंने कहा कि हम आयोग के सदस्यों की पृष्ठभूमि अनभिज्ञ हैं.  हम सरकार से दूसरा आयोग गठित करने की गुजारिश करते हैं जिसमें सभी धार्मिक नेता शामिल हों .  बौद्ध धर्म के नेता ऐसे आयोग की अगुवाई करने के लिए उपयुक्त हैं क्योंकि वे मामले को निष्पक्षता से देखेंगे. 

 

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