Donald Trump: 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप सदियों पुराने एक कानून की मदद ले सकते हैं. जिसमें उनके पास बड़े-बड़े अधिकार हैं. इसका नाम है Alien and Sedition Acts. कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप इसी कानून के तहत अवैध प्रवासियों पर चाबुक चला सकते हैं.
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अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने चुनावों में शानदार जीत हासिल कर ली है और जनवरी में वो शपथ लेंगे, लेकिन उनके शपथ से पहले ही उनके ज़रिए लिए जाने वाले संभावित फैसलों पर चर्चा होने लगी है. इसमें एक बड़ा फैसला अवैध प्रवासियों पर कसी जाने वाली नकेल भी है. क्योंकि उनकी जीत में इस वादे का अच्छा-खासा प्रभाव बताया जा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक मीडिया संस्थान के एग्जिट पोल के मुताबिक 87 फीसद ट्रंप समर्थकों का मानना है था कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजना चाहिए. इस मुद्दे पर चर्चा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस एक्शन के तहत भारतीयों पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा.
कहा जा रहा है कि 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप सदियों पुराने एक कानून की मदद ले सकते हैं. जिसमें उनके पास बड़े-बड़े अधिकार हैं. इसका नाम है Alien and Sedition Acts. कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप इसी कानून के तहत अवैध प्रवासियों पर चाबुक चला सकते हैं. 1798 के Alien and Sedition Acts के अंतर्गत, खास तौर पर Alien Friends Act और Alien Enemies Act में, उन प्रावधानों को शामिल किया गया था जो विदेशी नागरिकों (immigrants) को अमेरिका से निर्वासित (deport) करने से संबंधित थे. ये कानून अमेरिकी सरकार द्वारा संभावित विदेशी खतरों और आलोचनाओं को नियंत्रित करने के लिए पास किया गया था.
इसी कानून का इस्तेमाल क्यों करना चाहते हैं ट्रंप?
अब आप सोच रहे होंगे कि एलियन एनिमीज एक्ट लागू करने से ट्रंप प्रशासन के लिए बिना कानूनी अनुमति के अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों को तुरंत पकड़ना, हिरासत में लेना और निर्वासित करना बहुत आसान हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह कानून राष्ट्रपतियों को इमिग्रेशन कोर्ट को दरकिनार करने की इजाजत देता है.
Alien and Sedition Acts 1798 में अमेरिका में पास होने वाले चार कानूनों का एक समूह है. ये कानून राष्ट्रपति जॉन एडम्स के कार्यकाल के दौरान पास किए थे. इन कानूनों का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर विदेशी नागरिकों को नियंत्रित करना और अमेरिकी सरकार के खिलाफ आलोचना को रोकना था. हालांकि कहा यह जाता है कि इन कानूनों का इस्तेमाल ज्यादातर राजनीतिक विरोधियों और प्रवासियों को दबाने के लिए इस्तेमाल किया गया. हालांकि इस कानून का तीन बार इस्तेमाल किया है. पहला 1812 की जंग में, उसके बाद प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान. तीनों ही मामलों में अमेरिका ने जंग का ऐलान किया था.
यह कानून अमेरिका में नागरिकता हासिल करने के अमल पहले से और मुश्किल बनाता है.
नागरिकता पाने के लिए आवश्यक निवास की अवधि को 5 साल से बढ़ाकर 14 साल कर दिया गया.
यह राष्ट्रपति को किसी भी विदेशी नागरिक (non-citizen) को देश से निष्कासित (deport) करने का अधिकार देता है. अगर राष्ट्रपति को लगता कि वह व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.
निर्वासन के लिए किसी कानूनी प्रक्रिया या सबूत की आवश्यकता नहीं थी. साथ ही इस फैसले को अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती.
यह कानून शांति के समय (non-war period) में लागू होता था हालांकि इसे लागू होने के 2 साल बाद यानी सन 1800 में इसे खत्म कर दिया था.
यह राष्ट्रपति को अधिकार देता था कि यदि अमेरिका किसी विदेशी देश के साथ युद्ध में हो, तो उस देश के नागरिकों को हिरासत में लिया जा सकता है या निर्वासित किया जा सकता है.
यह कानून आज भी अमेरिकी कानून का हिस्सा है.
यह कानून सरकार के खिलाफ झूठी, अपमानजनक या दुर्भावनापूर्ण बयान देने या छापने करने को अपराध घोषित करता था.
इसमें प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया गया.
इसके तहत कई पत्रकार, राजनेता और सरकार के आलोचक गिरफ्तार किए गए.
Note: अमेरिका में यह कानून 1798 की तरह लागू नहीं है, क्योंकि कुछ वर्षों के बाद इस समूह के कुछ कानूनों को खत्म कर दिया गया था.
बताया जा रहा है कि इस दिशा में तेजी से काम होगा और इसका असर भारत पर भी पड़ेगा. एक जानकारी के मुताबिक 1.45 मिलियन लोगों पर अमेरिका से निष्कासन की तलवार लटक रही है. इनमें 18000 के करीब भारतीय भी बताए जा रहे हैं. नवंबर 2024 में जारी किए गए डेटा के मुताबिक इस समय 17,940 भारतीय गैर-हिरासत वाले डॉक पर हैं.